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This Article is From Apr 25, 2016

न्यायपालिका की चिंता पर सरकार कितनी संजीदा?

Abhigyan Prakash
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 25, 2016 20:55 pm IST
    • Published On अप्रैल 25, 2016 20:55 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 25, 2016 20:55 pm IST
यह बात आज की नहीं, बल्कि बहुत पुरानी है कि इंसाफ में देरी इंसाफ न मिलने के बराबर होती है। अब देश के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ज्यूडिशियरी का बचाव करते हुए खुलकर बोले हैं और उन्होंने सीधे सरकार पर भी सवाल उठाए हैं। आज की और पिछली सभी सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए जस्टिस ठाकुर ने कहा है कि 1987 में लॉ कमीशन ने जजों की संख्या बढ़ाने की बात कही थी, लेकिन आजतक ऐसा नहीं हो पाया है।

आज भी देश में 10 लाख लोगों पर सिर्फ 15 जज हैं और यही संकेत है न्याय व्यवस्था में देरी का जो जस्टिस ठाकुर दे रहे हैं। जस्टिस ठाकुर ने पहली बार सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी का भी जवाब दिया है।

पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में होने वाली गर्मियों की छुट्टियों को लेकर टिप्पणी की थी, इस बात के जवाब में देश के चीफ जस्टिस का कहना है कि जज छुट्टियों में भी काम करते हैं और उन्हें जजमेंट लिखने के लिए भी वक़्त चाहिए होता है, खासतौर पर उन पर जो संवैधानिक मसलों से जुड़े होते हैं। अब देखना है कि न्यायपालिका की इस चिंता को सरकार कैसे लेती है।

(अभिज्ञान प्रकाश एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसआलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवासच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएंज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनकेलिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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