बैतूल:
जन्म से ही शरीर से जुड़ी दो बहनों स्तुति और आराधना को अलग करने लिए मध्य प्रदेश के बैतूल में उनका ऑपरेशन पूरा हो गया है। ऑपरेशन तीन चरणों में हुआ।
ऑपरेशन के बाद एक बच्ची को आईसीयू में भेजा गया है। बैतूल में 12 घंटे तक ऑपरेशन चला। ऑपरेशन में बच्चियों के दिल के बाद जिगर को भी अलग किया। बता दें कि दोनों जुड़ी बच्चियां जन्म से ही अस्पताल में हैं। और इस ऑपरेशन के लिए देश−विदेश के डॉक्टरों भारत आए हैं।
बैतूल के पाढर मिशन अस्पताल में बुधवार सुबह स्तुति और आराधना को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया था। दोनों की स्थिति पर तीन घंटे तक नजर रखने के बाद उनके अंगों को अलग करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
ऑपरेशन की सफलता की कामना के लिए अस्पताल से लेकर पूरे शहर में प्रार्थनाओं व दुआओं का दौर चला था। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक दोनों के लिए दुआएं मांगी गईं। मोबाइल पर एसएमएस के जरिए भी शुभकामना संदेश भेजे गए।
गौरतलब है कि चिचोली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले चूड़िया ग्राम की निवासी माया यादव ने दो जुलाई 2011 को जुड़वा बेटियों को जन्म दिया था। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते यादव दंपत्ति ने अपनी दोनों बेटियों को पाढर मिशन अस्पताल को दान कर दिया था।
पाढर अस्पताल ने दोनों जुड़ी हुई बहनों को स्वीकार कर उनका लालन-पालन किया और उन्हें अलग करने के लिए प्रयास शुरू किए।
ऑपरेशन के बाद एक बच्ची को आईसीयू में भेजा गया है। बैतूल में 12 घंटे तक ऑपरेशन चला। ऑपरेशन में बच्चियों के दिल के बाद जिगर को भी अलग किया। बता दें कि दोनों जुड़ी बच्चियां जन्म से ही अस्पताल में हैं। और इस ऑपरेशन के लिए देश−विदेश के डॉक्टरों भारत आए हैं।
बैतूल के पाढर मिशन अस्पताल में बुधवार सुबह स्तुति और आराधना को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया था। दोनों की स्थिति पर तीन घंटे तक नजर रखने के बाद उनके अंगों को अलग करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
ऑपरेशन की सफलता की कामना के लिए अस्पताल से लेकर पूरे शहर में प्रार्थनाओं व दुआओं का दौर चला था। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक दोनों के लिए दुआएं मांगी गईं। मोबाइल पर एसएमएस के जरिए भी शुभकामना संदेश भेजे गए।
गौरतलब है कि चिचोली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले चूड़िया ग्राम की निवासी माया यादव ने दो जुलाई 2011 को जुड़वा बेटियों को जन्म दिया था। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते यादव दंपत्ति ने अपनी दोनों बेटियों को पाढर मिशन अस्पताल को दान कर दिया था।
पाढर अस्पताल ने दोनों जुड़ी हुई बहनों को स्वीकार कर उनका लालन-पालन किया और उन्हें अलग करने के लिए प्रयास शुरू किए।
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