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    डिनर विथ डीसी..सरकार की जनता तक पहुंचने की अनूठी पहल

    आम लोगों तक पहुंचने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत डीसी ने की है, जिसमें लोग सीधे अपनी बात डीसी से कहते है . जमीन पर सभी बैठते हैं और सामने माइक पर डीसी केंद्र सरकार और राज्य की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं.

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    हम किसे शहीद कहें!

    सेना ने दो फरवरी को जारी अपने पत्र में यह भी कहा है कि देश की सुरक्षा और एकता के लिए कुर्बानी देने वाले सैनिकों को लिए छह शब्दों के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है. इन शब्दों में किल्ड इन एक्शन (कार्रवाई के दौरान मृत्यु) ,लेड डाउन देयर लाइफ्स (अपना जीवन न्यौछावर करना), सुप्रीम सेक्रिफाइस फॉर नेशन ( देश के लिए सर्वोच्च बलिदान), फॉलन हीरोज  (लड़ाई में मारे गए हीरो), इंडियन आर्मी ब्रेव्स (भारतीय सेना के वीर) , फॉलन सोल्जर्स (ऑपरेशन में मारे गए सैनिक) शामिल है .

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    अपनी ही महिला अफसरों से क्यों बच रही है फौज?

    सेना में शामिल इन महिला अफसरों को शुरू से ही अपनी काबिलियत साबित करनी पड़ी है । ये 21 से 23 साल की उम्र में सेना में शामिल हुई. ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई में कड़ी ट्रेनिंग के बाद सेना की वर्दी पहनी और कसम खाई कि देश सबसे पहले, उसके बाद देशवासी और सबसे आखिर में वे स्वयं.

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    कोरोना संकट में भारतीय कंपनियों का संकटमोचक चेहरा

    पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स (PPE) किट को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. चीन से आए लगभग 63,000 किट खराब गुणवत्ता के हैं. असम ने चीन से मंगाए 50,000 PPE किट का इस्तेमाल तब तक नहीं करने का फैसला किया है, जब तक इनकी गुणवत्ता प्रमाणित नहीं हो जाती. PPE किट के महत्व का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिना इसे पहने अगर कोई डॉक्टर या नर्स कोरोना मरीज़ का इलाज करता है तो उसके संक्रमित होने का खतरा ज़्यादा होता है. ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आखिर यह परीक्षण कैसे होता है और कौन करता है.

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    जांबाज सैनिक कभी नहीं मरता

    ये बात है एक ऐसे योद्धा की जिसने आतंकियों  को लड़ाई में कई बार धूल चटाई और हमेशा ही जीत हासिल की और कैंसर जैसी घातक बीमारी भी उसका हौसला नही तोड़ सकी. उन्होंने कैंसर के खिलाफ न केवल लंबी लड़ाई लड़ी बल्कि मैराथन तक में जौहर दिखाए. अंतिम क्षण तक उनके चेहरे पर शिकन का नामोनिशान नहीं था. अब वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमारे बीच है उनकी बहादुरी के किस्से और जांबाजी की कहानी अब इतिहास में दर्ज हो चुकी है.

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    कोरोना की त्रासदी में फंसा आम आदमी

    कोरोना के कहर से बचने के लिये हम सबकी जिंदगी घर की चारदीवारियों में कैद हो गई है. लेकिन नींद कोसों दूर है. अलग तरह की बेचैनी और छटपटाहट है. दिल्ली से भागलपुर तक जिस किसी से बात हो रही है वो यही कह रहा है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. सबको अंदर से झकझोर दिया है. मुद्दे की बात करूं तो सबसे पहले तीन तस्वीरें आपके सामने रखना चाहूंगा. मुंबईवासी के जिगर के टुकड़े  ब्रिटेन में कोरोना की वजह से फंस गये तो उसे लाने के लिये उसके परिवार ने विशेष विमान भेज दिया. खर्च आया मात्र 90 लाख. ऐसे ही जब वुहान, इटली, ईरान और मलेशिया जैसे देशों में सैकड़ों लोग कोरोना की वजह से फंस गये तो सरकार विशेष यात्री विमान भेजकर उनको सुरक्षित वापस ले आई.

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    संकट में भी अपराजेय सरकारी डॉक्टर और निजी अस्पतालों की खुलती पोल

    कोरोना से आज दुनियाभर में सरकारी एजेंसियां ही मुकाबला कर रही हैं, कहीं भी कोई भी निजी संगठन योगदान देता नज़र नहीं आ रहा है. यही हाल अपने देश में भी है. कोरोना संक्रमण की पहचान से लेकर उपचार की बात हो या संदिग्ध मरीजों को अलग-थलग रखने की, हमेशा सेना और अर्द्धसैनिक बल ही सामने आए.

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    कश्मीर : कार्रवाई या कोरी अफवाहें...

    दिल्ली से लेकर मुंबई तक आज आप किसी से भी कश्मीर के बारे में पूछें तो वह यही कहेगा कि वहां कुछ होने वाला है. कश्मीर में रहने वाले लोगों से बात करें तो वे भी यही कहेंगे कि कुछ बड़ा होने वाला है. सुरक्षा बलों से बात करें तो उनका कहना है कि हमें तो जैसा ऊपर से आदेश मिलेगा हम उस पर अमल करेंगे. रही सही कसर अमरनाथ यात्रा को 15 दिन पहले खत्म करने और पर्यटकों को कश्मीर छोड़ने की हिदायत देने से पूरी हो गई है.

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    यदि आज भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ जाए तो...!

