पूर्वी तट पर आए चक्रवाती तूफान हुदहुद ने विशाखापट्टनम को अस्त-व्यस्त कर दिया है। यहां हर ओर तबाही का मंजर है। सैकड़ों पेड़ जो इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाया करते थे, आज वे इस तूफान के आगे धराशायी हो गए और इसकी वजह से रविवार को शहर की सारी सड़कें अवरुद्ध हो गईं।
चक्रवाती तूफान हुदहुद आज सुबह करीब 10.45 बजे विशाखापट्टनम से टकराया और फिर यहां दिन भर तबाही मचाता रहा। हालांकि शनिवार रात से ही यहां तेज़ हवाएं चलनी शुरू हो गई थी, जिसके बाद लोगों ने समुद्र किनारे बने यहां के मशहूर 'बीच रोड' पर रहने वाले लोग अपने घरों को छोड़कर होटलों में आ गए। ऐसे ही एक होटल में हमारी मुलाकात 40 साल की कमलेश से हुई। उन्होंने हमसे कहा कि इस शहर को मानों किसी की नजर लग गई है।
रविवार की सुबह समुद्र में सामान्य से कई फुट ऊंची लहरें उठने लगीं। समुद्र किनारे बने होटलों और घरों को काफी नुकसान पहुंचा। विशाखापट्टनम शहर में कई दुकानें और शोरूम बरबाद हो गए। जगह-जगह लोहे के बोर्ड, खिड़कियों के शीशे और टिन के दरवाजे उड़ते दिखाई दिए। एक इमारत की दूसरी मंजिल पर बने इलेक्ट्रोनिक शोरूम के रेफ्रीजेरेटर, कूलर, एसी जैसे सामान सड़क पर बिखरे नज़र आए।
विशाखापट्टनम में भारतीय नौसेना की पूर्वी कमान का मुख्यालय है और नेवी के सेटअप को भी यहां काफी नुकसान पहुंचा है।
भारत के पूर्वी तट पर इससे पहले भी कई तूफान आते रहे हैं, लेकिन विशाखापट्टनम अब तक खुशकिस्मत रहा था। हालांकि इस बार आए इस चक्रवाती तूफान की सबसे ज्यादा मार इसी शहर को झेलनी पड़ी है। अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाने वाले इस शहर को आने वाले दिनों में इस तूफान की बुरी यादों और निशानियों को भुलाने में काफी वक्त लगेगा।