कश्मीर में शांति और विकास की राह पाकिस्तान की रणनीति के आड़े आती है, क्योंकि वह क्षेत्र में अशांति बनाए रखते हुए भारत की संप्रभुता को चुनौती देना चाहता है. भारत का मानना है कि यदि कश्मीर शिक्षा, औद्योगीकरण और रोजगार के अवसरों के जरिए समृद्ध और स्थिर बने, तो वह स्वाभाविक रूप से देश की मुख्यधारा से एकीकृत हो जाएगा, जिससे पाकिस्तान के दावे अप्रासंगिक साबित हो जाएंगे.
पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित कर और युवाओं को दुष्प्रचार के जरिए कट्टरपंथी बनाकर कश्मीर में विकास की गति को बाधित करना चाहता है. उसका मकसद पर्यटन जैसे अहम आर्थिक क्षेत्र को नुकसान पहुंचाना, सांप्रदायिक तनाव भड़काना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर मुद्दे को जिंदा रखना है, जबकि यह भारत का आंतरिक मामला है.
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई. यह हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की एक कड़ी है, जिसने न सिर्फ मानवीय क्षति पहुंचाई बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और निवेश माहौल को भी गहरा झटका दिया.
पर्यटन उद्योग को लगा गहरा आघात

पहलगाम हमले के बाद जम्मू कश्मीर के 48 पर्यटन स्थलों पर सरकार ने ताले लगवा दिए हैं.
सुरक्षा कारणों से 87 में से 48 अधिकृत पर्यटक स्थल बंद कर दिए गए हैं.
हमले के बाद के कुछ ही दिनों में 10 लाख से अधिक पर्यटक बुकिंग रद्द हुईं, जबकि अप्रैल से जून का समय चरम पर्यटन सीजन होता है.
सिर्फ दो हफ्तों में पर्यटन क्षेत्र को एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ.
अनंतनाग और बारामुला जैसे जिलों की 70 फीसदी से अधिक आबादी पर्यटन पर निर्भर है. होटल स्टाफ, टट्टू चालक, शिकारा चलाने वाले और हस्तशिल्प व्यापारी अब बेरोजगारी की स्थिति में पहुंच गए हैं.
निवेश परियोजनाओं पर संकट के बादल
दुबई के इमार ग्रुप की 500 करोड़ रुपये की 'मॉल ऑफ श्रीनगर' परियोजना, जिससे 10,000 से अधिक नौकरियों की उम्मीद थी, अब सुरक्षा चिंताओं के कारण अधर में है.
Noon.com, Al Maya Group, GL Employment और MATU Investments जैसी कंपनियों ने जम्मू कश्मीर में निवेश की रुचि दिखाई है, लेकिन वर्तमान अस्थिरता उन्हें पीछे हटने या निर्णय टालने को मजबूर कर सकती है.
जम्मू-कश्मीर में 25 हजार करोड़े रुपये के निवेश वाली परियोजनाएं चल रही हैं. ये परियोजनाएं उद्योग, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे जैसे क्षेत्रों में हैं.अब तक 1,767 निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी जा चुकी है, इनमें कुल 24 हजार 729 करोड़ का निवेश शामिल है.
इसके अतिरिक्त निवेश के साढ़े आठ हजार और प्रस्ताव भी हैं. इनमें 1.69 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है. इनसे छह लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की उम्मीद थी.इसके अलावा 50 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव विचाराधीन हैं, लेकिन वर्तमान असुरक्षा ने इन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.राज्य के अनिश्चित माहौल की वजह से कई घरेलू निवेशक या तो अपने फैसलों की समीक्षा कर रहे हैं या उन्हें टाल रहे हैं.
हमले के बाद पैदा हुआ जोखिम
पहलगाम हमले ने निवेशकों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है. इससे न सिर्फ मौजूदा परियोजनाओं की रफ्तार धीमी हो सकती हैं, बल्कि नए निवेश प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में डाले जा सकते हैं.सुरक्षा की बढ़ी हुई ज़रूरतें परियोजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन में बाधा बन सकती हैं.

पहलगाम के बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद घटनास्थल पर पहुंचे सुरक्षा बलों के जवान.
राज्य में निवेश से पैदा होने वाले रोजगार के अवसर अब अनिश्चित हो गए हैं, इससे युवाओं और स्थानीय लोगों की उम्मीदें धूमिल हुई हैं.पर्यटन और निवेश दोनों क्षेत्रों में आई बाधाओं से क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि रुक सकती है.
स्थानीय जनता की स्थिति
आतंकवादी नेटवर्क के विरुद्ध व्यापक अभियान चलाए गए हैं. अब तक करीब दो हजार संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और कई आतंकियों के घर ढहा दिए गए हैं. संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त और निगरानी बढ़ा दी गई है, जिससे आम जनता को असुविधा हो सकती है.
सुरक्षा अभियानों और भविष्य में हमले की आशंका से आम लोग भयभीत हैं.पर्यटन पर निर्भर हजारों परिवार अब गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं.
कुल मिलाकर पाकिस्तान ने अपनी रणनीति पर अमल करते हुए अपना नापाक मंसूबा पूरा कर लिया. कश्मीर में पर्यटकों की चहल पहल थम गई है. होटल और शिकारे खाली पड़े हैं. देश में हिंदू मुसलमान के बीच खाई और गहरी हो गई है. कश्मीर को एक बार फिर विकास और मुख्यधारा की पटरी पर लाने में शायद अब सालों लग जाएं.
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