आखिरकार तेलुगू देशम पार्टी ने बीजेपी के साथ अपने गठबंधन का ऐलान कर ही दिया। पिछले दो महीनों से इस गठबंधन को लेकर लगातार उतार-चढ़ाव आ रहे थे। बीच-बीच में विरोध के चलते बीजेपी ने अपनी ओर से बातचीत तोड़ने की भी धमकी दी थी, लेकिन आखिरकार आज हैदराबाद में इस गठबंधन की घोषणा हो गई।
आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो रहे हैं। राज्य में लोकसभा की 42 और विधानसभा की 294 सीटें हैं। मगर तेलंगाना के गठन के साथ ही इनका भी बंटवारा हो गया है। तेलंगाना में अब विधानसभा की 117 और लोकसभा की 17 सीटें हैं, जबकि सीमांध्र में विधानसभा की 175 और लोकसभा की 25 सीटें हैं। गठबंधन के मुताबिक बीजेपी सीमांध्र में पांच लोकसभा और 15 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि तेलंगाना में बीजेपी 8 लोकसभा और 47 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी।
बीजेपी को अपने स्थापना दिवस पर टीडीपी के रूप में एक नए सहयोगी का तोहफा मिला है। इससे पहले भी टीडीपी, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के साथ रही थी और इस गठबंधन ने आंध्र प्रदेश में बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
एनडीटीवी-हंसा जनमत सर्वेक्षण ने संभावना व्यक्त की है कि बीजेपी के साथ गठबंधन करने पर यह गठबंधन सीमांध्रा में 25 में से 14 लोकसभा सीटें जीत सकता है। यह सर्वेक्षण गठबंधन की घोषणा से पहले किया गया था। टीडीपी नेताओं का दावा है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का फायदा उन्हें मिलेगा और यह संख्या और भी बढ़ सकती है, जबकि तेलंगाना में भी इस सर्वेक्षण के मुताबिक टीडीपी-बीजेपी गठबंधन दो लोकसभा सीटें जीत सकता है।
इसी के साथ बीजेपी के सहयोगी दलों की संख्या में भी इज़ाफा होता जा रहा है। बीजेपी, शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र में पांच दलों की महायुति यानी बड़े गठबंधन को अंतिम रूप दे चुकी है। बिहार में बीजेपी ने रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ गठबंधन किया है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने अपना दल के साथ चुनावी तालमेल किया है। तमिलनाडु में भी बीजेपी ने डीएमडीके, एमडीएमके, पीएमके और दो अन्य दलों के साथ गठबंधन कर लिया है। यानी अभी बीजेपी के साथ छोटी-बड़ी करीब 15 पार्टियां हैं। यह संख्या 1996 की तुलना में ज़्यादा है।
इस वक्त एनडीए सबसे बड़ा चुनाव पूर्व गठबंधन भी है। जाहिर है कि अगर लोकसभा चुनाव के नतीजों में एनडीए सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरता है और बहुमत के आंकड़े के नजदीक जाता है, तो कुछ और भी पार्टियां एनडीए में शामिल होने से नहीं हिचकिचाएंगी।
यह नरेंद्र मोदी के लिए भी बहुत अच्छी खबर है, क्योंकि राजनीतिक पर्यवेक्षक उनकी कथित सांप्रदायिक छवि को लेकर भविष्यवाणियां करते थे कि मोदी के साथ नए दल नहीं आएंगे। लेकिन बीजेपी ने अलग-अलग राज्यों में सतरंगी गठबंधन बनाकर इन भविष्यवाणियों को गलत साबित कर दिया है।
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