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352 साल पुरानी परंपरा, 21 तोपों की सलामी... राजस्थान के इस मंदिर में जन्माष्टमी पर अनूठा आयोजन

जनमाष्‍टमी के अवसर पर जैसे ही घड़ी ने रात के 12 बजाए वैसे ही राजस्‍थान के नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में सदियों पुरानी परंपरा निभाई गई. इस दौरान ठाकुरजी को मध्‍य रात्रि में 21 तोपों की सलामी दी गई. 

352 साल पुरानी परंपरा, 21 तोपों की सलामी... राजस्थान के इस मंदिर में जन्माष्टमी पर अनूठा आयोजन
  • राजस्थान के नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में जन्माष्टमी पर ठाकुरजी के आगमन पर 21 तोपों की सलामी दी गई.
  • मंदिर बोर्ड की कार्यवाहक सीईओ रक्षा पारीक ने बताया कि तोपों से सलामी देने की परंपरा 352 सालों से चली आ रही है.
  • हर साल तोपों की जांच के बाद रीति-रिवाजों के अनुसार सलामी की परंपरा का निर्वहन किया जाता है.
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नई दिल्‍ली :

राजस्‍थान का नाथद्वारा एक बार फिर 352 सालों से चली आ रही परंपरा का साक्षी बना. नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के अवसर पर भगवान कृष्‍ण को मध्‍य रात्रि में 21 तोपों की सलामी दी गई. श्रीनाथजी मंदिर बोर्ड की कार्यवाहक सीईओ रक्षा पारीक ने इस बारे में जानकारी दी है. उन्‍होंने बताया कि ठाकुरजी के आगमन पर जनमाष्‍टमी पर मध्‍यरात्रि को हर साल यह परंपरा उत्‍साह और उमंग से निभाई जाती है. 

जनमाष्‍टमी के अवसर पर जैसे ही घड़ी ने रात के 12 बजाए वैसे ही राजस्‍थान के नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में सदियों पुरानी परंपरा निभाई गई. इस दौरान ठाकुरजी को मध्‍य रात्रि में 21 तोपों की सलामी दी गई. तोपों की सलामी को देखने के लिए बड़ी संख्‍या में लोग पहुंचे थे.  

जनमाष्‍टमी पर निभाई जाती है परंपरा 

श्रीनाथजी मंदिर बोर्ड की कार्यवाहक सीईओ रक्षा पारीक ने बताया कि ठाकुरजी के आगमन पर पिछले 352 वर्षों से हर साल 21 तोपों की सलामी दी जाती है. उन्‍होंने बताया कि दो तोपें होती हैं, जिन्‍हें नर और मादा तोप कहा जाता है. हर साल की तरह इस बार भी तोपों की जांच की गई और रीति-रिवाजों के अनुसार इस परंपरा का निर्वहन किया गया. 

बता दें कि श्रीनाथ के साथ ही देशभर में जनमाष्‍टमी का त्‍योहार बेहद हर्षोल्‍लास के साथ मनाया गया. इस अवसर पर देश के विभिन्‍न मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. इस अवसर पर मंदिरों में भजन कीर्तन के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. 

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