Monsoon Diseases: मानसून में बढ़ जाता है इन 5 बीमारियों से खतरा, जानें इन इंफेक्शन से बचने के उपाय

Monsoon Health: बरसात के मौसम में फंगल इंफेक्शन, डायरिया, फूड इंफेक्शन, वायरल फीवर और कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) जैसी आंखों की समस्या होने का खतरा ज्यादा होता है लेकिन ज्यादातर लोगों को इन बीमारियों के लक्षणों के बारे में पता नहीं होता है.

Monsoon Diseases: मानसून में बढ़ जाता है इन 5 बीमारियों से खतरा, जानें इन इंफेक्शन से बचने के उपाय

मानसून में इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए बासी खाने से बचें.

खास बातें

  • बरसात के मौसम में फंगल इंफेक्शन, डायरिया, फूड इंफेक्शन का खतरा होता है.
  • वायरल फीवर और कंजक्टिवाइटिस जैसी आंखों की समस्या भी सकती हैं.
  • मानसून में होने वाली बीमारियां और बचाव करने के उपाय जानें.

Monsoon Bacterial Infections: मानसून भले ही चिलचिलाती गर्मी से राहत देता है, लेकिन यह जानलेवा बीमारियों को भी साथ लाता है और बरसात के मौसम में डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, लेप्टोस्पायरोसिस और गैस्ट्रिक समस्याओं के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है. ऐसे में समय पर इलाज नहीं मिल पाता और कई बार मरीज की जान भी जा सकती है. इसके अलावा और भी कई बीमारियां घेर लेती हैं. फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection), डायरिया, फूड इंफेक्शन, वायरल फीवर (Viral Fever) और आंखों की समस्या होने का खतरा ज्यादा होता है लेकिन ज्यादातर लोगों को इन बीमारियों के लक्षणों के बारे में पता नहीं होता है, इसलिए बारिश के मौसम में इस तरह की बीमारियों के बारे में जागरुकता जरूरी है.

मानसून में होने वाली बीमारियां और बचाव | Monsoon Diseases And Prevention

1) कंजक्टिवाइटिस

यह एक प्रकार का संक्रमण है जिससे आंखों में सूजन आ जाती है. इससे आंखें लाल, सूजी हुई और चिपचिपी हो जाती हैं. बरसात के मौसम में आंखों में संक्रमण हो सकता है और आंखें लाल हो जाती हैं.

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नेत्रश्लेष्मलाशोथ के लक्षण (Symptoms Of Conjunctivitis)

लाल आंखें, लगातार पानी आना, सूजी हुई पलकें, आंखों में जलन, धुंधली दृष्टि और आंखों में सूजन कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना चाहिए.

आंखों के संक्रमण से बचने के उपाय (Ways To Avoid Eye Infection)

अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं, अपना निजी सामान साझा न करें, अपनी आंखों को गंदे हाथों से न रगड़ें और हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें.

2. डायरिया

डायरिया तब होता है जब आपके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्टमें कोई समस्या होती है. यह एक पाचन समस्या है जो आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के कारण हो सकती है. इसके अलावा दूषित पानी और खाने-पीने की चीजें, कोई भी दवा और एलर्जी होने से डायरिया हो सकती है. दस्त के कई लक्षण होते हैं. 

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दस्त के सामान्य लक्षण (Common Symptoms Of Diarrhea)

जी मिचलाना, पेट दर्द, थकान महसूस होना, दस्त लगना, डिहाइड्रेशन, बुखार और मल में खून आना. इसके अलावा अगर छोटे बच्चों में डायरिया के लक्षण दिखाई दें तो उन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. कई बच्चों में सिरदर्द, पेशाब करने में असमर्थता, थकान, बुखार, चिड़चिड़ापन और सुस्ती जैसे लक्षण देखे जाते हैं.

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डायरिया से कैसे बचें? (How To Avoid Diarrhea)

डायरिया का मुख्य कारण रोटावायरस है. रोटावायरस वैक्सीन से डायरिया को रोका जा सकता है. इसलिए बच्चों के लिए यह टीका लगवाना जरूरी है. शौचालय से लौटने के बाद अपने हाथों को सेनेटाइज करना जरूरी है. बचे हुए खाने-पीने की चीजों को फ्रिज में रखें. कच्चे फलों और सब्जियों को पानी से अच्छी तरह धो लें.

