आम आदमी पार्टी के प्रमुक अरविंद केजरीवाल ने माना है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना एक भूल थी। उनका कहना है कि जनता से पूछ कर ही यह फैसला लेना चाहिए था।
अगले तीन सप्ताह तक बनारस में डेरा जमाकर अपना चुनाव प्रचार करने पहुंचे केजरीवाल ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि सिद्धांतों पर दिल्ली में अपनी सरकार की कुर्बानी देने का फैसला सही था, लेकिन जैसे सरकार बनाने से पहले रायशुमारी की गई थी वैसे से इस्तीफा देने से पहले भी जनता की राय लेना जरूरी था।
उन्होंने कहा कि जनता से संवाद में भले ही कमी रह गई हो, लेकिन उन्हें निर्णय जल्दबाजी में लेना पड़ा क्योंकि भाजपा और कांग्रेस मिलकर उनकी सरकार को काम करने से रोक रहीं थी।
केजरीवाल ने इस साक्षात्कार में एक बार फिर कहा कि वह भी अन्य लोगों की मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपके रह सकते थे, लेकिन उनकी आत्मा इसके लिए तैयार नहीं ती। इसलिए मैंने इस्तीफे का फैसला किया। उनका कहना था कि हमने बड़ी कुर्बानी दी और हमें उम्मीद थी कि जनता हमारी तारीफ करेगी, लेकिन जनता हमारी बात समझ नहीं पाई।
बनारस में केजरीवाल को भगोड़ा के नाम से संबोधित करते हुए पोस्टरों पर उनका कहना है कि यह काम तो भाजपा का है। लेकिन यह सवाल उन्हें हर जगह घेरता है। उन्होंने स्वीकारा कि अधिकतर जगह जनता उनसे इस्तीफा देने के कारणों को पूछती है।
अरविंद केजरीवाल का कहना है कि वह जिम्मेदारी से भागे नहीं हैं, अगर उन्हें दिल्ली में सरकार बनाने का मौका मिला तब वह फिर सरकार बनाएंगे।
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