जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में कुछ ही घंटे बाकी रह गए हैं और सभी की नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पीडीपी अपने बूते अकेले सत्ता में आ पाती है, या बीजेपी अपने मिशन 44+ में किसी भी तरह कामयाब हो पाती है, या उसकी भरी-पूरी उम्मीदों पर कश्मीर वादी की तरह ही बर्फबारी हो जाती है। नेशनल कॉन्फ्रेंस उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर पाती है या कांग्रेस अपने लिए उम्मीदों का कोई नया चिराग जला पाती है।
अब नतीजा चाहे कोई भी हो, अपनी उम्मीदों और आशंकाओं के बीच तमाम राजनैतिक पार्टियों ने एकजुट होकर यह तय कर लिया है कि चाहे कोई भी जीते, जश्न नहीं मनाया जाएगा, और यह फैसला उन्होंने पेशावर में मासूम बच्चों की हत्या होने के कारण किया है।
बीजेपी समेत तमाम पार्टियों के नेताओं ने अपनी तरफ से इस बात पर रज़ामंदी दे दी है। अब चाहे वह क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी या एनसी हों, या बीजेपी-कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां, सभी इस मामले में एकमत हैं। दरअसल, पेशावर में जिस क्रूरता के साथ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने मासूम बच्चों का कत्लेआम किया, उससे पूरा भारत गमज़दा है।
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