झारखंड में चुनाव परिणाम मंगलवार को आएंगे, लेकिन एक पार्टी यह मान कर चल रही है कि लोकसभा चुनावों की तरह ही इस बार भी उसकी दुर्गति होने वाली है।
रांची में इस पार्टी के नेताओं से आप बात कीजिये वह एक स्वर में आलाकमान खास कर कांग्रेस महासचिव, राहुल गांधी और उनके आस-पास के सहयोगियों पर ही हार का ठीकरा फोड़ते नजर आएंगे। रांची के नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी अभी भी या तो सच से कटे हुए हैं या उनके आस-पास की मित्रमंडली जो उनकी सलाहकार समिति का भी काम करती है, उन्हें जमीनी हकीकत से दूर रखती है। अब राज्य के सभी नेता मानते हैं कि जेएमएम से चुनावी तालमेल ना होना एक भूल थी, जिसका खामियाजा उन्हें इस बार के चुनाव में उठाना पड़ा।
लेकिन वहां जब आप कांग्रेस के दिल्ली के नेताओं से बात करते हैं तो वे आपको बताएंगे की कैसे झारखंड के पुराने कांग्रेसी नेताओं ने अपने बेटे-बेटियों को टिकट दिलाने की जुगाड़ में जेएमएम के साथ तालमेल का विरोध किया।
झारखंड में जामतारा सीट से पूर्व सांसद फुरकान अंसारी के बेटे डॉ. इरफार अंसारी मैदान में हैं। वहीं विश्रामपुर सीट से पूर्व सांसद चंद्रशेखर दुबे के बेटे अजय दुबे को पार्टी ने उनके दबाब में टिकट दिया। वहीं सांसद प्रदीप बालमुचु ने अपनी पुरानी सीट घाटशिला से अपनी बेटी सेंदरिला बालमुचु को टिकट दिलवाने में सफलता पाई।
जानकर मानते हैं कि राज्य में अगर कांग्रेस-जेएमएम में तालमेल हो जाता तो इनके अलावा पाकुर सीट, जहां से पिछले बार जेएमएम उम्मीदवार जीत जीते थे, वहां से कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम को शायद टिकट नहीं ही मिलता। ये नेता पार्टी आलाकमान पर दबाब बनाने में कामयाब हुए कि इस चुनाव में जेएमएम से तालमेल ना किया जाए।
इसलिए अगर चुनावी नतीजों में कांग्रेस पार्टी का मतदाता अगर उसे कुछ सीटों पर सिमटा दें तो उसके लिए कांग्रेस के नेता, आलाकमान सब जिम्मेदार होंगे और आप कह सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी फिलहाल कोई भी सबक लेने के लिए तैयार नहीं और दिल्ली से लेकर राज्यों तक के इसके नेता फिलहाल पार्टी को रसातल में ले जाने के लिए एकजुट दिखते हैं।
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