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ब्लॉग राइटर
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अभिभावकों के नाम कोटा के कलेक्टर की एक भावुक अपील
कोटा के जिला कलेक्टर डॉ रविकुमार ने बच्चों के अभिभावकों को पत्र लिखा है कि जब माता-पिता दूसरी युवा प्रतिभाओं की कामयाबी को बड़े-बड़े होर्डिंग्स और विज्ञापनों में देखते हैं, तो मन में अपने बच्चों के लिए भी ऐसे ही सपने बुनते हैं...
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विज्ञापन के लिए ब्रांड एंबैसेडर की जवाबदेही
एक संसदीय समिति ये कह रही है कि अगर भरोसा का दावा करने वाले सेलिब्रिटीज किसी प्रोडक्ट को बेच रहे हैं, तो उनको उसकी विश्वसनीयता का ध्यान रखना होगा।
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न्यायपालिका की चिंता पर सरकार कितनी संजीदा?
आज की और पिछली सभी सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए जस्टिस ठाकुर ने कहा है कि 1987 में लॉ कमीशन ने जजों की संख्या बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन आजतक ऐसा नहीं हो पाया है।
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'आप' सरकार को सवाल से परेशानी?
एक आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी सबसे ज्यादा इस बात का ढिंढोरा पीटती थी कि वो बाकी राजनीतिक दलों से अलग है। वो कितनी अलग है, ये पहले भी सवालों में आ चुका है, लेकिन अब इस पार्टी को सवाल पूछे जाने से भी समस्या है।
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...उम्मीद है कि वेस्टइंडीज टीम को उसके हिस्से का सम्मान मिलेगा
70-80 के दशक में वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम का जो बोलबाला था वो शायद ही कभी किसी क्रिकेट टीम का इतने लंबे समय तक रह पाए। पिछले कुछ सालों में वेस्ट इंडीज़ टीम की ज्यादा गिनती भी नहीं हो रही थी और ऐसे में आई है इस वर्ल्ड कप टीम की बड़ी जीत।
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आर्थिक मोर्चे पर सरकार की मुश्किलें बरकरार
आर्थिक मोर्चे पर नरेंद्र मोदी सरकार की मुश्किलें अभी भी बरकरार हैं। देश भर के ज्वैलर्स की हड़ताल को 30 दिन हो चुके हैं। ज्वैलर्स साफ तौर पर 1% ज्यादा एक्साइज ड्यूटी को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
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लाज़िमी है कि विराट को सचिन की राह पर कहा जाता है
मैंने टी-20 का क्रिकेट उसकी बड़ी लोकप्रियता के बावजूद ना के बराबर देखा है, वजह उस युग के क्रिकेट की छाप मेरे दिमाग पर रही है जिसमें क्रिकेट जेंटलमेन अंदाज़ में खेला जाता था।
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मध्यम वर्ग के मन में विकास से आगे अब विवाद के एजेंडे का साया
मोदी और मध्य वर्ग, यह रिश्ता नरेंद्र मोदी की सफलता का आधार रहा है। यह रिश्ता ही मोदी सरकार के काम का सबसे पहले आकलन मांग रहा है कि क्या उसे अच्छे दिन मिले हैं या नहीं?
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नरेंद्र मोदी के समर्थन पर फिर उठे सवाल, विरोध में हैं ज्वेलर्स
ये बात हमेशा दोहराई जाती है कि नरेंद्र मोदी का एक बड़ा समर्थक वर्ग भारत का मध्य वर्ग था, जिसने नरेंद्र मोदी को बड़ी जीत दिलायी। इसमें तमाम तरह के मध्य स्तरीय व्यापारी वर्ग शामिल हैं। नरेंद्र मोदी के समर्थन पर फिर सवाल उठ गया है और इस बार विरोध में हैं ज्वेलर्स।
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विजय माल्या ने उठाया बैंकों के कमजोर सिस्टम का फायदा
विजय माल्या मामले में जैसे-जैसे नए तथ्य सामने आ रहे हैं यही बात बार-बार सामने आ रही है जो मैंने पहले भी कही, बैंकों के कमजोर सिस्टम की। सीबीआई के नए तथ्य भी बताते हैं कि विजय माल्या बैंक से लिए हुए क़र्ज़ के पैसे को देश से बाहर ले जाने में कामयाब हुए।
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भारत-पाक मुकाबले को सिर्फ क्रिकेट के नजरिये से देखा जाए
सुरक्षा के लिहाज से भी शाहिद अफरीदी खुद कह चुके हैं कि पाकिस्तान टीम के दिमाग में सुरक्षा को लेकर कोई सवाल नहीं है। तो आइए खेल को खेल की तरह लें, हर जगह बेवजह सियासत को तरजीह नहीं मिलनी चाहिए।
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क्रिकेट के बहाने भारत-पाकिस्तान का सियासी खेल...
