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दिल्ली से बिहार तक... साल 2025 में कायम रहा बीजेपी का चुनावी दबदबा, नए साल में कई चुनौतियां

साल 2025 के अंत में बिहार के विधायक नितिन नवीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव का संकेत माना जा रहा है. माना जा रहा है कि वह शीघ्र ही भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा का स्थान ले सकते हैं.

दिल्ली से बिहार तक... साल 2025 में कायम रहा बीजेपी का चुनावी दबदबा, नए साल में कई चुनौतियां
2026 में बीजेपी के सामने बड़ी चुनौतियां.
  • BJP ने दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल कर अपने राजनीतिक दबदबे को साल 2025 में मजबूत किया
  • दिल्ली में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को पराजित कर 26 सालों बाद सत्ता में वापसी की.
  • बिहार में NDA ने महागठबंधन को करारी हार देते हुए 243 सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटें जीतीं.
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नई दिल्ली:

दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के साथ भारतीय जनता पार्टी ने साल 2025 में अपने चुनावी दबदबे को और मजबूत किया. इस दौरान पार्टी ने सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने और राजनीतिक विमर्श को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता का भी प्रदर्शन किया.हालांकि, साल 2026 में प्रवेश करते समय बीजेपी के सामने कई चुनौतियां होंगी, क्योंकि पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं.

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बीजपी की 26 सालों बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी

फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) को करारी शिकस्त देकर बीजपी ने 26 सालों से अधिक के अंतराल के बाद दिल्ली में सत्ता में वापसी की. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों से जुड़े कथित शराब घोटाले समेत भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बीजेपी का जोरदार प्रचार अभियान, विकास के वादों और उसकी सूक्ष्म चुनावी रणनीति ने पार्टी को दिल्ली में दोबारा सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

साल 2025 में बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जाति गणना कराने की घोषणा कर विपक्ष के इस आरोप को भी धराशायी कर दिया कि पार्टी ओबीसी और दलित विरोधी है.

बिहार विधानसभा चुनाव में हासिल की जीत

साल 2027 में होने वाली जनगणना में जाति जगणना को शामिल करने के कुछ महीनों बाद ही बीजेपी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) समेत उसके सहयोगी दलों ने बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन को करारी शिकस्त दी. बिहार में जातीय समीकरण चुनावी नतीजों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

एनडीए ने 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 202 सीट जीतकर भारी बहुमत हासिल किया, जबकि बीजेपी 89 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. विपक्षी महागठबंधन को कुल मिलाकर केवल 34 सीट पर जीत मिली, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 25, कांग्रेस को छह, भाकपा (माले) लिबरेशन को दो और माकपा को एक सीट पर विजयी रही.

बिहार चुनाव नतीजों ने विपक्ष के वोट चोरी के आरोपों और निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर लगाए गए आरोपों को भी कमजोर कर दिया, क्योंकि न तो कांग्रेस और न ही उसके सहयोगियों ने परिणामों को चुनौती देते हुए कोई चुनावी याचिका दायर की.इन नतीजों से यह संकेत भी मिला कि वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर एनडीए सरकार के खिलाफ महागठबंधन के आक्रामक प्रचार के दम पर उसे अल्पसंख्यक समुदाय का पर्याप्त समर्थन नहीं मिला, जबकि राज्य में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी आबादी है.

एनडीए का चुनाव प्रचार आरजेडी शासन के दौरान कथित जंगल राज की याद दिलाने, घुसपैठियों से उत्पन्न जनसांख्यिकीय बदलाव के खतरे और विकास के मुद्दों पर केंद्रित था, जो मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा. हालांकि विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले एक योजना के तहत लाखों महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये डाले जाने से सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में माहौल बना.

महाराष्ट्र नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में 5 से ज्यादा सीटों पर जीत

महाराष्ट्र में हाल ही में हुए नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में भी भाजपा सबसे प्रभावशाली शक्ति बनकर उभरी. पार्टी ने राज्य के छह प्रशासनिक मंडलों में से पांच में सबसे अधिक सीटें जीतीं और अधिकांश क्षेत्रों में 30 से 50 प्रतिशत सीटों पर कब्जा किया.

साल 2026 में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीतने की होगी. 30 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि बीजेपी आगामी चुनावों में दो-तिहाई बहुमत हाासिल कर ममता बनर्जी की सरकार को हटा देगी. चुनावी माहौल बनाते हुए बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकारों ने भ्रष्टाचार, कुप्रशासन और घुसपैठ के मुद्दों को उठाकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर निशाना साधा.

बंगाल में बीजेपी मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी

शाह ने टीएमसी सरकार पर चुनावी लाभ के लिए बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा देकर राज्य की जनसांख्यिकी को “खतरनाक रूप से बदलने” का आरोप लगाया और वादा किया कि यदि बीजेपी सत्ता में आई तो वह एक मजबूत “राष्ट्रीय सुरक्षा ग्रिड” बनाएगी, जिससे पश्चिम बंगाल के रास्ते होने वाली घुसपैठ पर पूरी तरह लगाम लग जाएगी. हालांकि पिछली विधानसभा चुनाव में बीजेपी पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी थी और उसने वाम दलों तथा कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया था, लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सत्तारूढ़ टीएमसी अब भी राज्य की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक ताकत बनी हुई है.

केरल में नगर निकाय चुनावों में सफलता के साथ बीजेपी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और पार्टी को उम्मीद है कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में इसे और मजबूत कर पाएगी. वहीं, तमिलनाडु में भाजपा पैठ बनाने के लिए किसी उपयुक्त सहयोगी की तलाश में है। राज्य में फिलहाल द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) की सरकार है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तमिलनाडु और केरल दोनों राज्य भाजपा के लिए अब भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं. साल 2025 के अंत में बिहार के विधायक नितिन नवीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव का संकेत माना जा रहा है. माना जा रहा है कि वह शीघ्र ही भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा का स्थान ले सकते हैं.

इनपुट- भाषा

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