
नई दिल्ली:
मौसम के बदलते ही हमें कई बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती हैं, जिसमें उल्टी, दस्त, फूड पॉइज़निंग आदि शामिल हैं। ऐसा बाहर का खाना या घर पर सही ढंग से खाना पकाकर न खाने की वज़ह से होता है। ख़ासतौर से गर्मी और बारिश के मौसम में पकाए जाने वाले खाने में बैक्टीरिया बहुत जल्दी पैदा होता है, जिसके चलते वह खराब होता है। आप चाहें फिर कितना भी उसे फ्रिज या फ्रिज़र में रख लें। एक समय के बाद खाने का खराब होना निश्चित है।
खाना पकाते समय रखें इन चीज़ों का ख़ास ध्यान
अगर फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोया जाए और पूरी तरह से पकाया जाए, तो फूड पॉइज़निंग करने वाले ज़्यादातर जीवाणुओं से बचा जा सकता है। यह जानकारी हार्ट केयर फाउंडेशन आफ इंडिया (एचसीएफआईए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ के. के. अग्रवाल ने दी।

डॉक्टर का कहना है कि खाने से होने वाली बीमारियां या फूड पॉइज़निंग ऐसा खाना खाने से होती हैं, जिसमें जीवाणु या उनके जहरीले तत्व मौजूद हों। वायरस और परजीवी भी इसका कारण बन सकते हैं। कच्चे मीट, पोल्ट्री उत्पाद और अंडों से माइक्रोब्स से होने वाली बीमारियां पैदा हो सकती हैं। लेकिन आजकल के बारिश वाले मौसम में यह बीमारी ताज़ा फलों और सब्जियों से हो रही हैं।
फूड पॉइजॉनिंग के लक्षण
हम कई बार रात का खाना दिन में और दिन का रात में खा लेते हैं। ऐसा करना गलत है। डॉक्टर का कहना है कि आजकल के मौसम में व्यक्ति को दो से तीन घंटे के अंदर पकाए गए खाने को इस्तेमाल कर लेना चाहिए। अगर ऐसा नहीं करते हैं, तो फूड पॉइज़निंग होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

फूड पॉइज़निंग होने के कई लक्षण हैं, जिसमें पेट में दर्द, जी मिचलाना, सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी, डायरिया और डीहाइड्रेशन आदि शामिल हैं। इसके लक्षण बासी खाना खाने के कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक नज़र आ सकते हैं। इस बीमारी में शरीर में सल्मोनेला बैक्टीरिया पैदा होता है। यह 12 घंटे से लेकर तीन दिन तक शरीर में रहता है। इसकी वज़ह से आपको फूड पॉइज़निंग चार से सात दिन तक रह सकती है। फूड पॉयजनिंग का सबसे अच्छा इलाज अपने खाने में ज़्यादा से ज़्यादा तरल आहार लेना है। इससे कुछ ही दिनों में बीमारी कम होने लगती है।
इस बीमारी से ऐसे बचें
जब भी खाना पकाएं तो सबसे पहले फल, सब्जी, बर्तन और हाथ धोएं। इसके अलावा कच्चे खाने को खाने के लिए तैयार खाने से अलग रखें। अगर आप खाना पका रहे हैं, तो उसे सुरक्षित तापमान पर ही पकाएं। खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को खरीदने और बनाने के दो घंटों के अंदर फ्रिज में रखें। फ्रोज़न फूड को खाने में इस्तेमाल करने से पहले सुरक्षित तरीके से डिफ्रोस्ट करें। अगर खाने के खराब होने की शंका हो तो उसे फेंक दें। सड़कों पर मिलने वाले कटे फल और सब्जियों को न खाएं। और हां, सबसे ज़रूरी बात पानी को बिना उबाले न पिएं।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
खाना पकाते समय रखें इन चीज़ों का ख़ास ध्यान
अगर फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोया जाए और पूरी तरह से पकाया जाए, तो फूड पॉइज़निंग करने वाले ज़्यादातर जीवाणुओं से बचा जा सकता है। यह जानकारी हार्ट केयर फाउंडेशन आफ इंडिया (एचसीएफआईए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ के. के. अग्रवाल ने दी।

डॉक्टर का कहना है कि खाने से होने वाली बीमारियां या फूड पॉइज़निंग ऐसा खाना खाने से होती हैं, जिसमें जीवाणु या उनके जहरीले तत्व मौजूद हों। वायरस और परजीवी भी इसका कारण बन सकते हैं। कच्चे मीट, पोल्ट्री उत्पाद और अंडों से माइक्रोब्स से होने वाली बीमारियां पैदा हो सकती हैं। लेकिन आजकल के बारिश वाले मौसम में यह बीमारी ताज़ा फलों और सब्जियों से हो रही हैं।
फूड पॉइजॉनिंग के लक्षण
हम कई बार रात का खाना दिन में और दिन का रात में खा लेते हैं। ऐसा करना गलत है। डॉक्टर का कहना है कि आजकल के मौसम में व्यक्ति को दो से तीन घंटे के अंदर पकाए गए खाने को इस्तेमाल कर लेना चाहिए। अगर ऐसा नहीं करते हैं, तो फूड पॉइज़निंग होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

फूड पॉइज़निंग होने के कई लक्षण हैं, जिसमें पेट में दर्द, जी मिचलाना, सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी, डायरिया और डीहाइड्रेशन आदि शामिल हैं। इसके लक्षण बासी खाना खाने के कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक नज़र आ सकते हैं। इस बीमारी में शरीर में सल्मोनेला बैक्टीरिया पैदा होता है। यह 12 घंटे से लेकर तीन दिन तक शरीर में रहता है। इसकी वज़ह से आपको फूड पॉइज़निंग चार से सात दिन तक रह सकती है। फूड पॉयजनिंग का सबसे अच्छा इलाज अपने खाने में ज़्यादा से ज़्यादा तरल आहार लेना है। इससे कुछ ही दिनों में बीमारी कम होने लगती है।
इस बीमारी से ऐसे बचें
जब भी खाना पकाएं तो सबसे पहले फल, सब्जी, बर्तन और हाथ धोएं। इसके अलावा कच्चे खाने को खाने के लिए तैयार खाने से अलग रखें। अगर आप खाना पका रहे हैं, तो उसे सुरक्षित तापमान पर ही पकाएं। खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को खरीदने और बनाने के दो घंटों के अंदर फ्रिज में रखें। फ्रोज़न फूड को खाने में इस्तेमाल करने से पहले सुरक्षित तरीके से डिफ्रोस्ट करें। अगर खाने के खराब होने की शंका हो तो उसे फेंक दें। सड़कों पर मिलने वाले कटे फल और सब्जियों को न खाएं। और हां, सबसे ज़रूरी बात पानी को बिना उबाले न पिएं।
(इनपुट्स आईएएनएस से)
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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