आम आदमी पार्टी (आप) की नेता शाजिया इल्मी ने कहा है कि मुस्लिम वोट बंट जाते हैं, क्योंकि वे ज्यादा ही धर्मनिरपेक्ष हैं और उन्हें कुछ सांप्रदायिक हो जाना चाहिए तथा 'अपने निजी हित' को ध्यान में रखकर वोट डालना चाहिए।
शाजिया ने कहा, बहुत ज्यादा धर्मनिरपेक्ष मत होइए। मुसलमान बहुत ही ज्यादा धर्मनिरपेक्ष होते हैं, उन्हें सांप्रदायिक बनना चाहिए। वे सांप्रदायिक नहीं होते हैं और अपने लिए वोट नहीं डालते। अरविंद केजरीवाल हमारे हैं। मुसलमान लंबे समय तक धर्मनिरपेक्ष रहे...कांग्रेस को वोट दिया और उन्हें जीताने में मदद की। इतना धर्मनिरपेक्ष मत होइए और इस बार अपने घर (समुदाय) की ओर भी देखिए।
उन्होंने कहा, अन्य दलों के अपने एकजुट वोटबैंक हैं और मुस्लिम वोट बंट जाते हैं। यह एक विवादास्पद बयान है, लेकिन हमें अपने हित की ओर देखना चाहिए। गाजियाबाद की 'आप' प्रत्याशी एक वीडियो में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से यह बातचीत करते हुए नजर आ रही हैं। आम आदमी पार्टी ने ट्विटर पर जारी एक संदेश में इस बयान से अपने को अलग करते हुए कहा, हमारे सभी प्रतिनिधियों को शब्दों के चयन में सतर्क रहना चाहिए, ताकि उसकी गलत व्याख्या की कोई गुंजाइश नहीं रहे। 'आप' नेता मनीष सिसौदिया ने ट्वीट किया, मैंने शाजिया की क्लिप देखी। उन्हें यह नहीं कहना चाहिए। 'आप' सांप्रदायिक नीति में विश्वास नहीं करती। हमारी राजनीति सभी भारतीयों को एकजुट करने की है। इल्मी के बयान पर विवाद छिड़ने के बाद गाजियाबाद से 'आप' प्रत्याशी ने कहा कि उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है, जिससे घृणा फैलती हो। उन्होंने कहा, मैं इस पर कायम हूं। मैंने कहा था कि हमें समुदाय के बारे में पहले सोचना चाहिए। जब अन्य धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं, तो हम क्यों धर्मनिरपेक्ष हों। यह शब्दों से खेलना है।
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