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This Article is From Apr 25, 2019

CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी में अब दो महिला जज

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी से जस्टिस रमना ने खुद को अलग कर लिया. इसके बाद जस्टिस इंदु मल्होत्रा (Justice Indu Malhotra) को पैनल में तीसरी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.

CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी में अब दो महिला जज
जस्टिस इंदु मल्होत्रा CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी में शामिल.
नई दिल्ली:

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी कमेटी से जस्टिस रमना ने खुद को अलग कर लिया. इसके बाद जस्टिस इंदु मल्होत्रा (Justice Indu Malhotra) को पैनल में तीसरी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. बता दें कि अब CJI के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट इन हाउस जांच पैनल में दो महिला जज शामिल हो गईं हैं. इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों (Sexual Harassment Allegations) की आंतरिक जांच के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे (Justice SA Bobde) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी.

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जस्टिस बोबडे के साथ इस कमेटी में शीर्ष न्यायालय के दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एनवी रमना और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी शामिल थीं. चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच के लिए बने पैनल से जस्टिस रमना पीड़ित महिला के एतराज़ के बाद अलग हो गए. महिला का कहना था कि जस्टिस रमना चीफ़ जस्टिस के बहुत करीबी हैं. 

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इधर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ किसी साज़िश के अंदेशे की जांच सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक को सौंप दी है. इस जांच में आईबी, सीबीआई और दिल्ली पुलिस के अफ़सर उनके साथ सहयोग करेंगे. जस्टिस पटनायक सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट देंगे- हालांकि इसकी समय सीमा तय नहीं है. ये बात साफ कर दी गई है कि जस्टिस पटनायक की जांच के दायरे में मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप का मामला नहीं होगा. जानी-मानी वकील और पूर्व एएसजी इंदिरा जय सिंह ने इस बीच ये कहा है कि इस मामले की ठीक से जांच होनी चाहिए और देखना चाहिए कि साज़िश की बात करने वाला वकील कौन है. उन्होंने ये भी याद दिलाया है कि ऐसे आरोप के बीच चीफ़ जस्टिस को क़ायदे से ख़ुद को प्रशासकीय कामकाज से अलग कर लेना चाहिए. 

बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोप को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए'. सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा था कि न्यायपालिका खतरे में है. अगले हफ्ते कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होनी है, इसीलिये जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए गए. सीजेआई ने कहा कि क्या चीफ जस्टिस के 20 सालों के कार्यकाल का यह ईनाम है? 20 सालों की सेवा के बाद मेरे खाते में सिर्फ  6,80,000 रुपये हैं. कोई भी मेरा खाता चेक कर सकता है.

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सीजेआई ने कहा कि, यहां तक कि मेरे चपरासी के पास भी मुझसे ज्यादा पैसे हैं. रंजन गोगोई ने कहा कि न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता है. सीजेआई ने कहा, ‘मैंने आज अदालत में बैठने का असामान्य और असाधारण कदम उठाया है क्योंकि चीजें बहुत आगे बढ़ चुकी हैं. कुछ लोग सीजेआई के ऑफिस को निष्क्रिय करना चाहते हैं. लोग पैसे के मामले में मुझ पर ऊंगली नहीं उठा सकते थे, इसलिये इस तरह का आरोप लगाया है. सीजेआई ने कहा कि मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करूंगा. जिन्होंने मुझपर आरोप लगाए हैं, वे जेल में थे और अब बाहर हैं. इसके पीछे कोई एक शख़्स नहीं है, बल्कि कई लोगों का हाथ है. 

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सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि जिस महिला ने आरोप लगाया है, वह 4 दिन जेल में थी. महिला ने किसी शख़्स को सुप्रीम कोर्ट में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था और पैसे लिये थे. आपको बता दें कि सीजेआई पर आरोप लगने वाली महिला उच्चतम न्यायालय की पूर्व कर्मचारी है. उच्चतम न्यायालय के 22 न्यायाधीशों के आवास पर महिला के शपथपत्रों की प्रतियां भेजी गईं जो शनिवार को सार्वजनिक हो गईं. इसके बाद मामले में विशेष सुनवाई हुई. पीठ में  न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और संजीव खन्ना शामिल थे. 

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हलफनामे में क्या लिखा है
आरोप लगाने वाली पूर्व कर्मचारी ने अपने हलफनामे में दो घटनाओं का जिक्र किया है, जब सीजेआई गोगोई ने कथित तौर पर उसका उत्पीड़न किया. दोनों ही घटनाएं कथिततौर पर अक्टूबर 2018 में हुईं. दोनों घटनाएं सीजेआई के तौर पर उनकी नियुक्ति के बाद की हैं. उच्चतम न्यायालय के महासचिव संजीव सुधाकर कलगांवकर ने इस बात की पुष्टि की है कि अनेक न्यायाधीशों को एक महिला के पत्र प्राप्त हुए हैं. साथ ही कहा कि महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं.  उन्होंने कहा,‘‘ इसमें कोई शक नहीं है कि ये दुर्भावनापूर्ण आरोप हैं''. दूसरी तरफ, अदालत ने कहा कि वह इस बात को मीडिया के विवेक पर छोडती है कि सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में जिम्मेदार ढंग से पेश आना है. आपको बता दें कि सुनवाई के लिए पीठ का गठन उस वक्त किया गया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के संबंध में अधिकारियों को बताया. 

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