"रोशनी तक नसीब नहीं हुई": इजरायली बंधकों को हमास ने खाने में क्या दिया और किस हाल में रखा?

डॉक्टर मार्गारीटा मशावी ने कहा कि जब बंधकों (Israeli Hostages) ने अपना समय बिताने के लिए कुछ लिखने के लिए पेन और पेंसिल मांगी तो हमास ने मना कर दिया गया.उनको डर था कि वे कहीं लिखित रूप से कोई जानकारी न फैला दें.

खास बातें

  • हमास के कब्जे में इजरायली बंधकों ने कैसे गुजारे दिन, खुलासा
  • हमास ने इजरायली बंधकों को खाने में नहीं दिया पौष्टिक खाना
  • गाजा में रोशनी के लिए भी तरस गए इजरायल के लोग
नई दिल्ली:

हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला कर वहां के 240 लोगों को बंधक बना लिया था. धीरे-धीरे बंधकों को रिहा किया जा रहा है. इजरायल-गाजा के बीच सीजफायर समझौते (Israel Gaza Ceasefire Deal) के तहत हमास लगातार इजरायली बंधकों को रिहा कर रहा है, बदले में इजरायल से अपने कैदियों को भी छुड़वा रहा है. हमास ने बंधकों को किस हाल में रखा, उनके साथ कैसा व्यवहार किया गया, गोपनीय तरीके से यह सामने आ रहा है. रिहा बंधकों का इलाज कर रहे मेडिकल स्टाफ के हवाले से इसे लेकर कई जानकारियां सामने आई हैं. जिससे पता चला है कि बंधकों को खाने के लिए बिना पोषण वाला खाना दिया गया और एकांतवास में रखा गया.  

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हमास ने इजरायली बंधकों को किस हाल में रखा?

अस्पतालों का कहना है कि वहां की स्थिति के बारे में किसी भी तरह का खुलासा करने से परहेज करने का निर्देश दिया गया है, क्यों कि उनके कुछ भी कहने से दूसरे बंधकों को नुकसान पहुंच सकता है.

हालांकि रिहा हुए बंधकों का इलाज कर रहे मेडिकल स्टाफ की तरफ से धीरे-धीरे कुछ जानकारी सामने आने लगी है. जब कि बंधकों के रिश्तेदारों का कहना है कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है, उनको बहुत ही परेशानी उठानी पड़ रही है, इसीलिए इजरायल सरकार जल्द से जल्द उनकी रिहाई सुनिश्चित करे. 

बंधकों को हमास ने नहीं दिया पौष्टिक खाना

हमास की कैद से रिहा हुए 17 थाई नागरिकों का इलाज करने वाले शमीर मेडिकल सेंटर में मेडिकल टीम के प्रमुख रोनित ज़ैडेनस्टीन ने कहा कि उनको कैद में "बहुत ही गैर-पौष्टिक खाना" दिया गया. इलाज कराने आए लोगों का वजन बहुत ही कम समय में काफी कम हो गया है, घट हुआ वजन 10 प्रतिशत या उससे ज्यादा है. कैमरे के पीछे दिए गए इंटरव्यू में रिहा बंधकों की देखरेख करने वाले वोल्फसन मेडिकल सेंटर की डॉक्टर, मार्गारीटा मशावी ने कहा कि उनको कई कहानियां गुप्त रखने के लिए कहा गया है.

अंधेरे में रखा, सिर्फ दो घंटे दी लाइट

वाईनेट समाचार साइट ने सोमवार को मार्गारीटा के हवाले से कहा कि हमास आतंकियों ने बंधकों को अंधेरे में रखा, उनको सिर्फ दो घंटे के लिए लाइट दी जाती थी. मरीजों ने बताया कि उनके खाने में "चावल, डिब्बाबंद ह्यूमस, फवा बीन्स, और कभी-कभी पीटा के साथ नमकीन पनीर शामिल होता था, लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं मिलता था. न ही उनको कोई फल और सब्जियां और न ही अंडे दिए जाते थे. 

डॉक्टर, मार्गारीटा मशावी ने कहा कि जब बंधकों ने अपना समय बिताने के लिए कुछ लिखने के लिए पेन और पेंसिल मांगी तो उनसे मना कर दिया गया. हमास को डर था कि वे कहीं लिखित रूप से कोई जानकारी फैला देंगे, इसीलिए उनको न ही टीवी दिया गया था और न हीं पढ़ने की कोई सामग्री. ये लोग सिर्फ एक दूसरे के साथ बात करके अपना समय काटते थे.

बम की आवाज से दुख गए बच्चे के कान

सोमवार को रिहा हुए 12 साल के फ्रांसीसी-इजरायली लड़के इतान याहलोमी की दादी एस्तेर येली ने वाल्ला समाचार वेबसाइट को बताया कि उसे 16 दिनों तक एकांत कारावास में रखा गया था. वह दिन बहुत ही डरावने थे. बम की आवाज से उसके कान काफी समय तक दुखते रहे. 

बता दें कि रिहा हुए बंधकों का मेडिकल चेकअप किया जा रहा है, ताकि उनको जरूरत के हिसाब से मेडिकल सुविधा दी जा सके.उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है, उनमें 84 साल के एल्मा अव्राहम भी शामिल हैं,  डॉक्टरों ने मंगलवार को कहा कि उनकी हालत में सुधार हुआ है. 

सीजफायर समझौते के तहत हो रही रिहाई

बता दें कि युद्ध के दौरान फिलिस्तीनी क्षेत्र में खाने की आपूर्ति कम हो गई है, जिसके बाद विश्व खाद्य कार्यक्रम ने "व्यापक भूख" की चेतावनी दी है. शुक्रवार को कतर और मिस्र की मध्यस्थता वाले समझौते के तहत हमास ने 50 से ज्यादा इजरायली महिलाओं और बच्चों को रिहा कर दिया, साथ ही कई अन्य विदेशी नागरिकों को भी रिहा किया गया है, जिनमें करीब 17 थाई नागरिक शामिल हैं. 160 से ज्यादा बंधक अभी भी गाजा पट्टी में हैं. सीजफायर डील के तहत रिहा किए गए किसी भी बंधक ने अब तक उन परिस्थितियों के बारे में कोई प्रत्यक्ष जानकारी नहीं दी है, जिनमें हमास ने उनको रखा था.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)