ओडिशा में गुरुवार को 10 लोकसभा सीटों और 70 विधानसभा सीटों के लिए हुए मतदान में लोगों ने नक्सलियों के बहिष्कार की धमकी और तपती गर्मी के बीच उत्साह से हिस्सा लिया। यहां शांतिपूर्ण संपन्न हुए मतदान में 67 फीसदी लोगों ने मताधिकार का उपयोग किया।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मोना शर्मा ने कहा कि कई जगहों पर ईवीएम में खराबी की वजह से देर शाम तक मतदान जारी था। इस वजह से मतदान के अंतिम आंकड़े मिलने के बाद मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हो सकती है।
शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि कहीं से कोई हिंसा की खबर नहीं है और युवाओं और बुजुर्गो के साथ ही सभी वर्गो के लोगों ने उत्साह के साथ मतदान में हिस्सा लिया।
पुलिस ने बताया कि नक्सल प्रभावित मलकनगिरि जिले में थोड़ी गड़बड़ी हुई। इसके अलावा पूरे राज्य में मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही। मलकनगिरि के मथिली इलाके में नक्सलियों ने ईवीएम ले जा रहे ट्रक में बुधवार रात आग लगा दी। इसकी वजह से चार मतदान केंद्रों पर मतदान नहीं हो सका। इसके अलावा तीन बूथों पर संदिग्ध नक्सलियों ने ईवीएम को नुकसान पहुंचाया।
कई मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे मतदान शुरू होने से पहले ही लंबी कतारें लग गई थीं।
ओडिशा में कुल 2,88,80,850 मतदाता हैं। बची हुई 11 लोकसभा और 77 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 17 अप्रैल को होगा।
शांतिपूर्ण मतदान के लिए राज्य में कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। संवेदनशील इलाकों में अर्धसैनिक बल और पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी।
राज्य के दक्षिणी जिलों-कोरापुत, मलकनगिरि, रायगढ़, कालाहांडी और कंधमाल में लोग नक्सलवादियों के चुनाव बहिष्कार आह्वान का विरोध करते हुए मतदान के लिए मतदान केंद्र पहुंचे।
राज्य में प्रथम चरण के चुनाव में मुख्य मुकाबला मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं गिरिधर गोमांग तथा हेमानंद बिस्वाल के बीच है।
अन्य मुख्य उम्मीदवारों में शामिल हैं राज्य के राजस्व मंत्री सूर्य नारायण पात्रो, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जुअल ओराम, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के.वी. सिंह देव और कांग्रेस नेता नरसिंह मिश्रा।
वर्ष 2009 में 65.3 फीसदी लोगों ने मताधिकार का उपयोग किया था।
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