
नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि वह देश के अन्य नागरिकों की तरह ही मुस्लिम भाइयों तक भी अपनी पहुंच बनाएंगे और साथ ही स्पष्ट किया कि राम मंदिर और समान नागरिक संहिता जैसे विवादास्पद मुद्दों पर संवैधानिक रूपरेखा के तहत ही ध्यान दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार ने इस बात पर जोर दिया कि वह सभी भारतीयों को एक समान मानते हैं और समाज के सभी वर्गों से जुड़ना उनकी जिम्मेदारी है, जिसमें मुस्लिम भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, 'गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मैंने यथासंभव राज्य के छह करोड़ लोगों से जुड़ने का प्रयास किया है। अब मुझे राष्ट्रीय जिम्मेदारी सौंपी गयी है। मैं 125 करोड़ लोगों से जुड़ने के लिए अपने स्तर से सभी प्रयास करंगा। यह मेरी जिम्मेदारी का हिस्सा है और मुझे ऐसा करना होगा।'
मोदी ने कहा, 'हो सकता है कि 100 कदम चलना हो और मैं तीन चल पाऊं, पांच चल पाऊं या सात कदम चल पाउं। यह अलग विषय है। लेकिन यह मेरी जिम्मेदारी है कि मुझे देश के हर नागरिक तक, मेरे राज्य के हर नागरिक तक पहुंचने के लिए प्रामाणिक प्रयास करने चाहिए।'
वह एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में सवालों का जवाब दे रहे थे जहां उन्होंने मुस्लिम समुदाय के साथ संपर्क साधने के अपने प्रयासों का संकेत दिया।
जब मोदी से विशेष रूप से पूछा गया कि क्या हर नागरिक तक पहुंचने के उनके प्रयासों में मुस्लिम शामिल हैं तो उन्होंने कहा, 'मैं इस टर्मिनोलॉजी में कभी जाने वाला नहीं हूं। आप रस्सी बांधकर मुझे ले जाओगे तो भी नहीं ले जा पाओगे। मैं मेरे देशवासियों को मिलूंगा। मैं एक ही भाषा समझता हूं कि ये मेरे भारतवासी हैं, ये मेरे भाई हैं। आप जिस कलर से देखना है, आपकी मर्जी। मोदी उस कलर में जाने वाला नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'कल अगर मैं चुनाव हार जाऊं तो हार जाऊं, मुझे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन देश को तबाह कर दिया इस भाषा ने, बरबाद कर दिया है आप लोगों की सोच ने, उस सोच को मैं कभी नहीं मानूंगा और आप कृपया मेरी स्वतंत्रता पर इस प्रकार के हमले करना बंद कर दीजिए।'
मोदी के सामने राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के मुद्दे भी रखे गए जो भाजपा तथा मुस्लिमों के बीच दूरी की बड़ी वजह माने जाते रहे हैं। उनसे पूछा गया कि क्या वह अपनी तेजतर्रार छवि के चलते इन्हें पूरा कर पाएंगे। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने स्पष्ट किया कि इन विषयों पर वह संविधान का पालन करेंगे।
उन्होंने कहा, 'देश तेजतर्रारी से नहीं चलता है। देश संविधान से चलता है, देश संवैधानिक मर्यादाओं से चलता है और देश आगे भी संविधान की मर्यादा से ही चलने वाला है। तेजतर्रार तो चुनावों के लिए होता है, देश चलाने के लिए नहीं होता।'
मोदी से यह भी पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री के तौर पर उनके कामकाज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छाप दिखाई देगी क्योंकि बचपन से उनका जुड़ाव इस संगठन से रहा है।
जवाब में गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, 'पहली बात है मुझे सरकार चलानी है। सरकार संविधान के तहत चलती है और मैं मानता हूं कि सरकार का एक ही धर्म होता है-इंडिया फर्स्ट। सरकार की एक ही पवित्र पुस्तक होती है-हमारा संविधान। सरकार की एक ही भक्ति होती है-भारत भक्ति और सरकार की एक ही कार्यशैली होती है-सबका साथ, सबका विकास।'
जब 2002 के दंगों की बात आई तो मोदी ने कहा कि वह सब कसौटियों से निकले हैं और आगे भी हर कसौटी के लिए तैयार हैं। लेकिन कभी झूठ और राजनीतिक इरादों के आगे नहीं झुकेंगे।
