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    चुनाव आयोग को स्थानीय चुनावों में इस्तेमाल होने वाली EVM मशीनों की ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिये

    यूपी में हाल में हुये मेयर और वार्ड के चुनावों के बाद एक बार फिर से ईवीएम को लेकर विवाद उठ रहा है। विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से बीजेपी जीती.

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    अतिवादी रूपकों में खोये यथार्थवादी और गंभीर सवाल

    मंगलवार को टीवी पर दो तस्वीरें दिखाई दीं. इनमें पूछे जाते सवाल एक बार फिर कश्मीर को चर्चा के केंद्र में लाते हैं... पहली तस्वीर पत्रकारों से घिरे समाजविज्ञानी पार्थ चटर्जी की थी.

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    अरुंधती रॉय के खिलाफ 'हेट क्लब' और देश की परिभाषा...

    अगर अरुंधती रॉय पहले जैसा लेखन करती रहतीं, तो शायद आज भारतीय मध्यवर्ग की आंखों का तारा होतीं, लेकिन बुकर के बाद उन्होंने एक ऐसा लेख लिख दिया, जिससे उनके बारे में कई लोगों की धारणा बदल गई. अब अरुंधती प्रवाहमयी भाषा और शब्दों के जादू की साम्राज्ञी नहीं रहीं, तिरंगे और देश की संप्रुभता को ललकारने वाले लेखक बन गईं.

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    अनिल माधव दवे से आखिरी मुलाकात

    दिल्ली में बुधवार को चिलचिलाती गर्मी में कोई 50 कार्यकर्ता और किसान पर्यावरण मंत्रालय के बाहर जीएम सरसों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों के पर्यावरण भवन पहुंचने के कुछ ही मिनट बाद मंत्री अनिल माधव दवे का पैगाम उन तक आ गया. 'मंत्री जी मिलना चाहते हैं. कुछ लोग भीतर आकर उनसे बात कर सकते हैं.'

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    चुनावी फंडिंग की सफाई या आंखों का धोखा..

    राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले नकद चंदे को लेकर बजट में लाए गए नए नियम से क्रांति आए न आए, लेकिन ये आंखों का धोखा ज़रूर है.

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    #युद्धकेविरुद्ध : 'जंगबहादुरों' की ललकार और हकीकत की अनदेखी...

    मैं अक्सर कहता रहा हूं कि सिपाही जंग में शहीद नहीं होते, वे शासकों के अहंकार की बलि चढ़ाए जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितने संयम से काम लेंगे, वह हमारे देश की गरीब जनता और जवानों के उतने ही हित में होगा.

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    आपदा के 3 साल : तस्वीरों में देखिए केदारनाथ का बदला चेहरा, चुनौतियां अब भी कम नहीं

    केदारनाथ जाने वाले रास्ते का एक खूबसूरत पड़ाव सोनप्रयाग अब नई शक्ल ले रहा है। 3 साल पहले जून 2013 को जब केदारनाथ में भयानक बाढ़ आई तो सोनप्रयाग पूरी तरह तबाह हो गया था।

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    जीवन में सादगी और आक्रामक राजनीति का मेल

    ‘अरे भाई ये दाल इतनी पतली है। कोई खा सकता है क्या इसे!’ किचन में बैठे बुज़ुर्ग ने रसोइये से शिकायत की।

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    ‘जलाने तो वो मियां लोगों की दुकानें आये थे लेकिन...’ मैनपुरी पर हृदयेश जोशी

    उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में गोहत्या की अफवाह, आगजनी और हिंसा की वजह बन गई। इस हिंसा के बाद का नज़ारा एनडीटीवी संवाददाता हृदयेश जोशी के शब्दों में...

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    सुषमा का बचाव और सदन में प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी!

