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This Article is From Mar 17, 2022

'इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस' में भारतीय न्यायाधीश ने यूक्रेन मामले पर रूस के खिलाफ किया मतदान 

ICJ में भारत के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने भी रूस के खिलाफ अपना मतदान किया है. न्यायमूर्ति भंडारी को सरकार और विभिन्न मिशनों के समर्थन पर समय-समय पर आईसीजे में नामित किया गया था.

यूक्रेन ने रूस पर यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों में नरसंहार का झूठा आरोप लगाकर अपने युद्ध को सही ठहराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत 'इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस' ने बुधवार को रूस को यूक्रेन पर उसके हमलों बंद करने का आदेश देते हुए कहा कि यूक्रेन में रूस के बल प्रयोग को लेकर कोर्ट 'बेहद चिंतित' है. पीठासीन न्यायाधीश जोन डोनोग्यू ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और आईसीजे को बताया कि उन्होंने निर्णय लिया है कि "24 फरवरी को शुरू किए गए मिलिट्री ऑपरेशन को रूस तुरंत खत्म करे. न्यायमूर्ति डोनोग्यू ने हेग में हुई सुनवाई में कहा, "अदालत रूसी संघ द्वारा बल के प्रयोग के बारे में गहराई से चिंतित है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून में बहुत गंभीर मुद्दों को उठाता है."

बता दें कि 24 फरवरी को रूस द्वारा किए गए यूक्रेन में हमले के कुछ दिनों बाद कीव ने मास्को को संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में घसीटा था. ICJ में भारत के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने भी रूस के खिलाफ अपना मतदान किया है. न्यायमूर्ति भंडारी को सरकार और विभिन्न मिशनों के समर्थन पर समय-समय पर आईसीजे में नामित किया गया था.

न्यायमूर्ति भंडारी ने रूस के खिलाफ मतदान किया है, हालांकि रूस-यूक्रेन मुद्दे पर उनका ये स्वतंत्र कदम अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की आधिकारिक स्थिति से अलग है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन-रूस मुद्दे पर मतदान से परहेज किया और इसके बजाय दोनों पक्षों से बातचीत पर ध्यान केंद्रित करने और शत्रुता समाप्त करने का आह्वान किया.

यूक्रेन ने रूस पर यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों में नरसंहार का झूठा आरोप लगाकर अपने युद्ध को सही ठहराने की कोशिश करने का आरोप लगाया. कीव ने इसके बाद आईसीजे को अस्थायी उपाय करने के लिए कहा ताकि रूस को "तुरंत सैन्य अभियानों को निलंबित करने" का आदेश दिया जा सके.

यूक्रेन के प्रतिनिधि एंटोन कोरिनेविच ने पिछले हफ्ते आईसीजे को बताया, "रूस को रोका जाना चाहिए और इसे रोकने में अदालत की भूमिका बनती है." बुधवार को सुनवाई तब हुई जब यूक्रेन से छोड़कर जाने वाले लोगों की संख्या 30 लाख से ऊपर हो गई और रूसी सेना ने कीव में आवासीय भवनों पर हमले तेज कर दिए हैं.

उसी समय, कीव ने कहा कि वह चाहता है कि उसकी सुरक्षा की गारंटी अंतरराष्ट्रीय बलों द्वारा दी जाए, क्योंकि उसने ऑस्ट्रिया या स्वीडन की तुलना में तटस्थ स्थिति अपनाने के लिए रूस द्वारा थोपे गए प्रस्तावों को खारिज कर दिया है.

रूस ने 7 और 8 मार्च को सुनवाई को एक लिखित फाइलिंग में यह तर्क देते हुए खारिज कर दिया कि ICJ के पास "अधिकार क्षेत्र नहीं था" क्योंकि कीव का अनुरोध 1948 के नरसंहार सम्मेलन के दायरे से बाहर हो गया है, जिस पर यह उनका मामला आधारित था. मास्को ने यूक्रेन में अपने बल प्रयोग को यह कहते हुए उचित ठहराया कि "वह आत्मरक्षा में काम कर रहा है."

लेकिन ICJ ने फैसला सुनाया कि इस मामले में उसका अधिकार क्षेत्र है. जस्टिस डोनोग्यू ने कहा कि वर्तमान में ICJ के पास रूसी संघ के आरोपों की पुष्टि करने वाले सबूत नहीं है कि यूक्रेनी क्षेत्र पर नरसंहार किया गया है.

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