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हम फर्जी मतदाताओं को कैसे अनुमति दे सकते हैं... बिहार में SIR पर चुनाव आयोग का बयान

चुनाव आयोग का कहना है कि क्या SIR के मुद्दे पर उसे विपक्ष के खिलाफत से डर जाना चाहिए. क्या उसे मरे हुए मतदाताओं, बिहार से बाहर चले गए लोगों या फिर फर्जी तरीके से वोट डालने वालों को नजरअंदाज कर देना चाहिए.

हम फर्जी मतदाताओं को कैसे अनुमति दे सकते हैं... बिहार में SIR पर चुनाव आयोग का बयान
बिहार SIR के मुद्दे पर चुनाव आयोग.
  • बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच विवाद चल रहा है.
  • विपक्ष चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए वोटिंग राइट छीनने का आरोप लगा रहा है.
  • वहीं चुनाव आयोग ने कहा कि मृत, प्रवासी या फर्जी मतदाताओं को नजरअंदाज करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा.
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नई दिल्ली:

बिहार में इन दिनों मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR (Bihar SIR) का मुद्दा काफी गरम है. इसे लेकर विपक्ष जमकर बवाल मचा रहा है. बिहार विधानसभा से लेकर संसद तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है. इस मामले पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने है. विपक्ष चुनाव आयोग की SIR की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है. इस बीच अब चुनाव आयोग का चिंतन सामने आया है. चुनाव आयोग ने क्या कहा है जानें.

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"अपने प्यारे भारत का भविष्य

भारत का संविधान ही तो भारत के लोकतंत्र की जननी है. तो क्या, इन बातों से डर कर चुनाव आयोग, ऐसे लोगों के बहकावे में आकर, मरे हुए मतदाताओं, स्थायी तौर से प्रवास कर गये मतदाताओं, दो जगह वोट बनवा चुके मतदाताओं, फ़र्ज़ी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फ़र्ज़ी वोट डालने के मार्ग को पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, संविधान के विरुद्ध जाकर ऐसे लोगों का मार्ग प्रशस्त कर दे ? 

क्या चुनाव आयोग द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा तैयार की जा रही शुद्ध मतदाता सूची, निष्पक्ष चुनाव और एक सशक्त जनतंत्र के लिए नींव का पत्थर नहीं है ? इन यक्ष प्रश्नों पर तो कभी न कभी, हम सबको और भारत के सभी नागरिकों को मिलकर, राजनीतिक विचारधाराओं से परे जाकर गहन चिंतन तो करना ही होगा. और आप सभी के लिये इस अत्यावश्यक चिंतन लिए सबसे उपयुक्त समय का शायद अब भारत में आगमन हो चुका है."

SIR पर चुनाव आयोग की 'मन की बात'

दरअसल चुनाव आयोग का कहना है कि क्या SIR के मुद्दे पर उसे विपक्ष के खिलाफत से डर जाना चाहिए. क्या उसे मरे हुए मतदाताओं, बिहार से बाहर चले गए लोगों या फिर फर्जी तरीके से वोट डालने वालों को नजरअंदाज कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश के लोगों को राजनीति से ऊपर उठकर इस मामले पर गहन चिंतन करने की जरूरत है. चुनाव आयोग का कहना है कि इसके लिए इससे अच्छा समय और कुछ हो ही नहीं सकता.

SIR पर नीतीश-तेजस्वी में नोंकझोंक

बता दें कि बिहार में SIR के मुद्दे पर इन दिनों विपक्ष जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है. इसी मुद्दे पर बुधवार को बिहार विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार और नेता विपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई. तेजस्वी ने तो यहां तक कह दिया कि SIR करने में पिछली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2 साल लगे थे. अब फिर से ये हो रहा है. फिर क्या ये मान लेना चाहिए कि 2003 से 2025 तक चुनाव फर्जी तरीके से कराए गए. इसका मतलब तो ये हुआ कि नीतीश फर्जी तरह से बिहार के सीएम बने हैं. विधायक भी फर्जी वोटरों से चुने गए है. अब चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर अपने मन की बात देश के सामने रखी है. 
 

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