विजय माल्या की कहानी कई उद्योगपतियों और बैंकों के लिए एक मिसाल होनी चाहिए। खासतौर पर इसलिए क्योंकि विजय माल्या ने अपने ब्रैंड को ऐशो-आराम से ज़िंदगी बिताने वाले व्यक्ति का ब्रैंड बनाया। लेकिन इस चकाचौंध के बीच धीरे-धीरे माल्या की पैसे से खोखलेपन की तस्वीरें सामने आती रहीं और अब यह स्थिति आ चुकी है कि माल्या कर्ज़ों में डूबे होने की वजह से बैंकों ने उन्हें एक बिज़नेस डील का पैसा लेने से रोक दिया है।
515 करोड़ की यह रकम शायद कर्ज़ों में डूबे माल्या के लिए बहुत जरूरी होगी। लेकिन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने उन्हें पिछले साल ही डिफॉल्टर घोषित कर दिया है और सबसे बड़ी बात है यह सिस्टम के लिए भी सबक है। जब हम बड़े आर्थिक बदलाव की बात करते हैं तो यह बैंक जिसमें हमारा पैसा है वह किसको दे रहे हैं, जानना बहुत जरूरी है। हाल ही मैं बैंकों के NPA पर बहस हुई है और विजय माल्या भी ठीक वैसे ही NPA की कहानी है। सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई से बड़े कर्ज़दारों की लिस्ट मांग चुका है। और हमें नहीं पता है कि इस देश की लिस्ट मांग चुका है और हमें नहीं पता है कि इस देश के सिस्टम से कितने और माल्या ने फायदा उठाया है।
(अभिज्ञान प्रकाश एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर हैं)
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This Article is From Mar 07, 2016
उद्योगपतियों और बैंकों के लिए एक मिसाल होनी चाहिए विजय माल्या की 'कहानी'
Abhigyan Prakash
- ब्लॉग,
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Updated:मार्च 07, 2016 21:09 pm IST
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Published On मार्च 07, 2016 20:45 pm IST
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Last Updated On मार्च 07, 2016 21:09 pm IST
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