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This Article is From Nov 30, 2016

कोहरे का कोहराम, सड़क पर सफर में रखें ध्यान

Richa Jain Kalra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 30, 2016 15:22 pm IST
    • Published On नवंबर 30, 2016 15:22 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 30, 2016 15:22 pm IST
सर्दी ने नहीं, कोहरे ने कंपकंपा दिया... जी हां, ठंड के खुमार ने नहीं, कोहरे की मार ने आज सुबह जैसे जान ही निकाल दी... एक मीटर तक देख पाना मुश्किल हो गया था और ऐसे में सुबह 5 बजे गाड़ी ड्राइव करना, जैसे जान हथेली पर लेकर दफ्तर जाने से कम न था... मानो, बादल ज़मीन पर उतर आए हों और सब कुछ अपने आगोश में ले लिया हो... आगे कौन किस स्पीड से चल रहा है, कौन पीछे आ रहा है, सब कुछ - भगवान भरोसे था... ड्राइव करते वक्त दिल की धड़कन इतनी तेज़ कभी नहीं हुई... इस घने कोहरे ने मेरे ही नहीं, सभी गाड़ी चला रहे लोगों के जैसे तोते उड़ा दिए... लगा, आज दफ्तर सही-सलामत पहुंच जाएं तो ऊपर वाले की मेहर, वरना...

खैर, इसके लिए मौसमी कारण ज़िम्मेदार हैं, लेकिन यह कोहरा उस धुंध से अलग दिखा, जो दिल्ली-एनसीआर के आसमान में दीवाली के बाद छाया दिखा था... तब प्रदूषण की भूमिका ज़्यादा थी, लेकिन मेरा अनुमान है कि आज का यह घना कोहरा प्रदूषण के चलते कम और मौसमी कारणों से ज़्यादा था... हम अकसर दिल्ली एनसीआर की बात करते हैं, लेकिन यह हाल उत्तर भारत के कई राज्यों का रहा, जिनमें यूपी से लेकर पंजाब , हरियाणा और राजस्थान तक कोहरे की चादर में लिपटे दिखे.

जो लोग यह सोचकर खुश हैं कि वह तड़के उठने वालों में नहीं, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि हमारे बच्चे इसी मौसम में तैयार होकर स्कूल जाते हैं. यह उनकी जान खतरे में डालने से कम नहीं. यह सही है कि बहुत से स्कूलों में बच्चों के आने जाने का वक्त सर्दियों में कुछ दिनों के लिए बदल जाता है, लेकिन कोहरे की ये चादर आए और चंद घंटों में ओझल हो जाए, तो स्कूल प्रबंधन भी क्या कर सकता है. या तो दो महीनों के लिए सभी स्कूलों का वक्त बदल दिया जाए.

सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार धीमी होना, इसका सिर्फ एक पहलू है... यह संकेत है कि यह तो बस आगाज है, आगे आगे देखिए होता है क्या... ठिठुरन भी बढ़ने जा रही है. जाड़े में कोहरे की दस्तक भले ही तड़के होती हो, लेकिन इसका असर उस बड़े तबके पर होता है, जो कि अपने ज़रूरी कामों के लिए रेल और हवाई यात्रा करता है. किसी को इंटरव्यू के लिए पहुंचना है, किसी को शादी ब्याह में, तो किसी को छुट्टी मनाने... दस तरह के काम... ऐसे में कोहरे का कोहराम रंग में भंग डाल दे, तो मुंह फुलाए यात्रियों को देखकर अचरज नहीं होना चाहिए. नोटबंदी के इस दौर में जैसे-तैसे यात्रा करना और इसके लिए की गई एडवांस बुकिंग सब ठप हो जाती है.

कोहरे का कहर सुबह जल्दी उठकर दफ्तर दौड़ने वालों को सताता है, लेकिन असर देर सुबह तक दिखता है. फर्राटे से दौड़ने वाली गाड़ियां जहां डीएनडी जैसे तेज रफ्तार एक्सप्रेस-वे पर आज रेंग रही थीं. कोहरे के चलते कितने ही सड़क हादसे सर्दियों में सुनने को मिलते हैं. आज भी हुए हैं. ये सिलसिला न रुका है... न रुकेगा... हमें अपनी सतर्कता बढ़ाने की ज़रूरत है. क्या ज़िम्मेदारी से गाड़ी चलाना और सावधान रहना हम सब की ज़िम्मेदारी नहीं?

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