Signs of Neurological Problems: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में नींद की कमी को लोग आम समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. देर रात तक मोबाइल चलाना, ओटीटी देखना, काम का तनाव या सोशल मीडिया, इन सबके बीच नींद सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. ज्यादातर लोग सोचते हैं कि आज नहीं सो पाए, कल सो लेंगे, लेकिन लगातार नींद पूरी न होना सिर्फ शरीर की थकान नहीं, बल्कि दिमाग से जुड़ी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है.
एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में राममनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से ठीक से सो नहीं पा रहा है, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. नींद का सीधा संबंध हमारे दिमाग की सेहत से है और इसकी अनदेखी कई न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को जन्म दे सकती है.
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नींद और दिमाग का गहरा रिस्ता:
नींद सिर्फ आराम करने का समय नहीं होती, बल्कि यह दिमाग की मरम्मत प्रक्रिया होती है. जब हम गहरी नींद में होते हैं, तब दिमाग दिनभर की थकान से उबरता है, यादों को व्यवस्थित करता है और टॉक्सिक तत्वों को बाहर निकालता है.
डॉ. अजय चौधरी के अनुसार, अगर यह प्रक्रिया बार-बार बाधित होती है, तो दिमाग पर इसका सीधा असर पड़ता है. शुरुआत में इसका असर याददाश्त, एकाग्रता और मूड पर दिखता है, लेकिन धीरे-धीरे यह गंभीर रूप ले सकता है.
नींद की कमी किन दिमागी बीमारियों का संकेत हो सकती है? | What Mental Illnesses Can Sleep Deprivation Be a Sign of?
1. डिप्रेशन और एंग्जायटी
नींद की कमी और मानसिक तनाव एक-दूसरे से जुड़े होते हैं. जो लोग ठीक से नहीं सोते, उनमें चिड़चिड़ापन, बेचैनी और उदासी बढ़ जाती है. लंबे समय तक ऐसा रहने पर डिप्रेशन और एंग्जायटी डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है.
2. डिमेंशिया और अल्जाइमर का जोखिम
न्यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि लगातार नींद की कमी दिमाग में हानिकारक प्रोटीन के जमाव को बढ़ा सकती है, जो आगे चलकर डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से जुड़ा माना जाता है.
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3. माइग्रेन और क्रॉनिक सिरदर्द
जो लोग रोज 5-6 घंटे से कम सोते हैं, उनमें माइग्रेन और लगातार सिरदर्द की समस्या ज्यादा देखी जाती है. नींद पूरी न होने से दिमाग की नसें ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं.

4.मिर्गी (एपिलेप्सी) के दौरे
डॉ. अजय चौधरी के मुताबिक, नींद की कमी मिर्गी के मरीजों में दौरे आने का बड़ा कारण बन सकती है. कई बार बिना दवा बदले, सिर्फ नींद सुधारने से दौरे कंट्रोल में आ जाते हैं.
नींद पूरी न होने के शुरुआती चेतावनी संकेत | Early Warning Signs of Sleep Deprivation
- सुबह उठते ही भारीपन और सिरदर्द
- दिनभर सुस्ती और ध्यान न लगना
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना
- भूलने की आदत बढ़ना
- आंखों के नीचे डार्क सर्कल
- बार-बार झपकी आना
अगर ये लक्षण हफ्तों तक बने रहें, तो यह सिर्फ थकान नहीं, बल्कि दिमाग से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है.
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कितनी नींद जरूरी है?
न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार, वयस्कों को रोज 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है. बुजुर्गों को कम से कम 6 से 7 घंटे. बच्चों और किशोरों को 8 से 9 घंटे की नींद चाहिए. नींद की क्वालिटी भी उतनी ही जरूरी है जितनी उसकी अवधि.
नींद सुधारने के लिए क्या करें? | What Can I Do to Improve My Sleep?
1. सोने और जागने का समय तय करें: रोज एक ही समय पर सोना और उठना दिमाग की बायोलॉजिकल क्लॉक को सही रखता है.
2. सोने से पहले मोबाइल से दूरी: मोबाइल और टीवी की नीली रोशनी दिमाग को एक्टिव रखती है, जिससे नींद आने में दिक्कत होती है.
3. कैफीन से बचें: शाम के बाद चाय, कॉफी या एनर्जी ड्रिंक लेने से नींद प्रभावित होती है.
4. हल्की एक्सरसाइज और योग: योग और प्राणायाम दिमाग को शांत करते हैं और नींद की क्वालिटी सुधारते हैं.
5. तनाव को करें कंट्रोल: सोने से पहले गहरी सांस, ध्यान या हल्का संगीत तनाव कम करने में मदद करता है.
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कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी है?
अगर 2-3 हफ्तों तक कोशिश करने के बावजूद नींद न आए, या नींद की कमी के साथ भूलने की समस्या, तेज सिरदर्द, मूड स्विंग या झटके जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए.
नींद की कमी को आम बात समझकर नजरअंदाज करना भविष्य में भारी पड़ सकता है. जैसा कि डॉ. अजय चौधरी बताते हैं, नींद पूरी न होना सिर्फ शरीर की थकान नहीं, बल्कि दिमाग की गंभीर बीमारी का शुरुआती संकेत भी हो सकता है. समय रहते नींद की आदतों को सुधारना और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लेना ही दिमाग को हेल्दी रखने का सबसे सही तरीका है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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