चुनावी मौसम में नेताओं के बीच ज़ुबानी जंग, अपने-अपने तरीके से वोटर्स को रिझाने की कोशिश- ये सब आम बात है। लेकिन, जब कोई शिक्षण संस्थान खुल कर अपने छात्रों को किसी खास पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ सोच समझकर वोट करने की बात कहें, तो मामला थोड़ा अलग है।
मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज के प्रिंसिपल फादर फ्रेजर मैसकैरनहस ने एक ई-मेल के जरिये अपने छात्रों से गुजरात के विकास मॉडल की कड़ी आलोचना की है, और यह अनुरोध किया गया है कि वे सही को चुने। इस मामले के बाद, बीजेपी ने चुनाव आयोग का रुख किया और जेवियर्स कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत भी दर्ज़ करवाई है।
मेल में लिखा गया है, 'सभी मानव विकास सूचकांक, जनसंख्या का सांस्कृतिक ध्रुवीकरण, ये सभी इस बात को दर्शाती है कि गुजरात के पिछले दस साल का अनुभव काफी भयानक है।
नरेंद्र मोदी का बिना नाम लिए इस मेल में लिखा हुआ है, 'कॉर्पोरेट पूंजी और सांप्रदायिक ताकतों का गठबंधन हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक वास्तविक खतरा है।'
यह मेल कॉलेज की ऑफिसियल वेबसाइट पर मंगलवार को पोस्ट किया गया था।
अपने बचाव में प्रिंसिपल ने कहा, 'मैंने अपने छात्रों को सिर्फ सुझाव दिया है कि वे जाएं और वोट करें, इसी के मद्देनज़र मैंने सिर्फ कुछ निश्चित मापदंड दिए हैं, जिससे वे अपनी समझ से वोट करें।'
इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद बीजेपी प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने इस मुद्दे पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'कोई भी नागरिक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग कर सकता है, हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन किसी शिक्षण संस्थान के प्रमुख के लेखनी की बात है, यह अपने छात्रों को प्रभावित करने की कोशिश है।'
वहीं, सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। लेखक चेतन भगत ने ट्वीट कर कहा, लोग अपने प्रिंसिपल की बातों को कब सुनते है? मुझे लगता है, ये धूर्त राजनीति है, जो इस बात को सुनिश्चित करती है कि सेंट जेवियर कॉलेज मोदी को मिलने वाले वोट के रोक सके।'
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