चुनाव संबंधी मामलों में दो गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए महाराजगंज लोकसभा सीट से राजद प्रत्याशी और निवर्तमान सांसद प्रभुनाथ सिंह 'लापता' बताए जाते हैं।
सारण के जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि वारंट के तामील के लिए प्रभुनाथ सिंह को पुलिस तलाश रही है, लेकिन वे जिला में मौजूद नहीं हैं।
राजद के बाहुबली सांसद प्रभुनाथ सिंह पर गत 17 अप्रैल को सारण के जिलाधिकारी को कथित तौर पर धमकी देने और चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
कुंदन ने बताया कि उन्होंने प्रभुनाथ सिंह के एक संवाददाता सम्मेलन का एक वीडियो फुटेज देखा था जिसमें उन्होंने उन पर कथित तौर पर भेदभावपूर्ण रवैया बनाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि यह जीवन और मरण का मुद्दा बन गया है।
प्रभुनाथ ने अपने समर्थकों से कहा कि वे एक 'कफन' खरीदने जा रहे हैं। अगर वह मर जाते हैं तो वह उनके ऊपर रख देना और अगर हम मर जाते हैं उससे उन्हें ढक देंगे।
सारण जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने कहा कि यह आपराधिक धमकी है और इस बारे में उन्होंने निर्वाचन आयोग को सूचित कर दिया है। उन्होंने बताया कि प्रभुनाथ सिंह पूर्व में भी कई बार सरकारी कर्मियों को धमकी देते रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2013 में महाराजगंज संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान एक प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी आलोक रंजन घोष के साथ मारपीट की थी।
इससे पूर्व प्रभुनाथ सिंह अपने समर्थकों से अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना अपनी पार्टी के पक्ष में ईवीएम के बटन को बार-बार दबाने की अपील करने पर जब उनसे स्पष्टीकरण देने को कहा गया था तो उन्होंने प्रशासन को 'निकम्मा' बताया था।
कुंदन ने बताया कि प्रभुनाथ सिंह के ऐसी अपील कर बोगस वोटिंग करने के लिए उकसाने को लेकर उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून और भादंवि की विभिन्न धाराओं जिसमें धारा 124 ए भी शामिल है उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
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