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This Article is From Sep 16, 2022

डिनर विथ डीसी..सरकार की जनता तक पहुंचने की अनूठी पहल

Rajeev Ranjan
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 18, 2023 19:32 pm IST
    • Published On सितंबर 16, 2022 15:49 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 18, 2023 19:32 pm IST
  • एक ऐसा डीसी जिसके लिए लोगों की सेवा ही उसकी डयूटी
  • प्रशासक जो सेवा को अपनी डयूटी मानता है

डिनर विद डीसी कार्यक्रम सुनने में लगता है कि ऐसा कार्यक्रम जिसमें उपायुक्त के साथ रात का खाना होता हो . कार्यक्रम के नाम के अनुरूप यहां डीसी के साथ डिनर तो होता है , साथ ही आम ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान जिला प्रशासन करता है. देश में भले ही बाकी जगहों के लोग अनजान हो, पर झारखंड के देवघर जिले में हर गांव के लोग इस कार्यक्रम को बखूबी जानते हैं . डीसी मंजुनाथ भजंत्री के साथ सभी गांव वाले कुर्सी टेबल पर नहीं, बल्कि जमीन पर एक कतार में बैठ कर भोजन करते हैं.

उसमें डीसी भी जमीन पर पंगत में बैठते हैं, और उनके साथ होते हैं विभिन्न महकमा के अधिकारी, कर्मचारी और आयोजित कार्यक्रम स्थल वाले गांव के ग्रामीण, जिसमें महिलाएं बच्चे सभी शामिल होते हैं . डीसी भी आम ग्रामीणों के साथ गांव में मिलने वाला मंडुआ या मक्के जैसी चीजों से बना खाना खाते हैं, कभी किसी गांव में खिचड़ी बनती है तो किसी गांव में मक्के वाली रोटी का स्वाद सभी लेते हैं . हफ्ते या 15 दिनों के अंतराल पर रात्रि में डीसी किसी सुदूर पंचायत क्षेत्र में विभिन्न अधिकारियों के साथ पहुंचते हैं और शुरू होता है डिनर विद डीसी कार्यक्रम . डीसी पहले मुखातिब होते हैं ग्रामीणों से और जानते हैं उनकी समस्याएं .

आम लोगों तक पहुंचने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत डीसी ने की है . जिसमें लोग सीधे अपनी बात डीसी से कहते है . जमीन पर सभी बैठते हैं और सामने माइक पर डीसी केंद्र सरकार और राज्य की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं. वहीं इस दौरान सभी से उनकी समस्याएं पूछी जाती हैं . ग्रामीण भी जिले के सबसे बड़े अधिकारी को इतना सहज और सरल रूप से पाकर अपनी बात बिना डरे और हिचके कहते हैं .

कार्यक्रम में डीसी सभी को बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित करते हैं, और स्कूलों की गतिविधियों की जानकारी ग्रामीणों से मांगते हैं. ग्रामीण यदि स्कूल के नियमित संचालन नहीं होने की जानकारी देते हैं तो मौजूद विभाग के अधिकारियों से तत्काल मामले को देखने का निर्देश दिया जाता है और जिम्मेवार शिक्षकों व कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा जाता है. इस तरह की कार्रवाई शिक्षा , स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली विभाग की समस्याओं में भी देखने को मिलता है. जिसमें ऑन द स्पॉट  कार्रवाई होती है या संबंधित विभाग के मौजूद अधिकारियों को व्यवस्था में सुधार करने का निर्देश दिया जाता है. सरकारी योजनाओं का लाभ तत्काल आम जनता तक तक पहुंचाया जाता है . किसी को पेंशन नही मिल रहा है तो किसी का इलाज नही हो रहा है तो किसी की जमीन की समस्या है हर विभाग के अधिकारी की मौजूदगी के कारण समस्या के समाधान के लिए निर्देश ऑन द स्पॉट जारी होता है.  

