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This Article is From Apr 23, 2020

कोरोना संकट में भारतीय कंपनियों का संकटमोचक चेहरा

Rajeev Ranjan
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 23, 2020 16:43 pm IST
    • Published On अप्रैल 23, 2020 16:43 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 23, 2020 16:43 pm IST

पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स (PPE) किट को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. चीन से आए लगभग 63,000 किट खराब गुणवत्ता के हैं. असम ने चीन से मंगाए 50,000 PPE किट का इस्तेमाल तब तक नहीं करने का फैसला किया है, जब तक इनकी गुणवत्ता प्रमाणित नहीं हो जाती. PPE किट के महत्व का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिना इसे पहने अगर कोई डॉक्टर या नर्स कोरोना मरीज़ का इलाज करता है तो उसके संक्रमित होने का खतरा ज़्यादा होता है. ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आखिर यह परीक्षण कैसे होता है और कौन करता है.

देश में राष्ट्रीय स्वास्थ और कल्याण मंत्रालय ने कोयम्बटूर के SITRA, यानी साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन के अलावा आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के कानपुर में दो, चेन्नई, मुरादाबाद और फिरोज़ाबाद के साथ-साथ DRDO की ग्वालियर लैब को अधिकृत किया है कि वही PPE किट की गुणवत्ता की जांच कर सकती हैं. इनमें सबसे पुरानी टेस्टिंग लैब है SITRA. पिछले पांच साल से यह सिंथेटिक ब्लड पेनेट्रेशन टेस्ट कर रही है. यह टेस्ट ASTM 1670 मानक के तहत किया जा रहा है, जो सुनिश्चित करता है कि 13.8 किलोपास्कल के दवाब पर किसी भी तरह के शारीरिक तरल पदार्थ, जैसे खून इत्यादि फ्रैब्रिक्स के अंदर न जा पाएं. टेस्ट के लिए फैब्रिक्स कवरऑल की दो जगहों से लिया जाता है. एक हिस्सा मेन बॉडी से और दूसरा चिपकाए गई या सिली हुई जगह से. जब फ्रैब्रिक्स इस टेस्ट पर खरा उतरेगा, तभी इससे कवरऑल या PPE किट बन सकेगा. SITRA के DG प्रकाश वासुदेवन ने NDTV इंडिया से कहा कि SITRA में टेस्टिंग ASTM 1670 मानक के तहत की जाती है. इस मशीन का डिज़ाइन हमने तैयार किया है. जब किसी फ्रैब्रिक में सिंथेटिक ब्लड पास नहीं होगा, तभी वह टेस्ट में खरा उतर पाएगा. कोरोना से पहले अकेले SITRA में हर हफ्ते पांच से दस सैम्पल की ही टेस्टिंग हो पाती थी, लेकिन अब रोजाना टेस्टिंग के लिए 50 से 60 सैम्पल आ रहे हैं. इस पूरी प्रकिया में एक से डेढ़ घंटे का वक्त लगता है.

SITRA और OFB के टेस्ट को NABL, यानी नेशनल अक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज़ ने मान्यता दी है. OFB इस किट के दो मुख्य भाग कवरऑल और फेसमास्क बना रहा है. किट में हैंड ग्लब्स और N-95 रेस्पिरेटर भी होते हैं. कवरऑल का टेस्ट IS-16546, जो ISO 16603 के समान है, के अनुरूप किया जाता है. सर्जिकल फेसमास्क पर टेस्ट IS-16289 के अनुरूप होते हैं.

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ओएफबी के चेयरमैन हरिमोहन और साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन के डीजी प्रकाश वासुदेवन.

SITRA की ही तरह ब्लड पेनेट्रेशन टेस्ट का उपकरण आयुध निर्माणियों ने सम्पूर्ण स्वदेशी तकनीक और सामान का प्रयोग करके बनाया है. यह टेस्टिंग मशीन आधी कीमत पर भारत में ही बनाई गई है. OFB का कहना है कि जल्द ही हम इन टेस्टिंग मशीनों को बाहर भी निर्यात कर सकते हैं. खास बात यह भी है कि इन मशीनों का OFB ने कोरोना संकट के दौरान महज़ दो हफ्ते में डिज़ाइन तैयार कर लिया था. इन लैबों में टेस्टिंग की सुविधा होने की वजह से प्राइवेट कंपनी भी आसानी से कवरऑल बना सकती हैं.

OFB के चेयरमैन हरिमोहन ने NDTV इंडिया से कहा कि OFB हमेशा अपने देश के सेनानियों के साथ खड़ा होता है. आज हमारे सेनानी मेडिकल फ्रेटरनिटी बने हुए हैं. वे देश में कोरोना वायरस से युद्ध कर रहे हैं. इनके प्रयासों में OFB पूरा सहयोग कर रहा है. मास्क, सेनेटाइज़र और बॉडीसूट बना रहे हैं. अब हम ब्लड पेनेट्रेशन टेस्ट कर रहे हैं. इन सुविधाओं के उपलब्ध होने से PPE किट, जो देशभर में बन रहा है, का निर्माण करने वाले को बहुत सुविधा होगी. उनके कपड़े और गारमेंट का सैम्पल अच्छी तरह टेस्ट हो सकेगा, सर्टिफाई हो सकेगा और वह देशभर की समूची मेडिकल फ्रेटरनिटी को बेहतर PPE किट की सप्लाई कर सकेंगे.

आपको बता दें, पहले ऐसे PPE किट चीन जैसे देशों से मंगाए जाते थे, और भारत में इसकी ज़रूरत नहीं के बराबर पड़ती थी. इस किट का इस्तेमाल HIV और केरल में फैले नीपा वायरस के इलाज के दौरान ही किया जाता रहा है, लेकिन जब अचानक कोरोना महामारी का प्रकोप हुआ, तो शुरुआत में जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल कर PPE किट बनाया गया और साथ ही चीन से भी मंगाया गया. लेकिन फिर हमारी ज़रूरत को देखकर लगा कि इससे काम नहीं चलेगा. लिहाज़ा, SITRA, OFB और DRDO बेहतर क्वालिटी के फैब्रिक्स की जांच कर अच्छी PPE किट बनाने में जुट गईं.

आज कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए देश में लाखों बेहतर क्वालिटी के PPE किट की ज़रूरत है. अब तक करीब 100 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना पॉज़िटिव हो चुके हैं. अच्छी क्वालिटी की PPE किट होगा, तभी इलाज कर रहे डॉक्टर संक्रमित नहीं होंगे, और वे बिना डरे मरीज़ों का इलाज कर पाएंगे.

राजीव रंजन NDTV इंडिया के एसोसिएट एडिटर हैं...

 
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