भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी गौतम नवलखा को तलोजा जेल से स्थानांतरित करने और घर में नजरबंद रखने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने NIA और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वहीं, अब गुरुवार को फिर से इस मामले में सुनवाई होगी.
सुनवाई के दौरान नवलखा की ओर से कहा गया कि उनकी उम्र 70 साल है और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है. पहले भी उनको नजरबंद रखा गया था. खराब स्वास्थ्य के कारण उनको जेल में रखना सही नहीं है. नवलखा ने याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है.
गौतम नवलखा, जो मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के पूर्व सचिव हैं. उन्हें अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था. लेकिन शुरुआत में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था. हालांकि बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अप्रैल 2020 में महाराष्ट्र के तलोजा केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था.
डिफ़ॉल्ट जमानत मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए, 'नवलखा ने हाईकोर्ट का रुख करते हुए कहा कि उन्हें तलोजा में बुनियादी चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यकताओं से वंचित किया जा रहा था और अपनी बढ़ती उम्र में बड़ी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.'
31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एक आयोजन 'एल्गर परिषद' आयोजित किया गया था, जिसमें 1 जनवरी, 2018 को कथित रूप से जातिगत हिंसा हुई थी. इस मामले में कई प्रमुख एक्टिविस्ट को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
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