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    रेसिस्म, भारतीय समाज और एक सांवली लड़की

    कुछ दिनों पहले एक भाजपा नेता का बयान आया कि भारत के लोग दक्षिण भारतीयों के साथ रहते हैं (यानी केवल उत्तर भारतीय ही असल भारतीय हैं) इसलिए हम एक नस्ली देश नहीं हैं. मैं नोएडा में नाइजीरिया के छात्रों पर हुए हमले पर फिलहाल बात नहीं करूंगी क्योंकि जब यहां लोग अपने ही देश के सांवले लोगों को एक नजर से नहीं देखते तो वे तो दूसरे देश के हैं. खैर, मैं साफ करना चाहूंगी कि मैं मध्यभारत से हूं जिसे अपनी सहूलियत के हिसाब से उत्तर के लोग दक्षिण और दक्षिण के लोग उत्तर भारत का हिस्सा मान लेते हैं. जहां से भी हूं, मुद्दा यह है कि मैं सांवली हूं. मैं एक पढ़ी लिखी, सेल्फ डिपेंडेंट लड़की हूं, पर सांवली हूं. मेरे रंग से मुझे कोई परेशानी नहीं है लेकिन मैं सांवली हूं. मैं सांवला शब्द बार-बार इसलिए लिख रही हूं क्योंकि मैं अक्सर यह सुनती हूं, 'तेरा रंग थोड़ा और फेयर होता तो....'

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    हां, मैं छत्तीसगढ़ से हूं और वहां 'विष कन्याएं' नहीं होतीं...

    जब आप एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं तो आपके पास कई कहानियां होती हैं अपने इलाके, अपने लोगों और अपनी संस्कृति से जुड़ी, लेकिन कई बार इसके उलट भी होता है। जिन लोगों के बीच आप पहुंचते हैं उनके पास भी कहानियां होती हैं.. आपके इलाके की...कुछ सुनी सुनाई और कुछ सही भी।

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