महाराष्ट्र में बीफ बैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. वे पहले इस केस में बतौर वकील पेश हुई थीं. अब इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा गया है ताकि नई बेंच का गठन किया जा सके.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. महाराष्ट्र के कुरैशी समाज समेत कई संगठनों ने महाराष्ट्र में बीफ बैन को चुनौती दी है. वहीं कुछ गैर सरकारी संगठनों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जो कि बीफ पर पूरी तरह बैन चाहते हैं. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने नोटिस जारी किया था.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि 16 साल से बड़ी उम्र के बैल किसान के किसी काम के नहीं हैं. ऐसे में किसान उन्हें बेचकर पैसा भी कमा सकते हैं. इस पाबंदी से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं, इसलिए राज्य में 16 साल से ऊपर के बैलों की स्लॉटरिंग की इजाजत दी जाए. याचिका में कहा गया है कि इस मुद्दे पर राजनीति की जा रही है.
इससे पहले भी बीफ बैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था. बॉम्बे हाईकोर्ट के बीफ खाने की इजाजत के फैसले के खिलाफ अखिल भारतीय कृषि गोसेवा संघ की याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. महाराष्ट्र में जारी बीफ बैन पर बड़ा फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीफ पर पाबंदी जारी रहने का फैसला दिया था, लेकिन बीफ खाने पर लगी पाबंदी को उठाते हुए अन्य राज्यों से महाराष्ट्र में बीफ लाकर बेचने की इजाजत दे दी थी.
महाराष्ट्र में बीफ बैन मामला : कुरैशी समाज ने महाराष्ट्र में बीफ बैन को दी चुनौती
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 'राज्य में बीफ पर पाबंदी जारी रहेगी, लेकिन बाहर के राज्यों से (जिन राज्यों में इसकी इजाजत है) महाराष्ट्र में बीफ लाया जा सकता है और लोग बीफ खा भी सकते हैं. बीफ रखने वालों को सारे सबूत हमेशा रखने होंगे, जिससे कभी कोई शिकायत आए तो वे खुद को निर्दोष साबित कर सकें. ऐसे में उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती है.
VIDEO : महाराष्ट्र में बीफ रखना जुर्म नहीं, साबित करना होगा बाहर से आया
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