देश में लोकसभा चुनाव के इतिहास में अब तक सबसे अधिक अंतर (5.92 लाख मत) से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड माकपा के अनिल बसु और सबसे कम अंतर (9-9 मत) कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले कोनाथला रामकृष्ण और भाजपा के सोम मरांडी के नाम है।
भारत के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में माकपा के अनिल बसु ने पश्चिम बंगाल के आरामबाग से चुनाव लड़ा था और 5,92,502 मतों से जीत दर्ज की थी।
साल 1989 में कांग्रेस के टिकट पर आंध्रप्रदेश के अनाकापल्ली सीट से चुनाव लड़ने वाले कोनाथला रामकृष्ण केवल नौ मतों से चुनाव जीतने में सफल रहे, जबकि 1998 में तत्कालीन बिहार के राजमहल सीट से भाजपा उम्मीदवार सोम मरांडी भी महज नौ मतों से जीत दर्ज कर सके थे।
1962 में स्वतंत्र पार्टी की गायत्री देवी ने राजस्थान के जयपुर से चुनाव लड़ा था और उन्होंने उस साल हुए चुनाव में सबसे अधिक 1.57 लाख मतों से जीत दर्ज की। 1967 में के सिंह ने राजस्थान के बीकानेर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 1.93 लाख मतों से जीत दर्ज की।
1971 में कांग्रेस के टिकट पर काकिनाड़ा से चुनाव लड़ने वाले एम एस संजीव राव ने 2.92 लाख मतों से जीत दर्ज की थी।
रामविलास पासवान का नाम दो बार भारी मतों से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों में आया। 1977 में जेपी आंदोलन के बाद हुए चुनाव में रामविलास पासवान ने बिहार के हाजीपुर से 4.25 लाख मतों से जीत दर्ज की। 1989 के चुनाव में पासवान ने अपने प्रदर्शन को बेहतर किया और 5.04 लाख मतों से चुनाव जीता।
1980 में मध्यप्रदेश के रीवा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले महाराजा मार्तंडेय सिंह ने 2.38 लाख मतों से जीत दर्ज की।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 1984 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 3.14 लाख मतों से जीत दर्ज की थी। 1991 के चुनाव में त्रिपुरा पश्चिम से चुनाव लड़ने वाले संतोष मोहन देव ने 4.28 लाख मतों से जीत दर्ज की थी जबकि 1996 के चुनाव में द्रमुक के एन वी एन सोमू ने 3.89 लाख मतों से जीत दर्ज की थी।
1998 के चुनाव में गुजरात के राजकोट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले के बल्लभभाई रामजीभाई ने 3.54 लाख मतों से चुनाव जीता जबकि 1999 में नगालैंड से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले के ए संथम ने 3.53 लाख मतों से जीत दर्ज की। 2009 में नगा पीपुल्स पार्टी के सीएम चांग ने 4.83 लाख मतों से चुनाव जीता था।
सबसे कम मतों से चुनाव जीतने वालों में 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के रिशांग ने 42 मतों और 1967 के चुनाव में कांग्रेस के एम राम ने 203 मतों से चुनाव जीता था। 1971 में द्रमुक के एम एस शिवसामी ने 26 मतों से, 1977 में पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी के डी डी बलवंत राव ने 165 मतों से चुनाव जीता था।
1980 में कांग्रेस के रामायण राय ने 77 मतों, 1984 में शिरोमणि अकाली दल के मेवा सिंह ने 140 मतों और 1989 में कांग्रेस के के रामकृष्ण ने नौ मतों से जीत दर्ज की थी।
1991 में जनता दल के राम अवध ने 156 मतों, 1996 में कांग्रेस के गायकवाड सत्यजीत सिंह दिलीपसिंह ने 17 मतों, 1988 में भाजपा के सोम मरांडी ने नौ मतों और 1999 में बसपा के प्यारेलाल शंखवार 105 मतों से ही चुनाव जीता था।
2004 के लोकसभा चुनाव में जदयू के डॉ पी पूकुनहिकोया ने मात्र 71 मत और 2009 के चुनाव में कांग्रेस के नमो नारायण मीणा केवल 317 मतों से चुनाव जीत सके थे।
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