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    स्मरण - वसुंधरा कोमकली : सांवरा म्हारी प्रीत निभाजो जी...

    यह कहानी है एक बड़ी सी नदी 'वसुंधरा कोमकली' की जो एक कालजयी समंदर में विलीन हुई और एक अनहद नाद का समंदर बन गई। यह कहानी एक ऐसी महिला की है जिसकी आत्मा के पोर-पोर में संगीत की अनुगूंज थी और अनहद नाद उसकी सांसों में स्पंदित होता रहता था।

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