
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेठी से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरा। अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, बहन प्रियंका और बहनोई रॉबर्ट वाड्रा के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे राहुल ने जिला निर्वाचन अधिकारी जगतराज तिवारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया।
राहुल के प्रस्तावकों में जगदीशपुर के विधायक राधेश्याम कनौजिया, पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रेम नारायण तिवारी, कांग्रेस सेवा दल नेता राजनारायण यादव तथा पार्टी कार्यकर्ता मोहम्मद नईम शामिल थे। नामांकन दाखिल करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में राहुल ने कहा कि उनका अमेठी से पारिवारिक रिश्ता है और उन्हें अच्छी जीत हासिल होगी।
उन्होंने कहा, मैं अमेठी में काम कर रहा हूं। बहुत खुशी होती है इसमें। खासकर तीन चीजों पर गहराई से काम किया है। महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह के जरिये काम किया है। उत्तर प्रदेश में 10 लाख महिलाओं को जोड़ा है। उनकी आमदनी बढ़ी। दूसरा, दूध का काम किया है। फूड पार्क के माध्यम से हम अमेठी के किसान को बाकी दुनिया से जोड़ना चाहते हैं। वह बड़ा काम था। तीसरा, अमेठी को रेलवे लाइन, तथा राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने का काम। आने वाले समय में और गहराई से जोड़ने का काम करूंगा।
इससे पूर्व, विमान के जरिये पहुंचे राहुल और उनकी मां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अमहट हवाई पट्टी पर उतरने के बाद नामांकन करने से पहले रोडशो के लिए निकले। फुरसतगंज हवाई अड्डे पर उतरीं प्रियंका और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा भी कार से अमहट पहुंचे और रोडशो में शामिल हो गए। नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य सफेद कार से रोडशो पर निकले। इस दौरान समर्थकों ने फूलों की पंखुड़ियों की बारिश और नारेबाजी करके उनका जोरदार स्वागत किया।
अमेठी में 7 मई को मतदान है। अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी ने स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा है, जबकि आम आदमी पार्टी की ओर से कुमार विश्वास चुनाव लड़ रहे हैं।
अगर अमेठी की पहचान राहुल गांधी के परिवार से है, तो भाजपा की स्मृति ईरानी भी 'सास भी कभी बहू थी' में किरदार निभाने के कारण घर-घर में पहचान रखती हैं। राहुल का हमेशा से आधी आबादी पर फोकस रहा है और अब उसी का प्रतिनिधित्व करने वाली स्मृति ईरानी भी लोगों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष तीसरी बार भावनात्मक रिश्तों के सहारे अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ने की फिराक में हैं। 'आप' के कुमार विश्वास भी प्रेम के महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म व कर्मस्थली में अपनी 'कविता' के साथ विश्वास जीतने की फिराक में पिछले दो माह से कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं।
जैसे-जैसे चुनाव प्रचार गति पकड़ रहा है, स्थानीय मुद्दे भी चर्चा से ठीक उसी गति से दूर हो रहे हैं। अब तो मुख्य मार्ग का चौराहा हो या गली का नुक्कड़, हर जगह बेटे, बहू और विश्वास की ही बात है। सांसद राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र करीब 100 किलोमीटर के दायरे में है, लेकिन अमेठी लोकसभा क्षेत्र मात्र इसलिए चर्चित रहा है, क्योंकि गांधी परिवार के सदस्य इस क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं।
अमेठी की जनता नेहरू-गांधी परिवार को सिर-आंखों पर बिठाती रही है, लेकिन यह मुहब्बत एक बार गड़बड़ा गई। साल था 1977। जनता नाराज थी और नेहरू परिवार इस बात से बेखबर थी कि अगले 25 महीनों तक उसे वनवास झेलना पड़ेगा। 18 महीने की इमरजेंसी और 28 महीने का वनवास। वर्ष 1977 के आम चुनावों में इस सीट से संजय गांधी को पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय गांधी अमेठी संसदीय सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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