Back pain - Symptoms and causes: 40 की उम्र के बाद महिलाओं को पीठ के निचले हिस्से में या फिर ऊपरी हिस्से में दर्द होने की संभावना हर बीतते साल के साथ बढ़ सकती है. इसे बढ़ती उम्र का असर मान लिया जाता है, लेकिन दरअसल महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, डिसमेनोरिया (दर्दनाक पीरियड्स) एंडोमेट्रियोसिस और गर्भावस्था के कारण भी बैक पेन (Back pain in women) हो सकता है. इसके अलावा भी महिलाओं में बैक पेन यानी पीठ और कमर दर्द (back pain) के कई कारण हो सकते हैं.
महिलाओं में पीठ दर्द की वजह (Causes of Back pain in women)
1. ऑस्टियोपोरोसिस
40 की उम्र क्रॉस करने पर महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपेनिया विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है, जो पीठ दर्द का एक कारण हो सकता है. इसके साथ ही इस उम्र की औरतों में एस्ट्रोजन के लेवल में कमी होती है, क्योंकि ये उनका पेरिमेनोपॉज़ल फेज होता है, ये महिलाओं की हड्डियों को भी प्रभावित करता है.
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2. लेट प्रेगनेंसी
आम तौर महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है, लेकिन अगर आप 40 साल के बाद गर्भवती होती हैं तो ये समस्या और भी गहरी हो सकती है. इस उम्र में महिला को उम्र बढ़ने वाले शरीर के बदलावों के साथ-साथ गर्भावस्था से संबंधित शारीरिक बदलाव को भी झेलना पड़ता है, इस वजह से उन्हें दिक्कत अधिक होती है.
3. मोटापा
मोटापा भी महिलाओं में बढ़ती उम्र की एक समस्या है, जो कमर दर्द का कारण बनती है. ऐसे में आपको अपनी फिटनेस का ध्यान इस उम्र में अधिक रखना है. अपनी रीढ़ की हड्डियों को स्ट्रेच करने के लिए जरूरी एक्सरसाइज करें इसके अलावा हर दिन वॉक जरूर करें.
4. मेनोपोज
40 की उम्र के बाद धीरे-धीरे महिलाओं के शरीर में सेक्स हार्मोन यानी एस्ट्रोजेन की कमी आने लगती हैं और 50-55 तक उनमें पीरियड्स बंद हो जाता हैं यानी मेनोपॉज का समय आ जाता है. इस दौरान एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट उनके भीतर कई शारीरिक बदलाव पैदा करती है और ये खासकर मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को प्रभावित करती है, जिससे कमर और पीठ के दर्द की समस्या हो सकती है.
5. लेजी लाइफस्टाइल
सही डाइट न लेना यानी भोजन में पोषक तत्वों का कमी, नींद पूरी न होना और एक्सरसाइज की कमी के कारण भी आपको कमर दर्द की समस्या हो सकती है.
पीठ दर्द से बचाव और राहत के उपाय (Back pain prevention and relief tips)
- आपको खड़े होते या बैठते वक्त अपने पोस्चर पर ध्यान देना चाहिए और रीढ़ की हड्डी सीधी रखनी चाहिए.
- विटामिन डी से भरपूर आहार लें. जरूरत होता डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम और विटामिन डी का सप्लीमेंट लिया जा सकता है.
- वजन घटाने की कोशिश करें, शरीर हल्का होने से हड्डियों पर जोर कम पड़ेगा.
- नियमित वर्कआउट करें इससे आपका शरीर अधिक फ्लेक्सिबल होगा और स्ट्रेचिंग की वजह से दर्द में राहत मिलेगी.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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