उन्होंने कहा, 'मैंने 2007 तक हर सवाल का हर समय जवाब दिया है। आपको बुरा लगे या भला लगे और आप चाहो कि मैं आपसे दब जाउं तो यह होने वाला नहीं है।'
संप्रग सरकार पर हमला करते हुए मोदी ने कहा कि यूपीए ने 'षड्यंत्र करके कोर्ट, कचहरियों में, उच्चतम न्यायालय तक मुझे घसीटा। फिर मुझे लगा कि अब मुझे कुछ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय को इन्फ्लुएंस नहीं होना चाहिए।'
उन्होंने अधिकारियों द्वारा इस मामले में उनसे हुई पूछताछ का भी जिक्र किया।
मोदी ने कहा, 'आज तक हिंदुस्तान के किसी मुख्यमंत्री से किसी पुलिस वाले ने नौ घंटे तक पूछताछ की है? यह मुख्यमंत्री है जिससे पुलिस अधिकारी ने नौ घंटे तक पूछताछ की थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह किया गया था। इन सब कसौटियों से निकला हूं और आगे भी हर कसौटी के लिए तैयार हूं।'
जब मोदी से उनकी पार्टी के नेता गिरिराज सिंह के इस बयान के बारे में पूछा गया कि 'मोदी का विरोध करने वालों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए' तो प्रधानमंत्री पद के भाजपा के उम्मीदवार ने कहा, 'कोई इससे सहमत नहीं हो सकता।'
उन्होंने कहा, '2002 के चुनाव में जीतने के बाद मैं मणिनगर में मेरे मतदाताओं का धन्यवाद अदा करने गया था। उस दिन मैंने अपने भाषण में कहा था कि यह सरकार उनकी है जिन्होंने वोट दिया है, यह सरकार उनकी भी है जिन्होंने विरोध में मतदान किया है, यह सरकार उनकी भी है जो वोट देने नहीं गए।'
सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन सौदों में कथित गड़बड़ी के मामले में कार्रवाई को लेकर भाजपा नेताओं के अलग-अलग तरह के विचारों के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने साफ किया कि वह ऐसे मुद्दों की जगह विकास पर ध्यान देंगे और इस तरह के विषयों से कानून के अनुसार निपटा जाएगा।
उन्होंने कहा, 'हम पांच साल के लिए आते हैं और इन पांच साल में ये कूड़ा-करकट लेकर घूमते रहेंगे या कुछ अच्छा करेंगे। मेरी व्यक्तिगत राय है कि मेरी शक्ति इस कूड़े-करकट में नहीं जाए। मेरी शक्ति सकारात्मक कार्यों में लगे, अच्छा करने में लगे। वरना पांच साल का समय बहुत कम होता है। अगर हम इसमें उलझे रहेंगे तो देश का क्या भला करेंगे।'
मुख्यमंत्री के रूप में अपने इतने साल के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, 'मेरा 14 साल का अनुभव बताता है कि मैंने कभी किसी की फाइल खोली ही नहीं। मेरा मत रहा है कि अगर मैं उसमें उलझ जाता तो उसमें घुसता ही चला जाता। मैं कोई अच्छा काम नहीं कर पाता। 14 साल में मैंने केवल सकारात्मक चीजों पर ही ध्यान दिया है। मुझे पुरानी चीजें मालूम तक नहीं होतीं।'
उन्होंने यह भी कहा कि कोई कानून से ऊपर नहीं होता। मान लीजिए नरेंद्र मोदी पर कोई इल्जाम हो और कल मानो वह प्रधानमंत्री बन जाएं तो क्या उन पर मामला नहीं चलना चाहिए क्योंकि वह प्रधानमंत्री बन गए। ऐसा तो नहीं होना चाहिए।
वड़ोदरा लोकसभा सीट पर मोदी के नामांकन के दौरान जमा किए गए हलफनामे में वैवाहिक स्थिति की जानकारी पर उठे विवाद के संबंध में जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इस विषय पर आलोचना होने की उम्मीद थी तो उन्होंने कहा, 'मुझे किसी चीज का आश्चर्य नही होता है और मेरी जिंदगी में कुछ नहीं है। ऐसी भी बातें चलती हैं। अब उनके (विरोधियों के) पास कोई विषय नहीं है तो क्या करें, वे यही करते रहेंगे।'
दरअसल मोदी ने पहली बार अपने हलफनामे में शादीशुदा होने की बात स्वीकार की है जिस पर उनकी आलोचना हो रही है।
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