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This Article is From Oct 10, 2014

हुदहुद तूफान से पहले की खामोशी और एक ठहाका...

Hridayesh Joshi, Rajeev Mishra
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  • Updated:
    नवंबर 19, 2014 16:32 pm IST
    • Published On अक्टूबर 10, 2014 20:30 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 19, 2014 16:32 pm IST

विशाखापट्टनम हिंदुस्तान के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है, भले ही इसकी पब्लिसिटी किसी टूरिस्ट स्पॉट की तरह न हुई हो। सामान्य बोलचाल की भाषा में ये शहर वाइज़क के नाम से अधिक जाना जाता है। ये भारतीय नौसेना की ईस्टर्न कमांड का हेडक्वार्टर है और अपने देश के सबसे बड़े स्टील प्लांट्स में से एक वाइज़क स्टील प्लांट के लिए जाना जाता है। यहां हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रिफाइनरी भी है। सी-फूड के शौकीनों के लिए तो विशाखपट्टनम किसी जन्नत की तरह है।

देश भर में भेजे जाने के साथ-साथ यहां का सी-फीड विदेशों को भी निर्यात होता है। शुक्रवार की शाम करीब 8 बजे हुद-हुद तूफान अब भी वाइज़क से 470 किलोमीटर दूर है, गोपालपुर से 520 किलोमीटर दूर और इसकी रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा बताई जा रही है, लेकिन वाइज़क पर इसका असर दिखना बाकी है।

बवंडर का इंतज़ार करते हुए, मैं वाइज़क के लोगों का दिल टटोलने की कोशिश करता हूं। मेरी मुलाकात दिल्ली एयरपोर्ट पर ही राज सिंह से हो जाती है जो पिछले 15 सालों से विशाखापट्टनम में बस गए हैं। चश्मे के प्रोग्रेसिव लेंस बनाने का काम करने वाले सिंह राजस्थान के रहने वाले हैं और बताते हैं कि इस शहर में वह बहुत खुश हैं। यहां न तो गंदगी है, न बड़े शहरों जैसी मारामारी या घिचपिच। यहां कोई साम्प्रदायिक तनाव भी नहीं होता। मैं यहां बड़ा खुश हूं।

म्युनिस्पल कॉरपोरेशन की सुबह 5 बजे से 7 बजे के बीच सैर करने वालों के लिए एक दिलचस्प योजना है। उन्हें कोई दिक्कत न हो इसके लिए ‘बीच रोड’ पर कोई वाहन नहीं आने दिया जाता। चलती है तो सिर्फ साइकिल ताकि मॉर्निंग वाकर्स को कोई परेशानी न हो। नगर पालिका ने 200 साइकिल ‘बीच रोड’ पर उपलब्ध कराई हैं जिनके इस्तेमाल के लिए आपको अपना आईडी कार्ड जमा कराना होता है। कोई पैसा नहीं लिया जाता।

बीच रोड में एक सबमरीन म्यूज़ियम है। यहां वो पनडुब्बी रखी हुई है जो पाकिस्तान के साथ हुई जंग में इस्तेमाल हुई थी। आज ये पनडुब्बी एक म्यूजियम की शक्ल ले चुकी है। इस बवंडर के वक्त राहत कार्य में भारतीय नौ सेना का तो रोल रहेगा ही, भारतीय कोस्ट गार्ड के कोई 150 लोग भी विशाखापट्टनम में हाइअलर्ट पर हैं। मेरी मुलाकात कोस्ट गार्ड के एक साथी से होती है जो बताते हैं कि मुश्किल के वक्त उनके पास सीमित संसाधन हैं। केवल एक हेलीकॉप्टर और तीन छोटे पानी के जहाज।

बवंडर के समय कोस्टगार्ड भी बेबस होते हैं, लेकिन तूफान के बाद कई बार राहत कार्य में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। हमें बताया गया कि तूफान की रफ्तार समुद्र तट से टकराते-टकराते मौजूदा रफ्तार की चार गुना तक हो सकती है, लेकिन फिलहाल विशाखापट्टनम में हल्की ठंडी हवा चल रही है।

'मौसम ठीक रहा तो कल डिनर साथ करेंगे।  मैं कहता हूं,'

'इसकी तो उम्मीद कम है, वो ठहाका मारते हुए कहते हैं।'

'मैंने कहा, फिर भी चमत्कार तो होते हैं..'

'सुनकर पास खड़े कोस्ट गार्ड के साथी कहते हैं 'आमीन'।'

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