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ब्लॉग राइटर
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ममता बनर्जी पर हमले का आरोप एक साज़िश, हादसा या सियासी दांव?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी नंदीग्राम के बिरुलिया गांव में सड़क पर गाड़ी में चलते हुए चोटिल हो गईं, उन्होंने अपनी पहली प्रतिक्रिया में मीडिया के सामने कहा, कि “कोई साज़िश है, मुझे चार-पांच लोगों ने धक्का दिया”.
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- राकेश तिवारी
- अप्रैल 14, 2021 08:26 am IST
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क्या श्रीप्रकाश शुक्ला का दौर याद दिला रहा है गैंगस्टर विकास दुबे?
कानपुर के कुख्यात हिस्ट्री शीटर विकास दुबे और उसकी गैंग के हाथों उत्तर प्रदेश के आठ पुलिस वालों का जान गंवाना क्या यूपी में अपराध के उस दौर की वापसी का संकेत है, जब 24 साल के अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला का ख़ौफ़ राज्य के बड़े हिस्से में व्याप्त हो गया था. वो बड़े-बड़े नेताओं की हत्या की सुपारी लेता और रेलवे से लेकर तमाम सरकारी ठेकों का इकलौता मालिक बन बैठा था.
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- राकेश तिवारी
- जुलाई 06, 2020 03:30 am IST
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दंगे सिर्फ़ मुहल्ला नहीं जलाते, आपसी भरोसा भी राख हो जाता है
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा फैला तो मेरे पास भी मां-पापा और कुछ रिश्तेदार और दोस्तों के फ़ोन आना शुरू हो गए. चूंकि मैं पूर्वी दिल्ली में रहता हूं तो फ़ोन करने वाले स्वाभाविक रूप से टीवी और अख़बारों की ख़बरों से परेशान थे, फिर मेरा हालचाल जाना तो उन्हें इत्मिनान हुआ, हालांकि वो कई बार पूछते रहे कि सच-सच बताओ कि सब ठीक है.
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- राकेश तिवारी
- मार्च 03, 2020 22:44 pm IST
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रियो : नरसिंह यादव को नहीं जाने देते, तो भारत की किरकिरी नहीं होती, मेडल का भी चांस बना रहता...
वास्तव में नरसिंह के डोप टेस्ट में पॉजिटिव आने की खबर के बाद भारत को उनकी जगह पर किसी दूसरे खिलाड़ी को भेजने की अनुमति मिल गई थी. भारतीय कुश्ती संघ ने प्रवीण राणा के नाम की घोषणा भी कर दी, लेकिन नाडा के फैसले के बाद नरसिंह को भेज दिया.
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- राकेश तिवारी
- अगस्त 21, 2016 18:32 pm IST
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भ्रष्टाचार के खुलासों के बीच इनसे निपटने के लिए बना लोकपाल आखिर है कहां...
क्या पीएम मोदी की सरकार अपने वादे के अनुसार इन भ्रष्टाचारियों का पता लगाने और इनसे निपटने के लिए कोई उपाय करती दिख रही है या क्या वह इसके प्रति सीरियस है। ध्यान दीजिए इसके लिए एक विशेष प्रहरी की बात कुछ सालों से चली आ रही है, जिसके लिए कानून भी बन गया है, लेकिन...
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जाट आरक्षण आंदोलन : हरियाणा में ऐसी 'अराजकता' जायज है?
मेरा सवाल आरक्षण पर नहीं बल्कि इसे मांगने के तरीके पर है और मेरे सवाल पर 'सवाल उठाने' से पहले कृपया इस आंदोलन के अब तक के दुष्परिणामों पर एक नजर डाल लीजिए-