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ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है ब्रह्मोस

Rajeev Ranjan
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 06, 2025 20:32 pm IST
    • Published On मई 06, 2025 20:30 pm IST
    • Last Updated On मई 06, 2025 20:32 pm IST
ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है ब्रह्मोस

जम्‍मू-कश्‍मीर के पहलगाम में अमानवीय हमले के बाद भारत और पाकिस्‍तान अपनी-अपनी तैयारियों को तोल रहे हैं. ऐसे में ब्रह्मोस मिसाइल का महत्व बढ़ गया है. ब्रह्मोस भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से विकसित की गई है और इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मस्कवा नदियों के नामों से प्रेरित है. यह सांस्कृतिक विरासत और रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है. इसकी भारतीय पहचान, ब्रह्मपुत्र, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से जुड़ी हुई है, जिससे यह मिसाइल दैवीय शक्ति, ज्ञान और संतुलन का प्रतिनिधित्व करती है. यह पौराणिकता उस समय और गहरा जाती है जब इसे भारतीय महाकाव्यों में वर्णित एक विनाशकारी और अत्यंत दुर्लभ अस्त्र ब्रह्मास्त्र से जोड़ा जाता है. ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल अत्यंत संकट की घड़ी में किया जाता था और यह बिना लक्ष्य हासिल किए नहीं लौटता था. यही कारण है कि ब्रह्मोस को एक साधारण हथियार नहीं, बल्कि नियंत्रित शक्ति और नैतिक संयम के साथ प्रयोग होने वाला एक आधुनिक ब्रह्मास्त्र माना जा सकता है.

रणनीतिक रूप से, ब्रह्मोस अपनी अतिवेग गति, अत्यधिक सटीकता और बहु-प्रयुक्त मंचीय क्षमता के कारण अद्वितीय है, जो भारत की विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध नीति (Credible Minimum Deterrence) का समर्थन करती है. यह सर्जिकल स्ट्राइक की क्षमता रखती है और विनाश नहीं, विवेकपूर्ण प्रभाव की रणनीति पर आधारित है. इसका भारत-रूस द्वारा संयुक्त विकास न केवल रक्षा आत्मनिर्भरता, बल्कि वैश्विक रणनीतिक संतुलन का संकेत भी देता है. इस प्रकार, ब्रह्मोस केवल एक हथियार नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान और वैश्विक रणनीतिक सोच का जीवंत प्रतीक बनकर उभरता है.

सर्जिकल स्ट्राइक के लिए आदर्श हथियार

ब्रह्मोस मिसाइल को इसकी अतुलनीय गति और सूक्ष्म सटीकता के लिए विश्व की सबसे उन्नत क्रूज़ मिसाइलों में गिना जाता है. मैक 2.8 से 3.0 की गति से उड़ान भरने में सक्षम, यह पारंपरिक सबसोनिक मिसाइलों की तुलना में लगभग तीन गुना तेज है, जिससे दुश्मन की प्रतिक्रिया की संभावनाएं अत्यंत सीमित हो जाती हैं. इन विशेषताओं के साथ, ब्रह्मोस न केवल रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता, बल्कि त्वरित, सटीक और निर्णायक जवाबी कार्रवाई का शक्तिशाली माध्यम है.

ब्रह्मोस में अनुसंधान एवं विकास की नई ऊंचाइयां

ब्रह्मोस प्रोजेक्‍ट में हो रहे नवीनतम अनुसंधान और उन्नयन भारत की रणनीतिक दूरदृष्टि और तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाते हैं. इस प्रमुख प्रगति में ब्रह्मोस-II का विकास भी शामिल है. यह हाइपरसोनिक संस्करण, जिसकी गति मैक 6 से 7 तक होने की संभावना है, जिससे यह मौजूदा संस्करणों से कई गुना तेज और घातक होगा. भारत के MTCR में प्रवेश के बाद इसकी 290 किमी की पूर्व सीमा का विस्तार कर 450 से 800 किमी तक कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त, अत्याधुनिक वॉरहेड्स की तैनाती, स्टील्थ क्षमताओं में सुधार, और नवीनतम वायु व नौसेना प्लेटफॉर्मों (जैसे Su-30MKI) के साथ इसका एकीकरण इसे और भी घातक और लचीला बना रहा है. अप्रैल 2025 में बंगाल की खाड़ी में हुई परीक्षण फायरिंग में 800 किमी की मारक क्षमता प्रदर्शित की गई और नवंबर 2025 में अगला परीक्षण इसके स्टील्थ और सटीकता को और परखने के लिए निर्धारित है.

रणनीतिक प्रभाव: एक गेम चेंजर

ब्रह्मोस को एक रणनीतिक गेम चेंजर माना जाता है, जिसके पीछे कई अहम कारण हैं.

ध्वनि से तेज गति: इसकी उच्च गति अधिकांश वायु रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय कर देती है, जिससे महत्वपूर्ण लक्ष्यों जैसे वायुसेना अड्डों, मिसाइल लांचरों और रणनीतिक ढांचे पर हमला संभव होता है.
अद्वितीय सटीकता: न्यूनतम त्रुटि के साथ लक्ष्य भेदन इसे गंभीर सैन्य और रणनीतिक ठिकानों, जैसे परमाणु संयंत्रों और सैन्य कमांड केंद्रों को निशाना बनाने के लिए उपयुक्त बनाता है.
गहन प्रवेश क्षमता: इसकी रेंज और गति इसे पाकिस्तान के गहरे क्षेत्रों तक हमला करने में सक्षम बनाती है, जिससे भारत सुरक्षित रहते हुए उच्च-मूल्य लक्ष्यों को भेद सकता है.
परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार की मारक क्षमता: यह मिसाइल पारंपरिक हमलों के साथ-साथ परमाणु प्रतिरोधक नीति के तहत भी प्रयुक्त हो सकती है, जो इसे बहुआयामी रणनीतिक संपत्ति बनाती है.

एक विश्वसनीय और निर्णायक हथियार

ब्रह्मोस, आधुनिक भारत की प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता, रणनीतिक गहराई, और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है- एक ऐसा अस्त्र, जो युद्ध में विवेक और शक्ति में संयम का संदेश देता है.

राजीव रंजन NDTV इंडिया में डिफेंस एंड पॉलिटिकल अफेयर्स एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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