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SC ने रचा इतिहास, 75 साल में थीं 12, अब एक साथ 11 महिला वकीलों को मिला सीनियर एडवोकेट का दर्जा
- Friday January 19, 2024
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: अभिषेक पारीक
शोभा गुप्ता, स्वरूपमा चतुर्वेदी, लिज मैथ्यू, करुणा नंदी, उत्तरा बब्बर, हरिप्रिया पद्मनाभन, अर्चना पाठक दवे, निशा बागची, एनएस नप्पिनाई, एस जननी और शिरीन खजूरिया को सीनियर एडवोकेट का दर्जा दे दिया गया है.
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PM Security Breach: 'जस्टिस इंदु मल्होत्रा को जांच करने नहीं देंगे, 26 जनवरी को PM को ब्लॉक कर देंगे', SC के वकीलों को आए फोन
- Monday January 17, 2022
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: पवन पांडे
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को फिर से रिकॉर्डेड कॉल आए हैं. कथित तौर पर कॉल खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की ओर से आए हैं. कॉल में कहा गया है कि "26 जनवरी को पीएम मोदी को ब्लॉक कर देंगे." कॉल में चेतावनी दी गई है कि जस्टिस इंदु मल्होत्रा को पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच नहीं करने देंगे.
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'पंजाब सरकार ने किसानों से PM का काफिला रोकने को कहा, खतरे में डाली जान', हरियाणा CM बोले
- Thursday January 13, 2022
- Edited by: पवन पांडे
पंजाब के फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों द्वारा नाकेबंदी के कारण प्रधानमंत्री मोदी का काफिला लगभग 20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसा रहा, जो एक बड़ी सुरक्षा चूक थी. सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की.
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सुप्रीम कोर्ट की महिला जज इंदु मल्होत्रा का आज आखिरी वर्किंग डे, CJI ने याद दिलाया पुराना वाकया
- Friday March 12, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
जस्टिस मल्होत्रा ने सभी बार सदस्यों का शुक्रिया अदा किया. हालांकि, बेंच पर भावुक हो जाने की वजह से वो अपना भाषण पूरा नहीं कर सकीं. सीजेआई ने कहा कि वह भावना को समझ सकते हैं. दूसरे मौके पर इसे पूरा कीजिएगा.
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महाराष्ट्र में बीफ बैन का मामला : जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने खुद को सुनवाई से अलग किया
- Monday July 1, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
महाराष्ट्र में बीफ बैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. वे पहले इस केस में बतौर वकील पेश हुई थीं. अब इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा गया है ताकि नई बेंच का गठन किया जा सके.
- ndtv.in
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CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप- सुप्रीम कोर्ट के इन हाउस पैनल ने खारिज की शिकायत
- Monday May 6, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव
CJI Ranjan Gogoi News: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप (Sex Harassment Case) खारिज हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इन हाउस पैनल ने महिलाकर्मी की शिकायत को खारिज कर दिया. जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के पैनल ने यह फैसला सुनाया. पैनल ने कहा कि आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिले. सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि इन हाउस पैनल की जांच के तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट के 2003 के नियमों के तहत सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
- ndtv.in
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CJI रंजन गोगाई पर आरोप लगाने वाली महिला जांच समिति के सामने हुई पेश, दर्ज कराया अपना बयान
- Saturday April 27, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव
देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली शीर्ष अदालत की पूर्व महिला कर्मचारी शुक्रवार को न्यायालय की आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई. शिकायतकर्ता द्वारा आरोप के संदर्भ में शीर्ष अदालत के 22 न्यायाधीशों को पत्र लिखने के बाद, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे की अगुवाई में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी.
- ndtv.in
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CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी में अब दो महिला जज
- Friday April 26, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी से जस्टिस रमना ने खुद को अलग कर लिया. इसके बाद जस्टिस इंदु मल्होत्रा (Justice Indu Malhotra) को पैनल में तीसरी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.
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समानांतर खड़े होते असहमति के स्वर
- Saturday September 29, 2018
- रवीश कुमार
जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने अयोध्या मामले में तीन जजों की बेंच में असहमति की टिप्पणी दर्ज की. जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सबरीमला मंदिर मामले में असहमति की टिप्पणी दर्ज की है. पहले हम अलग अलग केस में और अलग अलग बेंच में जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की असहमति की टिप्पणियों पर ग़ौर करेंगे.
