Stress and pregnancy: महिलाओं के जीवन में प्रेगनेंसी (Pregnancy) बहुत अहम समय होता है. इस समय महिलाएं एक्साइटमेंट और एंग्जायटी दोनों से गुजरती हैं. इस दौरान महिलाओं को अपने इमोशनल वेल बीइंग का खास ख्याल रखना चाहिए. प्रेगनेंसी के दौरान तनाव (Stress) का असर गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर पड़ सकता है. प्रेगनेंसी पीरियड में मां के तनाव महसूस करने पर बॉडी में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन जैसे तनाव हार्मोन रिलीज होता है.
ये हार्मोन कुछ स्थितियों में सहायक हो सकते हैं, लेकिन बार बार ऐसी स्थिति आने पर इन हार्मोंस की अधिकता हो जाती है, जो प्लेसेंटल बैरियर को पार कर गर्भ में पल रहे बच्चे के फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट को प्रभावित कर सकता है.
आइए जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले पैरेंटल तनाव (Prenatal Stress) से बच्चे पर क्या असर पड़ता है और इसे कैसे कम किया जा सकता है.
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गर्भावस्था में तनाव का बच्चे पर साइड इफेक्ट्स (Side effects of stress during pregnancy on the baby)
1. ब्रेन के विकास पर असर (Impact on brain development)
मां के तनाव का फेट्स के ब्रेन के विकास पर नेगेटिव असर होता है. ब्रेन का विकास तनाव के प्रति बहुत संवेदनशील होता है. कोर्टिसोल की अधिकता ब्रेन के बनावट और कार्य करने की क्षमता पर बुरा असर डाल सकता है.
2. समय से पहले जन्म और कम वजन (Preterm birth and low birth weight)
गर्भावस्था में तनाव के कारण बच्चे का समय से पहले जन्म और वजन कम रह सकता है. इन दोनों समस्याओं का सबसे प्रमुख कारणों में मां का तनाव में रहना है. समय से पहले जन्म और कम वजन दोनों ही बच्चे के विकास में देरी और भविष्य में डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
3. बच्चे के इमोशनल हेल्थ पर असर (Impact on emotional health of the child)
गर्भावस्था में तनाव का असर बच्चे के इमोशनल हेल्थ पर पड़ सकता है. ऐसे बच्चों में आगे चल कर एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी परेशानियों के होने का खतरा बढ़ जाता है.
गर्भावस्था में तनाव को कैसे मैनेज करें (How to Reduce Stress During Pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान तनाव को मैनेज करना मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी है. ये उपाय कर सकते हैं तनाव कम करने में मदद..
1. सेल्फ केयर को प्राथमिकता दें. रिलैक्स रहें और आनंद देने वाली एक्टिविटीज करें.
2. शारीरिक रूप से एक्टिव रहें. नियमित व्यायाम से तनाव कम हो सकता है और मूड भी बेहतर रहेगा.
3. परिजनों से सपोर्ट की मांग करें. अपनी भावनाओं के बारे में दोस्तों, परिवार या पेशेवरों से बात करें.
4. मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग का अभ्यास करें.
5. बैलेंस डाइट लें.
6. पर्याप्त आराम करें. बॉडी और ब्रेन को रिलैक्स रखने के लिए पूरी नींद लें.
7. तनाव पैदा करने वाले कारणों से दूर रहने की कोशिश करें.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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