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ब्लॉग राइटर
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सुशील महापात्रा की कलम से : मेरा पुराना जनलोकपाल बिल वापस दे दो केजरीवाल
आक्रामक केजरीवाल शांत अन्ना हज़ारे के दाहिने हाथ के रूप में लोगों को नजर आते हैं और धीरे-धीरे उनपर ही भारी पड़ते लगते हैं। फिर समय सब कुछ बदल देता है। आक्रामक केजरीवाल शांत अन्ना हज़ारे के ऊपर भारी पड़ते हैं।
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- दिसंबर 23, 2015 14:10 pm IST
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सुशील कुमार महापात्रा की कलम से : क्या आपको ये चुनौतियां याद हैं केजरीवाल जी?
अरविंद केजरीवाल और खुली बहस के बीच काफी गहरा रिश्ता है। अरविंद केजरीवाल एक ऐसे नेता हैं जिनका यह मानना है कि खुली बहस लोकतंत्र के लिए अच्छी है और इसके जरिये एक स्वस्थ राजनीति की शुरुआत हो सकती है।
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- दिसंबर 23, 2015 14:08 pm IST
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सुशील महापात्रा : 'दाल-दादरी' और 'बिहारी बनाम बाहरी' के मुद्दे पर बाहर हुई बीजेपी
बिहार के चुनाव इस सदी के सबसे खतरनाक चुनाव थे। ऐसा लग रहा था कि चुनाव नहीं, बल्कि एनडीए और महागठबंधन के बीच जंग चल रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान चाय से शुरू होने वाली चर्चा इन चुनाव में गाय तक पहुंच गई। विकास और महंगाई जैसे मुद्दे गायब थे।
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सुशील महापात्रा : क्रिकेट को राजनीति के चश्मे से नहीं, राजनीति को क्रिकेट के चश्मे से देखें
आजकल क्रिकेट में राजनीति इतनी हावी हो गई है कि ऐसा लगने लगा है क्रिकेटरों को नहीं, बल्कि राजनेताओं को क्रिकेट खेलना चाहिए। क्रिकेट को चलाने वाले क्रिकेटर नहीं, ज्यादा से ज्यादा राजनेता हैं। कई राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी राजनेता हैं।