चुनाव के ऐलान के साथ ही कांग्रेस पार्टी और खुद राहुल गांधी की तरफ से यह साफ कर दिया गया था कि प्रियंका गांधी न तो चुनाव लड़ने जा रही हैं और न ही देशभर में घूमकर प्रचार करने। चुनाव में प्रियंका की भूमिका को लेकर तय किया गया था कि वे सिर्फ अमेठी और रायबरेली में प्रचार करेंगी। अमेठी से भाई राहुल गांधी और रायबरेली से मां सोनिया गांधी मैदान में हैं। ऐसे में प्रियंका गांधी ने इस काम को पारिवारिक ज़िम्मेदारी के तौर पर लिया। राहुल और सोनिया के देश भर में होने वाले दौरे के को-आर्डिनेशन का ज़िम्मा भी प्रियंका को दिया गया। कुल मिलाकर 10 जनपथ और कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका की राजनीतिक सक्रियता को पारिवारिकता से ही जोड़े रखने का संदेश दिया।
जैसे-जैसे अमेठी और रायबरेली में चुनाव की तारीख नजदीक आई प्रियंका की सक्रियता वहां बढ़ी। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वहां की जनता से मिलने मिलाने का प्रोग्राम शुरू हुआ। इसी के साथ प्रियंका की तरफ से बयानों का सिलसिला भी शुरु हुआ। मीडिया प्रियंका की हर गतिविधि और बयानों को प्रमुखता देने लगा। ये इसलिए भी क्योंकि प्रियंका अमेठी रायबरेली में नहीं होतीं है तो मीडिया से पूरी तरह से दूर रहती हैं।
प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा लंबे समय से बीजेपी और आम आदमी पार्टी के निशाने पर रहे हैं। उमा भारती तो यहां तक बयान दे चुकी कि अगर बीजेपी की सरकार आई तो दामाद जी जेल में होंगे। इस तरह के हमले झेलते हुए प्रियंका ने चुनाव प्रचार के दौरान पति वाड्रा को बचाते हुए भावनात्मक बयान दिया। कहा कि परिवार को जितना निशाना बनाया जाएगा वह उतना मज़बूत होकर उभरेगी। प्रियंका यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने स्मृति ईरानी पर हमला बोलकर एक तरह से टीम मोदी को ललकारा। इसके पलटवार में ईरानी ने प्रियंका को बार-बार उनके पति के सरनेम वाड्रा वाड्रा कर संबोधित किया। कुल मिलाकर प्रियंका ने अमेठी-रायबरेली से ही ऐसे संदेश देने शुरू किए जिसे देशभर में सुना जाने लगा।
मामला राहुल-सोनिया बनाम मोदी का चल ही रहा था, ऐसे में तीसरे किरदार के तौर पर प्रियंका का शामिल होना बीजेपी को भारी लगने लगा। ख़ासतौर पर तब जब प्रियंका ने सीधे मोदी पर हमला बोला कि महिला सुरक्षा की बात करते हो और बंद कमरे में हमारे फोन सुनते हो। स्नूपगेट को लेकर मोदी पर पहले भी हमले होते रहे हैं, लेकिन प्रियंका के मुंह से निकले शब्द बीजेपी को तीर की भांति भेद गया। देश चलाने के लिए 56 इंच का सीना नहीं, बल्कि दरियादिली चाहिए- प्रियंका के ये बयान पार्टी को अंदर तक चुभो गया।
दरअसल, जब कोई पुरुष अपने सीने की चौड़ाई की बात करता है तो उसे वह अपने पुरुषार्थ से जोड़कर देख रहा होता है। ऐसे में कोई महिला उससे जोड़कर कोई बात कहे तो उसे अपने पुरुषार्थ पर सवाल लगता है। हमला तब और बड़ा हो जाता है जब निशाने पर बीजेपी के वे ‘विकास पुरुष’ हों, जिसे आगे कर पार्टी सत्ता में आने को एकजुट हुई हो।
प्रियंका को घेरने का मोदी और बीजेपी के पास एक ही रास्ता नज़र आता है। वह है उनके पति राबर्ट वाड्रा से जुड़े विवाद को उछालने का। बीजेपी ने वही किया। ‘दामाद श्री’ नाम से बुकलेट और फिल्म जारी कर बीजेपी ने अपनी तरफ से प्रियंका पर सबसे करारा हमला बोला है। इसमें वाड्रा के हरियाणा और राजस्थान में ज़मीन की डीलिंग पर तमाम सवाल उठाए गए हैं। इस बुकलेट और फिल्म की टाइमिंग राजनीतिक लिहाज़ से बीजेपी को बेशक माकूल लगे, लेकिन इस पर सबसे बड़ा सवाल आम आदमी पार्टी की तरफ से ही उठा दिया गया। संजय सिंह ने बयान जारी कर कहा कि बीजेपी नकलती बच्चे की तरह व्यवहार कर रही है। वे वाड्रा के खिलाफ़ उन्हीं आरोपों को दोहरा रही है, जिसे आम आदमी पार्टी लंबे समय से उठाती रही है। बीजेपी के ‘खुलासे’ को खारिज करते हुए प्रियंका ने बौखलाए चूहे की तरह भागने वाला बयान देकर बीजेपी की खीज को और बढ़ाने का ही काम किया है।
प्रियंका को लेकर माना जाता है कि वह कांग्रेस की ट्रंप कार्ड हैं, जिसे भविष्य की राजनीति में खेला जाएगा। अमेठी-रायबरेली के अपने लिमिटेड रोल में भी प्रियंका बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को जिस तरह से घेरने का काम किया है उसका फ़ायदा बेशक कांग्रेस को इन चुनावों में उस तरह से न हो जैसा कि प्रियंका के चुनाव से बहुत पहले ही सक्रिय हो जाने में होता। लेकिन मोदी और बीजेपी की कोशिश किसी चुनौती के बढ़ने से पहले ही उसे धूल धूसरित करने की है। राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है। कुल मिलाकर प्रियंका और मोदी-बीजेपी के बीच ज़बानी जंग और तीखी होने का अंदेशा है।
This Article is From Apr 28, 2014
चुनाव डायरी : प्रियंका पर क्यों बरस रही है बीजेपी
Umashankar Singh
- Election,
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Updated:नवंबर 19, 2014 16:08 pm IST
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Published On अप्रैल 28, 2014 11:40 am IST
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Last Updated On नवंबर 19, 2014 16:08 pm IST
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