शरीर में विटामिन ए की कमी के कारण अक्सर लोगों को दस्त की समस्या हो जाती है. तो, विटामिन ए वाले फूड्स  फायदेमंद साबित हो सकते हैं. जिन लोगों को डायरिया की समस्या है उन्हें शरीर में अधिक पानी की जरूरत होती है.

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3) फंगल इन्फेक्शन

मानसून अपने साथ त्वचा संबंधी कई बीमारियां भी आम हैं. बरसात के मौसम में आर्द्रता काफी बढ़ जाती है. इससे फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन और स्किन एलर्जी भी बढ़ जाती है. इसलिए मानसून के मौसम में त्वचा की अच्छी देखभाल करना बहुत जरूरी है.

फंगल इंफेक्शन का कारण (Causes Of Fungal Infection)

खराब लाइफस्टाइल से फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. कवक अक्सर गर्म, नम वातावरण में बढ़ता है. पसीने से तर या गीले कपड़े पहनना भी आपकी त्वचा के संक्रमण के लिए एक जोखिम कारक है. त्वचा में एक कट या आंसू भी बैक्टीरिया को त्वचा की गहरी परतों में प्रवेश कर सकता है और कई प्रकार के संक्रमण का कारण बन सकता है.

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फंगल इंफेक्शन के लक्षण (Symptoms Of  Fungal Infection)

त्वचा का लाल होना, दाने, बार-बार खुजली, छाले, खुजली वाली जगह पर झुनझुनी और जलन होना इसके कुछ लक्षण हैं.

फंगल इंफेक्शन का उपचार (Treatment Of Fungal Infection)

गीले कपड़े न पहनें ताकि मानसून में फंगल इंफेक्शन न हो और रोजाना नहाएं. बारिश में भीगने के बाद शरीर पूरी तरह से सूख जाना चाहिए. अच्छी तरह सुखाएं, साफ इस्त्री किए हुए कपड़े पहनें, पैरों में संक्रमण हो तो जूते या अन्य व्यक्ति के कपड़े न पहनें. सूती और ढीले कपड़े पहनें.

4) फूड इंफेक्शन

कई लोग फूड इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं. बरसात के मौसम में फूड प्वाइजनिंग एक आम समस्या है. फूड इंफेक्शन के लक्षण महसूस होने पर तुरंत इलाज करवाना जरूरी है.

फूड इंफेक्शन के लक्षण (Symptoms Of Food Infection)

फूड इंफेक्शन के कारण पेट में दर्द, जी मिचलाना, दस्त और उल्टी की समस्या होने लगती है. ऐसे कई मामले हैं, जिनमें इसकी शुरुआत सिरदर्द से होती है. इसके अलावा पेट में बहुत अधिक गैस बनती है और थकान भी होती है.

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फूड इंफेक्शन का कारण (Cause Of Food Infection)

बैक्टीरिया के संपर्क में आने से फूड इंफेक्शन हो सकता है. खराब भोजन का सेवन करने से और किसी को पेट से संबंधित कोई समस्या है जैसे कब्ज, या गैस जो फूड पॉइजजनिंग का कारण बन सकती है. लो इमूयुनिटी वाले व्यक्ति को भी फूड इंफेक्शन होने का खतरा अधिक होता है.

फूड से बचाव के उपाय (Food Prevention Tips)

बरसात के मौसम में भोजन को अधिक देर तक बाहर न रखें. दूसरे दिन बचे हुए भोजन का सेवन न करें. सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धो लें.

5) वायरल बुखार

बरसात के मौसम में बदलाव के कारण ज्यादातर लोगों को वायरल फीवर और खांसी होने लगती है. वायरल संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में अधिक आम है. बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण बुखार हो सकता है. ऐसे में बच्चों में थकावट, खांसी, संक्रामक सर्दी, उल्टी, दस्त होना आम बात है. इसमें थकान, खांसी, जोड़ों में दर्द, सर्दी, गले में खराश और सिरदर्द जैसे लक्षण हैं.

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वायरल फीवर का कारण (Causes Of Viral Fever)

दूषित पानी और भोजन प्रदूषण का सेवन करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी और वायरल फीवर के रोगी के संपर्क में आने से हो सकता है.

वायरल फीवर से बचाव के उपाय (Ways To Prevent Viral Fever)

उबली सब्जियां और हरी सब्जियां खाएं. दूषित पानी और भोजन से बचें. उबला हुआ पानी पिएं और वायरल फीवर से पीड़ित मरीज के संपर्क में आने से बचें. मौसम में बदलाव के समय उचित आहार का पालन करें. इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए अच्छी जीवनशैली अपनाएं.

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.