- बेथलहम स्थित चर्च ऑफ द नैटिविटी को यीशु मसीह के जन्मस्थान के रूप में ईसाई धर्म में अत्यंत पूजनीय माना जाता है
- यह चर्च दूसरी शताब्दी के दस्तावेजों के अनुसार उसी गुफा के ऊपर बना है जहां यीशु का जन्म हुआ था
- चर्च का मुख्य प्रवेश द्वार "Door of Humility" नामक छोटा द्वार है, जहां लोग झुककर अंदर प्रवेश करते हैं
ईसाईयों के पवित्र त्योहार क्रिसमस की रौनक के बीच दुनिया भर में यीशु मसीह के जन्म की यादें ताज़ा हो रही हैं. इसी खास मौके पर बेथलहम स्थित ‘चर्च ऑफ द नैटिविटी' फिर सुर्खियों में है, दरअसल ये वही पवित्र स्थल है, यीशु का जन्म हुआ था. यह चर्च न केवल ईसाई आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और संस्कृति के तालमेल का खजाना भी है. बेथलहम स्थित 'चर्च ऑफ द नैटिविटी', जिसे ईसाई धर्म में यीशु मसीह के जन्मस्थान के रूप में पूजनीय माना जाता है.

इतिहास से जुड़ा पवित्र स्थल
बेथलहम की इस पवित्र नगरी में स्थित चर्च ऑफ द नैटिविटी एक बाइजेंटाइन बेसिलिका है. इसे उस गुफा के ऊपर बनाया गया है, जहां दूसरी शताब्दी के दस्तावेजों के अनुसार यीशु का जन्म हुआ था. ईसाई सम्राट कॉन्स्टेंटाइन की माता हेलना ने इस चर्च का निर्माण यीशु के जन्म की स्मृति में कराया था.
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चर्च की वास्तुकला और महत्व
चर्च का मुख्य प्रवेश द्वार “Door of Humility” के नाम से जाना है, जो इतना छोटा है कि यहां लोग झुककर अंदर जाते हैं. चर्च के आंगन में एक प्रतिमा है जो हायरोनिमस को समर्पित है, जिन्होंने बाइबिल का लैटिन में अनुवाद किया था. चर्च के अंदर प्राचीन मोज़ेक कला, लकड़ी की नक्काशी, और धार्मिक प्रतीक भी देखने को मिलते हैं.
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कॉन्स्टेंटाइन का योगदान
यह चर्च उन तीन शाही चर्चों में से एक था जिन्हें ईसाई सम्राट कॉन्स्टेंटाइन ने फिलिस्तीन में बनवाया था. ईस्वी 529 में यह चर्च नष्ट हो गया था और बाद में बड़े पैमाने पर पुनर्निर्मित किया गया. आज जो चर्च खड़ा है, वह उसी पुनर्निर्माण का परिणाम है.

गुफा और चांदी का सितारा
चर्च के नीचे स्थित गुफा में एक चांदी का 14-बिंदु वाला सितारा लगा है, जो यीशु के जन्मस्थान को दर्शाता है. यह सितारा संगमरमर की फर्श में जड़ा हुआ है. गुफा तक पहुंचने के लिए अब दो प्रवेश द्वार हैं, जबकि चौथी शताब्दी में केवल एक ही प्रवेश द्वार था.

मिल्क ग्रोटो का महत्व
चर्च के पास स्थित मिल्क ग्रोटो एक अनियमित गुफा है, जहां ईसाई परंपरा के अनुसार मदर मैरी ने शिशु यीशु को दूध पिलाया था, जब वे हेरोद के सैनिकों से बचकर मिस्र जाने से पहले यहां छिपी थीं. चर्च ऑफ द नैटिविटी न केवल ईसाई धर्म के लिए बल्कि इतिहास और संस्कृति के लिहाज से भी खास है. यदि इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिलता है, तो यह फिलिस्तीनी क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी.
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