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हर सांस में बढ़ रहा है खतरा, हवा में घुला जहर इन लोगों के लिए खतरनाक

हर सांस के साथ हमारे अंदर जहर का धुआं उतर रहा है. अब हवा नहीं बल्कि प्रदूषण हमारी सेहत का हाल तय कर रहा है. जानिए कैसे एयर पॉल्यूशन हमारे फेफड़ों से लेकर दिल तक असर डाल रहा है और खुद को इससे कैसे बचाया जा सकता है.

हर सांस में बढ़ रहा है खतरा, हवा में घुला जहर इन लोगों के लिए खतरनाक
Air Pollution Effects: सांसें तो ले रहे हैं, पर अब हवा भी जिंदगी नहीं, खतरा बन गई है.

Air Pollution Effects: सर्दियों के आते ही हवा में धुआं और धूल मिलकर ऐसा माहौल बना देते हैं कि हर सांस भारी लगती है. कई शहरों में हवा इतनी खराब हो जाती है कि बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है. लेकिन असली खतरा वो है जो नजर नहीं आता. हवा में मौजूद जहरीले कण (toxic particles) हमारे फेफड़ों में जाकर धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं. जब हम सांस लेते हैं, तो ऑक्सीजन फेफड़ों (lungs) से खून में जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है. यही प्रक्रिया हमें जीवित रखती है. लेकिन जब हवा में प्रदूषण (pollution) बढ़ जाता है, तो यही सांस हमारे लिए जहर बन जाती है.

जब हवा गंदी हो जाती है- (When the Air is Polluted)

हमारी सांस की नली के अंदर छोटे-छोटे बाल जैसे रेशे होते हैं जिन्हें सिलिया कहा जाता है. ये हवा में मौजूद धूल और गंदगी को बाहर निकालने का काम करते हैं. लेकिन जब प्रदूषण ज्यादा होता है, तो सिलिया सभी जहरीले कणों को रोक नहीं पाते. कुछ कण फेफड़ों के गहराई तक पहुंच जाते हैं और वहां जाकर सूजन पैदा करते हैं. शरीर का इम्यून सिस्टम इन्हें बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिससे खांसी, गले में खराश और सांस फूलने जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं. रिसर्च बताती है कि ये सूक्ष्म कण खून में घुसकर दिमाग, दिल और यहां तक कि गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकते हैं.

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क्यों खतरनाक हैं सूक्ष्म कण- (Why Particulate Matter is Dangerous)

हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण जिन्हें PM 2.5 और PM 10 कहा जाता है, सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं. PM 10 कण नाक या गले में रुक सकते हैं, लेकिन PM 2.5 कण सीधे फेफड़ों के अंदर तक पहुंचकर खून में मिल जाते हैं. ये शरीर की इम्यूनिटी सिस्टम को भी मात दे देते हैं. लगातार ऐसे वातावरण में सांस लेने से आंखों में जलन, छाती में भारीपन, थकान और अस्थमा के दौरे जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. लंबे समय तक ऐसा जारी रहे तो फेफड़ों की क्षमता घटने लगती है और दिल की बीमारियों और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

लंबे समय के नुकसान- (Long-term Effects)

अगर कोई लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेता रहे, तो उसका असर गहरा और खतरनाक होता है...

  • फेफड़ों की ताकत कम हो जाती है
  • दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है
  • अस्थमा या एलर्जी बढ़ जाती है
  • बच्चों में फेफड़ों का विकास रुक सकता है
  • उम्र से पहले फेफड़े बूढ़े हो जाते हैं
  • हार्ट डिजीज और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है

खुद को कैसे बचाएं-

  • बाहर निकलते समय मास्क पहनें, खासकर जब हवा का स्तर खराब हो
  • घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें
  • ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में सुबह की वॉक या रनिंग से बचें
  • घर में पौधे लगाएं जैसे एलोवेरा, स्नेक प्लांट और पीस लिली, जो हवा को साफ करने में मदद करते हैं
  • अपने इलाके में पेड़ लगाने की पहल करें

किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा- (Who is Most at Risk)

हवा में मौजूद प्रदूषण का असर सभी पर होता है, लेकिन कुछ लोग ज्यादा संवेदनशील होते हैं. दिल या फेफड़ों की बीमारी वाले मरीज, गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा जोखिम में रहते हैं. इसके अलावा बाहर काम करने वाले मजदूर और खिलाड़ी भी ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि वे लगातार ज्यादा हवा अंदर लेते हैं. एक इंसान रोजाना करीब 10,000 लीटर हवा अपने फेफड़ों से गुजारता है. सोचिए अगर वही हवा जहरीली हो तो शरीर पर क्या असर होगा. इसलिए जरूरी है कि हम मास्क पहनें, घर में पौधे लगाएं और बाहर तभी जाएं जब हवा थोड़ी साफ हो. क्योंकि साफ हवा ही हमारी जिंदगी की असली ताकत है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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