डीसी आदिवासी बहुल गांवों या अन्य समुदाय के गांवों में नशा से दूर रहने, अंधविश्वास या झाड फूंक के चक्कर में नहीं पड़ने को लेकर भी जागरूक करते हैं. इस दौरान सीएम हेमंत सोरने के सर्वजन पेंशन योजना को लेकर डीसी का खास जोर होता है कि जरूरतमंद, असहाय या वंचित समुदाय के साथ ही आदिवासियों को इसका लाभ मिले . सर्वजन पेंशन योजना को डीसी के काफी प्रभावी तौर पर लागू करने में लगे हुए है. गांव की महिलाओं और बच्चों को शौचालय का उपयोग करने की नसीहत डीसी स्वयं देते हैं. वहीं स्वच्छता, स्वास्थ्य, सही पोषण आहार, गर्भावस्था में बेहतर देखभाल, बच्चों को सही समय पर सही टीका आदि के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए  प्रोजेक्टर के माध्यम से जागरूकता वीडियो भी दिखाया जाता है . लोगों को बताया जाता है आप खुले में शौच ना करे उससे बीमारियां फैलती है.

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डीनर विद डीसी में पहुंचेने वाले ग्रामीणों को आत्मनिर्भरता का भी पाठ पढ़ाया जाता है. ग्रामीणों को डीसी जिले में आनलाइन बाजार देवघर मार्ट की जानकारी देते हैं. ग्रामीणों से कहा जाता है कि मौजूद लोगों में किन-किन को कोई हूनर या कारीगरी आती है. वह अपना दर्ज करायें. डीसी मंजुनाथ की पहल से जिले में देवघर मार्ट की शुरूआत की गयी है. जिसमें विभिन्न तरह के पारंपरिक हस्तशिल्प के कारीगरों को बढ़ावा दिया जाता है. डीसी रात्रि चौपाल में बांस, लोहागिरी या अन्य कारीगरी जाने वाले पुरूष, महिलाओं को मार्ट से जुड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए प्रेरित करते हैं. वीडीयो के माध्यम से बताया जाता है कि उनके उत्पादों को देश भर में इसक जरिये बेचा जा सकता है. आपकी आमदनी बढ़ेगी या आपका कारीगरी आपको आत्मनिर्भर बनायेगी. एंड्राइड चलाने वाले युवाओं को मौके पर मार्ट की वेबसाइट को दिखातें और बताते हैं कि क्षेत्र के कुटीर उद्योग को इसके जरिये बढ़ावा दिया जा रहा है. मिट्टी के बर्तन निर्माण करने वाले कारीगर, पेड़ा उद्योग, लोहारगिरी उद्योग, बंबू उद्योग, लाह-चूड़ी व लहठी व अन्य कई पारंपरिक कामों को इसमें शामिल किया गया है. हाल ही में देवघर का पेड़ा की बड़ी खेप बहरीन भेजी गयी. बाबा नगरी में आस्था से जुड़े पेड़ा के प्रसाद को पूरे देश के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबारी दृष्टि से बढ़ावा दिया जा रहा है.    

पर्यावरण के प्रति जागरूक करते डीसी
डीसी रात्रि कार्यक्रम में पर्यावरण को प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए भी सचेत करते हैं. कार्यक्रम में मौजूद लोगों से ग्रामीणों, महिलाओं से शपथ ली जाती कि थर्मोकोल का उपयोग नहीं करेंगे. घरों में होने वाले उत्सव समारोह में पत्तो से बने प्लेट, थाली, दोना आदि का उपयोग करें. डीसी कहते ग्रामीण महिलाएं प्लेट, थाली, दोना बनने के काम में जुड़कर अपनी आय बढ़ा सकती हैं.  सखी मंडल की दीदियों को ग्रामीण महिलाओं को जागरूक कर इससे जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं. सखी मंडल की दीदियों जो ऐसे कार्यक्रमों से जुडकर आगे बढ़ रही है उनके बारे में महिलाओं को बताया जाता है.

टाक टू डीसी में समस्याओं बताने के लिए ऑनलाइन जु़ड़े

डीसी मंजुनाथ भंजत्री इस कार्यक्रम के जरिये सुदूर गांवों में या प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों के साथ ऑनलाइ न जुड़कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनते हैं और वीडियो क़ॉन्फेंसिंग के जरिये पदाधिकारियों को समस्या दूर करने क लिए निर्देश देते हैं.  हफ्ते के सोमवार को 11 बजे से कार्यक्रम शुरू होता है जिसमें डीसी ऑनलाइन जुड़ते हैं और वैसी जगह जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है डीसी ग्रामीणों को सीएसपी केंद्र के जरिये जुडकर अपनी परेशानी रखने के लिए ग्रामीणों को कहते हैं.

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