- कैबिनेट ने Atomic Energy Amendment Bill को मंजूरी दी है जो निजी कंपनियों के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र खोलेगा
- यह बिल सोमवार को संसद में पेश होगा और भारत के ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव लाएगा
- बिल का लक्ष्य भारत को 100 GW न्यूक्लियर ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने में मदद करना है
भारत एक बड़े ऊर्जा सुधार की ओर बढ़ रहा है. मोदी सरकार सोमवार को संसद में Atomic Energy Amendment Bill, को पेश करने जा रही है. यह ऐतिहासिक कदम पहली बार देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए भी खोल देगा. अब तक यह सेक्टर पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में था. लेकिन अब ये सेक्टर प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खुल जाएगा.
कैबिनेट ने दी मंजूरी, सोमवार को संसद में चर्चा
कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दे दी है और सोमवार को संसद में इस पर बहस होने जा रही है. बिल का उद्देश्य है कि निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भागीदारी का मौका मिले. इससे भारत को 100 GW न्यूक्लियर कैपेसिटी हासिल करने में मदद मिलेगी, जो देश के क्लीन एनर्जी और नेट-जीरो लक्ष्यों के लिए बेहद अहम है.
कौन-कौन से बड़े खिलाड़ी तैयार?
सूत्रों के मुताबिक, देश के बड़े उद्योगपति जैसे अंबानी, अदाणी और जिंदल इस सेक्टर में निवेश करने के इच्छुक हैं. इन कंपनियों की योजना है कि वे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करें और बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने का काम करें. खासकर डेटा सेंटर्स और AI इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है.
सुरक्षा और नियामक मानकों पर जोर
सरकार ने स्पष्ट किया है कि निजी भागीदारी के बावजूद सुरक्षा मानकों और Department of Atomic Energy के साथ तालमेल सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी. परमाणु ऊर्जा एक संवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए सभी प्रोजेक्ट्स को सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
विशेष बातचीत: भारत के Principal Scientific Advisor का बयान
NDTV के साइंस एडिटर पल्लव बागला ने भारत सरकार के Principal Scientific Advisor प्रो. अजय कुमार सूद से इस ऐतिहासिक बदलाव पर बात की. उन्होंने कहा, "यह कदम भारत को ऊर्जा सुरक्षा और नेट-जीरो लक्ष्य की दिशा में मजबूती देगा. निजी क्षेत्र की भागीदारी से निवेश बढ़ेगा और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा."
मुख्य बिंदु
- कैबिनेट ने Atomic Energy Amendment Bill को मंजूरी दी
- बिल का नाम SHANTI, सोमवार को संसद में पेश होगा
- पहली बार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रवेश मिलेगा
- भारत का लक्ष्य: 100 GW न्यूक्लियर कैपेसिटी
- अंबानी, अडानी, जिंदल जैसे बड़े उद्योगपति निवेश को तैयार
- सुरक्षा मानकों और सरकारी निगरानी पर जोर
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