    चीन तो क्या, यह बात हर कोई जानता है कि अब लड़ाई किसी देश के बूते की बात नहीं है. हां, बस इसके नाम पर दबाव जरूर बनाया जा सकता है. सच्चाई यह है कि भारत, अमेरिका और जापान की दोस्ती चीन को रास नहीं आ रही है, लिहाजा वह दबाव बनाने के लिए यह सब कर रहा है.

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    क्या नोटबंदी की तरह ही अचानक होंगी सैन्य प्रमुख समेत अहम पदों पर नियुक्तियां?

    देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब 31 दिसंबर को थलसेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा, रॉ प्रमुख राजेन्द्र खन्ना और इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख दिनेश्वर शर्मा एकसाथ रिटायर हो रहे हैं, लेकिन सुरक्षा से जुड़े इन अहम पदों के उत्तराधिकारी कौन होंगे, यह अब तक तय नहीं हो पाया है.

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    सेना की 'रणनीति' के कारण लंबा चला पंपोर ऑपरेशन

    पंपोर में तीन आतंकियों के खात्मे में सेना को तीन दिन लग गए. इस ऑपरेशन में सेना का एक जवान मामूली तौर पर घायल हुआ. इसके अलावा सेना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. ऐसे में कई लोग सवाल उठाने लगे है कि आखिर सेना की क्षमता या फिर ताकत इतनी कम हो गई जो उसे चंद आतंकियों को मार गिराने इतना वक्त लग गया!

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    सेना को राजनीतिक रोटियां सेंकने का जरिया न बनाएं...

    सर्जिकल आपरेशन न हुआ मानो किसी राजनीतिक दल का घोषणा-पत्र हो गया जिस पर हर ‘ऐरा-गैरा नत्थू खैरा’ सवाल खड़े कर रहा है. अलग-अलग अंदाज में पूरे ऑपरेशन पर प्रश्नचिह्न लगाए जा रहे हैं और उस पर जुमला यह कि ‘हम पूरी तरह से सरकार और सेना के साथ हैं.’ क्या साथ ऐसा होता है जिससे विश्वास से ज्यादा अविश्वास की बू आए?

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    #युद्धकेविरुद्ध : इतने अधीर क्यों हैं हम?

    उरी में आतंकवादी हमला हुए तकरीबन एक हफ्ते का वक़्त बीत चुका है. ऐसा नहीं है कि इस हमले में 18 जवानों की शहादत के बाद सेना या सरकार चुप बैठे हैं. बावजूद इसके देश में हर तरफ से ढेरों बातें आने लगी हैं. कोई कह रहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक कीजिए तो कोई युद्ध न किये जाने का पैरोकार है.

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    ये पैलेट गन क्या है और क्यों पुलिस और सीआरपीएफ ने प्रदर्शनकारियों पर इसका इस्तेमाल किया?

    हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी कमांडर बुरहान वानी के मारे के बाद सुरक्षा बल और प्रदर्शनकारियों के बीच अब तक सैकड़ों दफा हिंसक झड़पें हो चुकी है। कई दफा भीड़ को तितर बितर करने के लिए सुरक्षा बल पैलेट गन का इस्तेमाल करते हैं।

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    पंपोर हमला : आप खुद ही तय कीजिए कौन शेर है और कौन गीदड़...

    पंपोर में हुए आतंकी हमले के बाद हाफिज सईद का दामाद और आतंकी संगठन जमात उद दावा का नंबर टू अब्दुल रहमान मक्की ने कहा कि दो शेरों ने गीदड़ों के काफिलों को घेर लिया।

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    आतंकी उस्मान को जिंदा पकड़ने का श्रेय किसे?

    मुंबई हमले के कसूरवार कसाब के बाद अब उस्मान जिंदा पकड़ा गया है । हालांकि अभी इस पर विवाद चल रहा है कि आखिर इस आतंकी को जिंदा किसने पकड़ा।

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    राजीव रंजन : आने वाले खतरे की चेतावनी दे गया पंजाब का हमला

    करीब बीस सालों के बाद पंजाब में हुए आतंकी हमले ने सबकी कलई खोलकर रख दी। कलई इसलिए अगर आतंकी अपने नापाक मंसूबे में कामयाब हो जाते तो मरने वालों की तादाद कहीं ज्यादा होती। इस हमले में कुल नौ लोगों की मौत हुई है।

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    श्रद्धांजलि तो ठीक, मगर समस्या का समाधान कब होगा पीएम साहब

    किसी ने क्या खूब कहा है इट हैपंस ओनली इन इंडिया। करगिल विजय दिवस है आज। 16 साल पहले दो महीने की लड़ाई के बाद पाकिस्तानी घुसपैठिओं को हमारे सेना के जांबाजों ने मार भगाया था। अलग बात है कि इसकी कीमत करीब 500 जवानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

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    राजीव रंजन : बिहार में जेपी के नाम के जरिए चुनावी जंग

    बिहार के चुनाव को ध्यान में रखकर नरेंद मोदी सरकार कमर कस रही है। कोशिश यही है कि कोई कसर न रह जाए। लोकनायक जयप्रकाश नारायण को भुनाने की कोशिश भी शुरू हो गई है।

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    वन रैंक वन पेंशन : अर्धसैनिक बलों को भी हक़ चाहिए

    वन रैंक वन पेंशन को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों का आमरण अनशन अब दूसरे हफ्ते में दाखिल हो चुका है और सरकार का कोई भी नुमाइंदा अभी तक पूर्व सैनिकों से मिलने तक नहीं आया है।

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