    लोकसभा में आखिरकार ललित मोदी मामले पर स्थगन प्रस्ताव पर बहस हुई लेकिन हैरान करने वाली बात रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बचाव करने के लिये सदन में मौजूद नहीं थे।

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    दंतेवाड़ा से खास रिपोर्ट : बंदूक और हल का फासला

    बस्तर और देश के तमाम आदिवासी इलाकों में आज सबसे बड़ी समस्या भरोसे की कमी होना है। आदिवासियों को सरकार की बातों पर तो भरोसा है ही नहीं, वे उन नेताओं को भी शक की नज़र से देख रहे हैं जो उनके लिए आवाज़ उठाने इन इलाकों में आते हैं।

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    वर्दी पर लगा खून और डस्टबिन की सियासत

    सवाल कई है, लेकिन उन्हें उठाना कठिन इसलिए है कि आज हमारे सामने अंध-राष्ट्रवाद की एक दीवार खड़ी की गई है और कई कड़वे तथ्य उजागर करना राष्ट्रभक्ति के खिलाफ हो जाता है।

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    चुनाव डायरी : क्या है अयोध्या का मूड?

    फैज़ाबाद होते हुए अयोध्या की ओर जाने वाली सड़क बेहतरीन है... अगर आप लखनऊ से अच्छा लंच करके निकले हैं तो इस बात की बड़ी संभावना है कि भगवान राम की नगरी तक पहुंचते-पहुंचते आपको झपकी आ जाए, लेकिन अयोध्या में घुसते ही आपको पर्यटक समझ कर आप पर इतने लोग टूटते हैं कि नींद खुद-ब-खुद खुल जाती है...

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    कोयले में निवेश - सच्चाई या आंकड़ों की बाज़ीगरी...?

    हृदयेश जोशी की जांच से सामने आए तथ्य बताते हैं कि न सही कंपनियों के पास कोल ब्लॉक गए, न ये कंपनियां कोल ब्लॉकों को विकसित करने के प्रति गंभीर थीं। अधिकतर ब्लॉक उन कंपनियों को दिए गए, जिनके पास तकनीकी और आर्थिक काबिलियत नहीं थी या फिर उन कंपनियों को कोल ब्लॉक दिए गए, जिनके पास छोटे-छोटे प्लान्ट थे।

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    हुदहुद तूफान से पहले की खामोशी और एक ठहाका...

    देश भर में भेजे जाने के साथ-साथ यहां का सी-फीड विदेशों को भी निर्यात होता है। शुक्रवार की शाम करीब 8 बजे हुद-हुद तूफान अब भी वाइज़क से 470 किलोमीटर दूर है, गोपालपुर से 520 किलोमीटर दूर और इसकी रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा बताई जा रही है, लेकिन वाइज़क पर इसका असर दिखना बाकी है।

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    हृदयेश जोशी की कलम से : 'हुदहुद' तूफान से पहले की कशमकश

    पूर्वी तट पर पहले भी बवंडर आते रहे हैं, लेकिन विशाखापट्टनम को कभी कुछ नहीं हुआ। शायद लोग इसीलिए बेफिक्र हैं। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि वे बरसात का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे हैं। शायद हुदहुद के बहाने ही थोड़ा बरसात हो जाए...

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    हुदहुद के प्रकोप से खूबसूरत विशाखापट्टनम हुआ वीरान और अस्त व्यस्त

    पूर्वी तट पर आए चक्रवाती तूफान हुदहुद ने विशाखापट्टनम को अस्त-व्यस्त कर दिया है। यहां हर ओर तबाही का मंजर है। सैंकड़ों पेड़ जो इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाया करते थे, आज वे इस तूफान के आगे धराशायी हो गए और इसकी वजह से रविवार को शहर की सारी सड़कें अवरुद्ध हो गईं।

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    हृदयेश जोशी की कलम से : क्या उठ पाएंगे घायल वामपंथी?

    सीपीएम ने तय किया है कि केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ और उसकी नाकामियों को दिखाने के लिए वह दिसंबर से देश भर में धरने प्रदर्शन और कार्यक्रम करेगी। इस कोशिश सीपीएम ने अपने सहयोगियों की संख्या बढ़ाई है।

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    जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने पर उठे सवाल!

    पिछले दिनों एनडीटीवी इंडिया समेत कई न्यूज़ चैनलों और अखबारों ने ये खबर प्रमुखता से दिखाई थी कि कैसे जेपी नड्डा ने एम्स के सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को चिट्ठियां लिखी।

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