अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी ने दावा किया कि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने उनके और जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेतृत्व के पास अपने दूत भेजे थे एवं कश्मीर मुद्दे के हल को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने की पेशकश की थी, ताकि अलगाववादी संगठन उनके प्रति नरम रुख अपनाएं।
बहरहाल, गिलानी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर 'नरम' नीति विकसित करने को लेकर उन्हें मोदी से कोई उम्मीद नहीं है और उन्होंने उनकी पेशकश मानने से साफ इनकार कर दिया।
वहीं बीजेपी ने इस बात का खंडन किया कि मोदी ने कश्मीर के गिलानी से मिलने के लिए किसी दूत को भेजा है। गिलानी के ऐसे दावों को शरारतपूर्ण और निराधार बताकर खारिज करते हुए पार्टी ने एक बयान में कहा कि कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए किसी भी दूत ने न तो गिलानी से मिलने का प्रयास किया और न ही उनसे भेंट की है। बयान में कहा गया है कि बीजेपी का यह रुख कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, बहुत स्पष्ट है और इसमें विचार-विमर्श की कोई गुंजाइश नहीं है।
इससे पूर्व, अपने हैदरपुरा स्थित आवास पर गिलानी ने कहा, मोदी ने एक मुहिम शुरू की है और यहां के लोगों से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने मेरे सहित अलगाववादी नेतृत्व से संपर्क किया है, जो इस बात का संकेत है कि वह आजादी चाहने वाले धड़े में अपने लिए नरम रुख पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
गिलानी ने कहा कि दो कश्मीरी पंडित 22 मार्च को मोदी के दूत बनकर उनके पास आए और कहा कि वह 'कश्मीर मुद्दे पर प्रतिबद्धता' हासिल करने के लिए 'प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से' मोदी से बात करें। हुर्रियत नेता ने कहा, बहरहाल, मैंने उनकी पेशकश सिरे से खारिज कर दी। मैंने उनसे कहा कि मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आदमी हैं और उसी की विचारधारा के झंडाबरदार हैं। बीजेपी के नेता होने के नाते वह कश्मीर पर कोई व्यावहारिक नीति नहीं अपनाएंगे।
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