भाजपा नेता अरुण जेटली ने आज 1984 के दंगों के मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया कि ‘सरकार समर्थित’ इस हिंसा के दोषी अब तक बचे हुए हैं।
जेटली ने अपने ब्लॉग में इंदिरा गांधी की मौत के बाद वृहद पैमाने पर हुए निर्दोष सिखों के ‘नर संहार’ को भारतीय लोकतंत्र पर एक ‘काला धब्बा’ बताया। उन्होंने लिखा, हजारों की तादाद में बेगुनाह लोग मारे गए और इससे ज्यादा बुरा क्या हो सकता है कि दोषी अभी भी बेखौफ खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दंगों में सरकार की ‘मिलीभगत’ साफ नजर आती है, किसी भी दंगाई को पुलिस द्वारा दंडित नहीं किया गया।
उन्होंने कहा, राजनीतिक रूप से तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा इसे तर्कसंगत ठहराया गया। लूट और मारकाट के लिए दंगाइयों को खुला छोड़ दिया गया। सालों तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई और न ही कोई गिरफ्तारी हुई। जेटली ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया जो ‘‘राज्य समर्थित’’ इस हिंसा को आश्रय ही प्रदान करने वाला था और इसके इनाम के तौर पर न्यायधीश महोदय को सेवानिवृत्ति के बाद कांग्रेस पार्टी ने राज्य सभा में नामित किया।
उन्होंने कहा कि केवल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ही सरकार थी, जिसने न्यायमूर्ति नानावती आयोग का गठन किया और उसके बाद ही सच्चाई सामने आई।
जेटली ने कहा, नानावती आयोग से पहले जांच एजेंसियों द्वारा हमेशा दंगों में शामिल लोगों को बचाने का प्रयास किया जाता रहा।
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