
बेंगलुरु में किरायेदारी को लेकर एक दिलचस्प मामला सामने आया है. यहां एक किरायेदार ने अपने मकान मालिक से 2 लाख 60 हज़ार की सिक्योरिटी डिपॉज़िट रकम सफलतापूर्वक वापस लेकर इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है. यह मामला r/LegalAdviceIndia सबरेडिट पर शेयर किया गया और देखते ही देखते वायरल हो गया.
कोविड के दौरान किराए पर लिया घर, बाद में बढ़ा किराया
किरायेदार ने कोविड-19 महामारी के दौरान बेंगलुरु के एक पॉश इलाके में 3.5 BHK फ्लैट 55,000 रुपये प्रतिमाह किराए पर लिया था. लेकिन ऑफिस खुलने के बाद मकान मालिक ने किराया बढ़ाकर 78,000 रुपये कर दिया. किरायेदार ने कहा कि “मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि सोसाइटी के अन्य मालिकों ने भी ऐसा ही किया था. मैंने 45 दिन का नोटिस देकर फ्लैट खाली करने का फैसला लिया.”
डिपॉज़िट लौटाने से बचता रहा मकान मालिक
मकान मालिक ने अचानक पैसे काटने शुरू कर दिए. कभी पेंटिंग के नाम पर 40,000 रुपये कभी वॉशरूम सफाई के लिए 7,000 रुपये और बाद में वियर एंड टियर के लिए 38,000 रुपये की कटौती का दावा किया. इससे किरायेदार को लगा कि मकान मालिक रकम लौटाने नहीं चाहता है.
My story how I recovered 2.6 L security deposit
byu/Best_Taste_7704 inLegalAdviceIndia
किरायेदार की चालाकी और बड़ा कदम
45 दिन बीत जाने के बाद भी रकम न मिलने पर किरायेदार ने गहराई से रिसर्च की. उसे पता चला कि मकान मालिक का बैकग्राउंड मिलिट्री से जुड़ा हुआ है. किरायेदार ने ऊपरी अधिकारियों से संपर्क किया और बताया कि यह एक्स-ऑफिसर अपने पद का गलत फायदा उठा रहा है. नतीजा यह हुआ कि कुछ ही दिनों में मकान मालिक ने पूरा 2.6 लाख रुपये बिना किसी कटौती के लौटा दिया.
सोशल मीडिया पर मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया
इस कहानी ने लोगों को खूब आकर्षित किया. कई लोगों ने किरायेदार की हिम्मत की तारीफ करते हुए कहा – “वाह! मकान मालिक को सबक मिला. अगली बार सोच-समझकर करेगा.” वहीं कुछ ने इसे बेंगलुरु में बढ़ती किरायेदारी समस्याओं की ओर इशारा बताया. एक यूजर ने लिखा – “आपकी पोस्ट ने मेरा दिन बना दिया. मुझे भी 60,000 रुपये का नुकसान हुआ था, आपकी जीत से संतोष मिला.”
सीख - हक के लिए आवाज़ उठाना ज़रूरी
यह मामला सिर्फ एक वायरल स्टोरी नहीं, बल्कि उन लाखों किरायेदारों के लिए सीख है जिन्हें मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉज़िट के नाम पर परेशान करते हैं. सही जानकारी, हिम्मत और रणनीति से इंसाफ पाया जा सकता है. यह कहानी साफ संदेश देती है कि चुप रहने से हक नहीं मिलता, बल्कि अपनी आवाज़ उठाने से ही इंसाफ मिलता है.
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