क्या पाकिस्तान के साथ भारत को किसी भी तरह का क्रिकेट खेलना चाहिए, क्योंकि क्रिकेट खेलना तो दूर की बात है दोनों तरफ से कोई भी किसी भी तरह का सियासी खेल खेलने का मौका नहीं छोड़ना चाहता। अब जब 19 मार्च को होने वाले धर्मशाला के मैच को कोलकाता भेज दिया गया है तो पाकिस्तान ने नया एजेंडा खोल दिया है।
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अब एक और नए मोड़ पर है विजय माल्या की कहानी...
विजय माल्या की कहानी अब एक और नए मोड़ पर है और इसमें अब सीधा सवाल देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट बैंकों से पूछ रही है। इस सवाल को पूछने के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट को सलाम करता हूं, क्योंकि सवाल बहुत सही है, उन बैंकों से, जिन्होंने विजय माल्या को क़र्ज़ पर पैसा दिया।
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हर रोज़ होना चाहिए महिलाओं का सम्मान...
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं का सम्मान बहुत अच्छी बात है, बल्कि उनका सम्मान तो हर रोज़ होना चाहिए। घर से लेकर बाहर तक जिस बखूबी से वो ज़िम्मेदारी निभाती हैं, उसकी तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। हालांकि आज भी महिलाओं को कई जगह अपने अधिकार की लड़ाई जारी रखनी पड़ रही है।
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धर्मशाला जैसे विवादों से बचा जाना चाहिए...
टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान और भारत के बीच कोई मैच बहुत बड़ा आकर्षण होता है, ये पिछले वर्ल्ड कप में मोहाली के मैच ने साबित कर दिया था। लेकिन फिलहाल धर्मशाला में मैच होना है या नहीं इसपर विवाद हो गया है और कठघरे में खड़ी है हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार।
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उद्योगपतियों और बैंकों के लिए एक मिसाल होनी चाहिए विजय माल्या की 'कहानी'
विजय माल्या की कहानी कई उद्योगपतियों और बैंकों के लिए एक मिसाल होनी चाहिए। चकाचौंध के बीच धीरे-धीरे माल्या की पैसे से खोखलेपन की तस्वीरें सामने आती रहीं और अब यह स्थिति आ चुकी है कि माल्या कर्ज़ों में डूबे होने की वजह से बैंकों ने उन्हें एक बिज़नेस डील का पैसा लेने से रोक दिया है।
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नौकरीपेशा करदाताओं को अपने आर्थिक भविष्य के बारे में सोचना होगा क्योंकि...
इस देश के 3% सीधे टैक्स देने वालों को लेकर और मूल प्रश्न मेरा यही है कि क्या हमें आर्थिक आज़ादी मिलनी चाहिए या नहीं? सरकार को किसने हक दिया ये आज़ादी छीनने का?
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ईपीएफ के अलावा दूसरा विकल्प देगी सरकार?
कायदे के मुताबिक मेरे वेतन से ईपीएफ का कटना ज़रूरी है। क्या सरकार मुझे ये विकल्प देने पर तैयार है कि मैं अपना पैसा ईपीएफ में जमा ना करूं? ये पैसा मैं स्टॉक मार्केट में क्यों नहीं लगा सकता? सरकार ने अभी तक ईपीएफ से जितना पैसा कमाया है वो कब, कहां और कैसे खर्च हुआ, हमें नहीं पता।
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अभी तक किसानों को क्या मिला?
आज़ादी से लेकर आजतक का वो आकलन कहां है, जो बता सके कि कितने किसान खेतिहर मजदूरी करते हैं। कई बार ऐसे किसानों के पास उनके अस्तित्व के दस्तावेज तक नहीं होते और यही वजह है कि सरकार की बढ़िया से बढ़िया स्कीम का फायदा उन तक नहीं पहुंच पाता है।
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किसानों तक कैसे पहुंचें सरकारी योजनाएं
कोई भी दल, कभी भी चाहे वो सत्ता में हो या सत्ता से बाहर, किसानों के हित की ही बात करता है लेकिन किसानों की हालत में ज़मीनी स्तर पर सुधार अभी बहुत बाकी है।