- ndtv.in
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जानिए, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बहुमत से अलग क्यों रहा जस्टिस इंदु मल्होत्रा का फैसला
- Friday September 28, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
केरल के सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple Case) में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर लगे रोक से बैन हटा दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर के दरवाजे हर उम्र की महिलाओं के लिए खोल दिये. साथ ही बहुमत के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक असंवैधानिक है. बता दें कि अब तक 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी. मगर अब सब मंदिर में दर्शन करने जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 4-1 के बहुमत से आया. क्योंकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा की इस मामले में अलग राय थी.
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
- ndtv.in
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सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को किया रद्द, संविधान पीठ ने 55 मिनट के फैसले में बदला कानून
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
- ndtv.in
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इन 5 जजों ने धारा 377 पर दिया ऐतिहासिक फैसला, कहा- समलैंगिकता अपराध नहीं
- Thursday September 6, 2018
- Written by: नवनीत मिश्र
समलैंगिकता पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.जानिए इनके बारे में.
- ndtv.in
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर सबसे बड़ा फैसला थोड़ी देर में, 10 अहम बातें
- Thursday September 6, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.
- ndtv.in
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समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.
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SC ने रचा इतिहास, 75 साल में थीं 12, अब एक साथ 11 महिला वकीलों को मिला सीनियर एडवोकेट का दर्जा
- Friday January 19, 2024
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: अभिषेक पारीक
शोभा गुप्ता, स्वरूपमा चतुर्वेदी, लिज मैथ्यू, करुणा नंदी, उत्तरा बब्बर, हरिप्रिया पद्मनाभन, अर्चना पाठक दवे, निशा बागची, एनएस नप्पिनाई, एस जननी और शिरीन खजूरिया को सीनियर एडवोकेट का दर्जा दे दिया गया है.
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PM Security Breach: 'जस्टिस इंदु मल्होत्रा को जांच करने नहीं देंगे, 26 जनवरी को PM को ब्लॉक कर देंगे', SC के वकीलों को आए फोन
- Monday January 17, 2022
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: पवन पांडे
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को फिर से रिकॉर्डेड कॉल आए हैं. कथित तौर पर कॉल खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की ओर से आए हैं. कॉल में कहा गया है कि "26 जनवरी को पीएम मोदी को ब्लॉक कर देंगे." कॉल में चेतावनी दी गई है कि जस्टिस इंदु मल्होत्रा को पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच नहीं करने देंगे.
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'पंजाब सरकार ने किसानों से PM का काफिला रोकने को कहा, खतरे में डाली जान', हरियाणा CM बोले
- Thursday January 13, 2022
- Edited by: पवन पांडे
पंजाब के फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों द्वारा नाकेबंदी के कारण प्रधानमंत्री मोदी का काफिला लगभग 20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसा रहा, जो एक बड़ी सुरक्षा चूक थी. सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की.
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सुप्रीम कोर्ट की महिला जज इंदु मल्होत्रा का आज आखिरी वर्किंग डे, CJI ने याद दिलाया पुराना वाकया
- Friday March 12, 2021
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
जस्टिस मल्होत्रा ने सभी बार सदस्यों का शुक्रिया अदा किया. हालांकि, बेंच पर भावुक हो जाने की वजह से वो अपना भाषण पूरा नहीं कर सकीं. सीजेआई ने कहा कि वह भावना को समझ सकते हैं. दूसरे मौके पर इसे पूरा कीजिएगा.
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महाराष्ट्र में बीफ बैन का मामला : जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने खुद को सुनवाई से अलग किया
- Monday July 1, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक
महाराष्ट्र में बीफ बैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. वे पहले इस केस में बतौर वकील पेश हुई थीं. अब इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा गया है ताकि नई बेंच का गठन किया जा सके.
