
- महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मिरा-भायंदर में काशी गांव के पांच प्लॉट्स को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है.
- इन प्लॉट्स के मूल मालिक मैनूद्दीन निजामुद्दीन पटेल पाकिस्तान जाकर बस गए और वहीं की नागरिकता ले ली.
- शिकायतकर्ताा ने आरोप लगाया कि एक निजी कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों से इस संपत्ति का अधिग्रहण किया था.
महाराष्ट्र के ठाणे जिला में पांच प्लॉट्स को शत्रु-संपत्ति (Enemy Property) घोषित करने का मामला सामने आया है. यहां मिरा-भायंदर में काशी गांव के पांच प्लॉट्स को निवासी गौतम अग्रवाल की प्रधानमंत्री कार्यालय तक की शिकायतों के बाद और केंद्र के लगातार हस्तक्षेप से 'एनिमी प्रॉपर्टी' घोषित किया गया है. ये जमीन मूल रूप से मैनूद्दीन निजामुद्दीन पटेल की बताई जाती है, जो पाकिस्तान जाकर बस गए और वहीं की नागरिकता ले ली थी. गौतम अग्रवाल का आरोप है कि एक निजी कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी से इस संपत्ति का अधिग्रहण कर लिया था.
पाकिस्तान से आने लगे धमकी भरे कॉल
'शुत्र संपत्ति' की घोषणा के बाद, गौतम अग्रवाल को पाकिस्तान के एक नंबर (+92) से धमकी भरे कॉल आने लगे. उन्हें फोन पर गाली-गलौज भी किया गया. गौतम का आरोप है कि कॉल करने वालों ने उनसे शिकायत वापस लेने, मामले को आगे न बढ़ाने को कहा, नहीं तो परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी.
देशव्यापी एनिमी प्रॉपर्टी घोटाले का हिस्सा!
गौतम अग्रवाल का कहना है कि ये केवल स्थानीय मामला नहीं है. उन्हें संदेह है कि ये देशव्यापी 'शत्रु संपत्ति' घोटाले का हिस्सा हो सकता है. उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों से गहराई से जांच की मांग की है.
क्या होती है शत्रु संपत्ति?
शत्रु संपत्ति वो संपत्ति होती है जो दुश्मन देशों में चले गए लोग छोड़ जाते हैं. कानून की बात करें तो इसके लिए शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 (2017 में संशोधित) तय है. ये एक्ट शत्रु संपत्ति को एक ऐसी संपत्ति के रूप में परिभाषित करता है जो 'किसी शत्रु, शत्रु आश्रित या शत्रु फर्म की ओर से मैनेज की जाती है.'
यहां 'शत्रु' शब्द का मतलब है, कोई भी ऐसा देश, जिसने कभी भारत के विरुद्ध कोई आक्रामक कार्य किया हो या युद्ध की घोषणा की हो. ऐसी संपत्तियों के अंतर्गत सभी चल/अचल और लिखित संपत्तियां, जैसे- शेयर, डिबेंचर वगैरह भी शामिल होते हैं.
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