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CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप- सुप्रीम कोर्ट के इन हाउस पैनल ने खारिज की शिकायत
- Monday May 6, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव
CJI Ranjan Gogoi News: चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप (Sex Harassment Case) खारिज हो गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इन हाउस पैनल ने महिलाकर्मी की शिकायत को खारिज कर दिया. जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के पैनल ने यह फैसला सुनाया. पैनल ने कहा कि आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिले. सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि इन हाउस पैनल की जांच के तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट के 2003 के नियमों के तहत सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.
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CJI रंजन गोगाई पर आरोप लगाने वाली महिला जांच समिति के सामने हुई पेश, दर्ज कराया अपना बयान
- Saturday April 27, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव
देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली शीर्ष अदालत की पूर्व महिला कर्मचारी शुक्रवार को न्यायालय की आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश हुई. शिकायतकर्ता द्वारा आरोप के संदर्भ में शीर्ष अदालत के 22 न्यायाधीशों को पत्र लिखने के बाद, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे की अगुवाई में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी.
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CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी में अब दो महिला जज
- Friday April 26, 2019
- Reported by: आशीष भार्गव
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी से जस्टिस रमना ने खुद को अलग कर लिया. इसके बाद जस्टिस इंदु मल्होत्रा (Justice Indu Malhotra) को पैनल में तीसरी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.
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समानांतर खड़े होते असहमति के स्वर
- Saturday September 29, 2018
- रवीश कुमार
जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने अयोध्या मामले में तीन जजों की बेंच में असहमति की टिप्पणी दर्ज की. जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सबरीमला मंदिर मामले में असहमति की टिप्पणी दर्ज की है. पहले हम अलग अलग केस में और अलग अलग बेंच में जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की असहमति की टिप्पणियों पर ग़ौर करेंगे.
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जानिए, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बहुमत से अलग क्यों रहा जस्टिस इंदु मल्होत्रा का फैसला
- Friday September 28, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
केरल के सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple Case) में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर लगे रोक से बैन हटा दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर के दरवाजे हर उम्र की महिलाओं के लिए खोल दिये. साथ ही बहुमत के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक असंवैधानिक है. बता दें कि अब तक 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी. मगर अब सब मंदिर में दर्शन करने जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 4-1 के बहुमत से आया. क्योंकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा की इस मामले में अलग राय थी.
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सुप्रीम कोर्ट के ये हैं 5 जज, जिन्होंने समलैंगिकता के बाद अब व्यभिचार को किया अपराध से बाहर
- Thursday September 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता (Adultery under Section 497) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने व्यभिचार को आपराधिक कृत्य बताने वाले दंडात्मक प्रावधान को सर्वसम्मति से निरस्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने 157 साल पुराने व्यभिचार को रद्द कर दिया और कहा कि किसी पुरुष द्वारा विवाहित महिला से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार कानून असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि व्यभिचार कानून मनमाना और भेदभावपूर्ण है. यह लैंगिक समानता के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बता दें कि इस पीठ ने ही धारा 377 पर अपना अहम फैसला सुनाया था. इससे पहले इसी बेंच ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग किया था. तो चलिए जानते हैं उन पांचों जजों के बारे में...
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सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को किया रद्द, संविधान पीठ ने 55 मिनट के फैसले में बदला कानून
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
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इन 5 जजों ने धारा 377 पर दिया ऐतिहासिक फैसला, कहा- समलैंगिकता अपराध नहीं
- Thursday September 6, 2018
- Written by: नवनीत मिश्र
समलैंगिकता पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.जानिए इनके बारे में.
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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में धारा 377 पर सबसे बड़ा फैसला थोड़ी देर में, 10 अहम बातें
- Thursday September 6, 2018
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समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.
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समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
- Thursday September 6, 2018
- Reported by: आशीष भार्गव
समलैंगिकता को अवैध बताने वाली IPC की धारा 377 की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा. पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सहमति से दो व्यस्कों द्वारा बनाए गए यौन संबंध अपराध के दायरे में आएंगे या नहीं. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं. शुरुआत में संविधान पीठ ने कहा था कि वो जांच करेंगे कि क्या जीने के मौलिक अधिकार में 'यौन आजादी का अधिकार' शामिल है, विशेष रूप से 9-न्यायाधीश बेंच के फैसले के बाद कि 'निजता का अधिकार' एक मौलिक अधिकार है.
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